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कई अधिकारियों पर जांच की आंच

खुलासा. डीएम को सौंपी गयी जांच रिपोर्ट, मिलीं खामियां पैर की टूटी हड्डियों में लगे स्टील से दर्द होने पर हुआ था भर्ती अस्पताल में कैदी को थी पूरी छूट, डॉक्टर भी दायरे में आये जेल के भीतर कैदियों को मिल रहीं मनमाफिक व्यवस्थाएं गोपालगंज : सदर अस्पताल के कैदी वार्ड से फरार कैदी के […]

खुलासा. डीएम को सौंपी गयी जांच रिपोर्ट, मिलीं खामियां

पैर की टूटी हड्डियों में लगे स्टील से दर्द होने पर हुआ था भर्ती
अस्पताल में कैदी को थी पूरी छूट, डॉक्टर भी दायरे में आये
जेल के भीतर कैदियों को मिल रहीं मनमाफिक व्यवस्थाएं
गोपालगंज : सदर अस्पताल के कैदी वार्ड से फरार कैदी के मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी. जांच के दौरान कई स्तर पर खामियां मिली हैं. डीएम के स्तर पर अब कार्रवाई का इंतजार है. जांच की आंच में कई अधिकारी झुलसने लगे है. जेल के अधिकारी से लेकर डॅाक्टर तक की भूमिका पर सवाल उठे हैं. जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. जानकार सूत्रों की मानें तो दो अप्रैल को चनावे स्थित गोपालगंज जेल से सजायाफ्ता कैदी मुकेश सिंह को पैर में तेज दर्द होने के कारण सदर अस्पताल में रेफर किया गया था. उसके टूटे हुए पैर में स्टील का रॉड पहले से लगा था. इसमें दर्द शौचालय में गिरने के कारण होने की बात कही जा रही है. सदर अस्पताल में इलाज के दौरान भी चूक हुई.
जानकार बताते है कि एक सप्ताह तक कैदी अगर सदर अस्पताल में ठीक नहीं होता है, तो उसे मेडिकल बोर्ड बैठा कर पीएमसीएच भेजना चाहिए था. मुकेश सिंह के मामले में ऐसा नहीं हो सका. जेल से लेकर अस्पताल तक के कई अधिकारी जांच के दायरे में आ गये हैं, जबकि सिविल सर्जन डॉ एके चौधरी ने कहा कि डॉक्टर ने पूरी ईमानदारी के साथ इलाज किया है. मेडिकल बोर्ड भी गठित किया गया है. वह पूरी प्लानिंग के साथ दर्द होने का बहाना बना रहा था. तभी तो चलकर भाग गया. उधर, रिपोर्ट प्रशासनिक स्तर पर अभी सार्वजनिक नहीं की गयी है. कार्रवाई के नाम पर प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा में तैनात हवलदार समेत चार जवानों को निलंबित किया गया है.
क्या है मामला
नगर थाना क्षेत्र के हजियापुर मुहल्ले निवासी व सिविल कोर्ट के चतुर्थवर्गीय कर्मी अनिरुद्ध मांझी के 18 वर्षीय पुत्र अवधेश पासवान की 28 सितंबर, 2009 को चाकू से घोंपकर बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी. इस कांड के नामजद अभियुक्त बरौली थाने के माड़नपुर गांव के विंदेश्वरी सिंह के पुत्र मुकेश सिंह को एडीजे वन के कोर्ट में सुनवाई के दौरान 29 जुलाई 2013 को उम्रकैद की सजा हुई थी. सदर अस्पताल के कैदी वार्ड से गत सोमवार की सुबह 4.30 बजे मुकेश सिंह फरार हो गया. मुकेश सिंह के भागने के बाद प्रशासनिक महकमा में हड़कंप मचा हुआ है.
डॉ भूदेव सिंह हत्याकांड से भी सजग नहीं हुआ प्रशासन
सदर अस्पताल के कैदी वार्ड से सजायाफ्ता मुजरिम मुकेश सिंह के फरार होने के बाद परत दर परत खुलासे हो रहे हैं. पिछले पांच वर्षों से मुकेश सिंह चनावे स्थित मंडल कारा में सजा काट रहा था. मुकेश सिंह के अलावा अब भी 50 से अधिक सजायाफ्ता कैदी गोपालगंज जेल में हैं. सजा पाने वाले कैदी सेंट्रल जेल नहीं जाना चाहते हैं. बता दें कि 29 जुलाई, 2013 को एडीजे वन दिनेश कुमार सिंह के कोर्ट ने चर्चित अवधेश पासवान हत्याकांड में दोषी पाते हुए बरौली के माड़नपुर गांव के तथा हजियापुर के अस्थायी निवासी मुकेश सिंह को उम्रकैद की सजा दी थी. मुकेश ने प्रेम प्रसंग के मामले में चाकू मार कर हत्या की थी. अब वह पुलिस पकड़ से बाहर है. मालूम हो कि 29 मई, 2011 को मंडलकारा चनावे में चर्चित आयुष अपहरण कांड में सजायाफ्ता कैदियों ने सेंट्रल जेल नहीं जाना पड़े इसके लिए जेल में तैनात डॉक्टर भूदेव सिंह पर जानलेवा हमला कर दिया. कैदियों के दिमाग में था कि मारपीट के मामूली मामले में प्राथमिकी दर्ज होने पर सेंट्रल जेल नहीं जाना पड़ेगा. यह संयोग रहा कि भूदेव सिंह को गंभीर चोटें आयी और पीएमसीएच पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया. हालांकि इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है. भूदेव सिंह हत्याकांड के सभी आरोपित जमानत पर रिहा हो चुके हैं. भूदेव सिंह हत्याकांड से भी प्रशासन ने सबक नहीं ली. जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी मुकेश सिंह ने भी भागने की फुलप्रूफ तैयारी के साथ पैर में दर्द का बहाना बनाकर सदर अस्पताल पहुंचा था. यहां सुरक्षा कर्मियों को उसकी कथित महिला ने सहयोग कर फरार कराने में सफलता पायी. जेल अधीक्षक संदीप कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया.

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