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नारायणी के तट पर लगेगी आस्था की डुबकी

गोपालगंज : माघ मास को अत्यंत पावन होने से विधि-विधान से स्नान-ध्यान एवं साधना का विशेष महत्व है. मौनी अमावस्या के दिन इसका अत्यधिक महत्व है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष […]

गोपालगंज : माघ मास को अत्यंत पावन होने से विधि-विधान से स्नान-ध्यान एवं साधना का विशेष महत्व है. मौनी अमावस्या के दिन इसका अत्यधिक महत्व है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या मनायी जाती है. इस वर्ष मौनी अमावस्या 24 जनवरी शुक्रवार को पड़ रही है. नारायणी नदी में डुबकी लगाने के लिए आस्था का सैलाब तटों पर उमड़ेगा.

स्नान के लिए कुचायकोट प्रखंड के राजापुर, सदर प्रखंड के रजवाही, टेंगराही, पतहरा, मांझा के बलुही, बरौली में सरफरा, सिधवलिया में डुमरिया घाट पर लाखों लोगों की भीड़ होगी. पुराणों में नारायणी नदी का महत्व काफी होने से यहां का स्नान विशेष पुण्यदायी माना जाता है. श्री हरि ने गजराज को ग्राह्य से मुक्ति दिलायी थी.
मौनी अमावस्या पर क्यों रखा जाता है मौन व्रत
मौनी अमावस्या पर मौन रख व्रत किया जाता है. ज्योतिष विशेषज्ञ पं राजेश्वरी मिश्र के अनुसार सूर्य को आत्मा और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है. माना जाता है कि मन चंद्रमा की तरह चंचल होता है और अक्सर साधना-आराधना के दौरान भटक जाता है. ऐसे में किसी साधना को निर्विघ्न रूप से पूरा करने के लिए मन को नियंत्रित करना आवश्यक होता है.
अक्षय पुण्य के लिए मौन रहकर करें स्नान-ध्यान : ज्योतिषाचार्य अमित तिवारी की माने तो मन और वाणी पर नियंत्रण पाते हुए इस पावन तिथि पर स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष मिलता है.
साथ ही इस दिन किये जाने वाले मौन स्नान से शरीर की सकारात्मक ऊर्जा का ह्रास भी नहीं होता है. मौन साधना से मिलने वाला पुण्य अक्षय रहता है. संतों के अनुसार मौन व्रत के बगैर मौनी अमावस्या पर स्नान करने से श्रद्धालुओं को पूरा पुण्य नहीं मिलता है.
शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ- सुबह 2 बजकर 17 मिनट से (24 जनवरी)
अमावस्या तिथि समाप्त- अगले दिन सुबह 3 बजकर 11 मिनट तक (25 जनवरी)
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर किया गया दान-पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है.
कहा जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत की तरह हो जाता है. इस दिन प्रात: स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. श्री हरि को पाने का सुगम मार्ग है माघ मास में सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान. इसमें भी मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है.

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