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12 साल से बंद है बर्न यूनिट, जेनरल वार्ड में ही रखे जाते हैं झुलसे मरीज

अभय वर्मा, गिरिडीह : गिरिडीह सदर अस्पताल की बर्न यूनिट 12 से बंद पड़ी है. ऐसे में झुलसे मरीजों को भारी परेशानी होती है. उन्हें जेनरल वार्ड में ही रखकर इलाज किया जाता है. ऐसे में संक्रमण का खतरा बना रहता है. सदर अस्पताल परिसर में करीब 30 साल पहले बर्न यूनिट का निर्माण किया […]

अभय वर्मा, गिरिडीह : गिरिडीह सदर अस्पताल की बर्न यूनिट 12 से बंद पड़ी है. ऐसे में झुलसे मरीजों को भारी परेशानी होती है. उन्हें जेनरल वार्ड में ही रखकर इलाज किया जाता है. ऐसे में संक्रमण का खतरा बना रहता है. सदर अस्पताल परिसर में करीब 30 साल पहले बर्न यूनिट का निर्माण किया गया था.

निर्माण के कुछ माह बाद ही बर्न यूनिट खराब हो गयी. इसमें लगे एयर कंडीशन में मामूली खराबी के कारण करीब 15 साल तक यह यूनिट बंद रही. 2006 में तात्कालीन विधायक मुन्ना लाल के कार्यकाल में इसकी सुध ली गयी और विधायक मद से पांच लाख रुपये की लागत से बर्न यूनिट का जीर्णोद्धार किया गया.
29 अगस्त 2006 को विधायक मद से स्वीकृत वातानुकूलित कमरे का जीर्णोद्धार तत्कालीन विधायक ने कराया, लेकिन एक साल बाद ही इसकी सांस उखड़ गयी. तब से यह बंद है और तीन बेड के स्थान पर 10 बेड की बर्न यूनिट बनाने की कई बार कवायद की गयी. अब तक किया गया सारा प्रयास फाइलों में ही दम तोड़ता नजर आ रहा है.
गायब हो गया एसी : आश्चर्य यह है कि एसी में मामूली तकनीकी खराबी के बाद बंद पड़ी बर्न यूनिट से एसी गायब हो गयी. गायब एसी कहां है, यह बताने वाला कोई नहीं है .
बनेगी 10 बेड की बर्न यूनिट: सीएस
सिविल सर्जन डॉ अवधेश कुमार सिन्हा ने कहा कि तीन के स्थान पर यहां 10 बेड की बर्न यूनिट बनाने की प्रक्रिया चल रही है. बताया कि स्वास्थ्य सचिव का मामले में पत्र आया है. कहा कि सिहोडीह में स्थान तलाशने का निर्देश दिया गया है.
सीएस ने बताया कि सदर अस्पताल परिसर में बर्न यूनिट बनाने पर डीसी की सहमति के बाद सचिव के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा. कहा कि सदर अस्पताल से दूर बर्न यूनिट बनी तो कई परेशानी आएगी. कहा कि प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही इस दिशा में काम शुरू किया जाएगा.
हर माह आते हैं तीन से पांच बर्न केस
जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में विभिन्न प्रखंडों से हर माह करीब तीन से लेकर पांच बर्न केस आते हैं. फिलहाल ऐसे मरीजों को जेनरल वार्ड में ही भर्ती किया जाता है. आम रोगियों की तरह इनका भी इलाज किया जाता है. जबकि ऐसे मरीजों से इंफेक्शन का डर बना रहता है.
बाहर से खरीद कर लानी पड़ती है दवा
सदर अस्पताल के जेनरल वार्ड में बिरनी प्रखंड के भरकट्टा से आयी मंजू देवी को जनरल वार्ड में रखा गया है. मंजू के पति विजय पासवान ने बताया कि 28 दिनों से पत्नी भर्ती है. ड्रेसिंग रोज हो रही है पर दवा के नाम पर मात्र एक इंजेक्शन दिया जाता है, बाकी की दवा बाहर से लानी पड़ती है. अब तक दवा पर 20 हजार खर्च हो चुका है.

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