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Friday, March 29, 2024

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गिरिडीह में लाखों रैयतों की भूमि प्रतिबंधित सूची में

गिरिडीह : जिले में सरकार के निर्देश के आलोक में जमीन की जो प्रतिबंधित सूची तैयार की गयी है, उसमें वैसे लाखों रैयतों की गैरमजरूआ खास भूमि भी डाल दी गयी है, जिसकी जमाबंदी वर्षों से कायम है और रैयत के दखल कब्जे में है. प्रतिबंधित सूची में डाली गयी जमीन की रजिस्ट्री, म्युटेशन व […]

गिरिडीह : जिले में सरकार के निर्देश के आलोक में जमीन की जो प्रतिबंधित सूची तैयार की गयी है, उसमें वैसे लाखों रैयतों की गैरमजरूआ खास भूमि भी डाल दी गयी है, जिसकी जमाबंदी वर्षों से कायम है और रैयत के दखल कब्जे में है. प्रतिबंधित सूची में डाली गयी जमीन की रजिस्ट्री, म्युटेशन व एलपीसी निर्गत करने आदि पर भी रोक लगा दी गयी है.
प्रतिबंधित सूची में शामिल प्लॉटों की जमीन न ही खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है. गिरिडीह अवर निबंधन कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार गिरिडीह जिले में लगभग 70 हजार से भी ज्यादा जमीन के प्लॉटों को प्रतिबंधित सूची में डाला गया है, जिससे सात लाख से भी अधिक रैयत प्रभावित हो रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े :
मिले आंकड़ों के अनुसार गिरिडीह अंचल में कुल 15658 प्लॉट, गांडेय अंचल में 5249, बिरनी में 12046, पीरटांङ में 5379, डुमरी में 3697, बेंगाबाद 11840, जमुआ में 3674, धनवार में 730, गावां में 3621, तिसरी में 630, देवरी में 4323, बगोदर में 137 और सरिया में 2999 प्लॉटों को प्रतिबंधित सूची में डाला गया है. प्रतिबंधित सूची में सबसे ज्यादा प्लॉटों की संख्या गिरिडीह अंचल की है. अवर निबंधक की मानें तो इस प्रतिबंधित सूची में शामिल जमीन का निबंधन नहीं किया जा सकता है.
सरकार के नये निर्देश के बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बिना जांच-पड़ताल किये ही गैरमजरूआ खास किस्म की सभी तरह की जमीन की सूची बनाकर उसे प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है. इस सूची में डाले गये प्लॉटों की जमीन न ही खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है. ऐसे में वर्षों से अपनी जमीन पर काबिज रैयत परेशान हो गये हैं.
वर्तमान वंशज ने जो जमीन पूर्वजों से हासिल की थी और जिनकी आय का एकमात्र साधन उनकी जमीन थी, वैसे लोगों को अब अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है. सरकार के इस कदम से लाखों रैयतों का भविष्य अब दांव पर लग गया है.
प्रतिबंधित जमीन पर बने हुए हैं अपार्टमेंट
वर्तमान रैयतों ने जो अपने पूर्वजों से जमीन हासिल की है या किसी रैयत के माध्यम से गैरमजरूआ खास जमीन की खरीदी की है, वैसे लोग भी खासे परेशान हैं. प्रतिबंधित सूची में शामिल कई ऐसी जमीन भी हैं, जिनपर आलीशान भवन व अपार्टमेंट तक बने हुए हैं. बताया जाता है कि गिरिडीह शहर का लगभग आधा हिस्सा गैर मजरूआ खास जमीन पर बसा हुआ है और अब इस जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गयी है.
गैर मजरूआ खास जमीन के रैयत परेशान
पूर्वजों के माध्यम से प्राप्त गैर मजरूआ खास जमीन के रैयत के साथ-साथ वैसे रैयत भी परेशान हैं, जिन्होंने जमींदारों के वंशजों से जमीन खरीदी है. बताया जाता है कि आजादी के पूर्व से ही इनमें से कई लोग न सिर्फ दखलकार चले आ रहे हैं, बल्कि ऐसे लोगों ने राजस्व विभाग में राजस्व देकर लंबे अर्से से राजस्व रसीद भी हासिल की है.
रैयतों का कहना है कि यदि यह जमीन सरकार की थी तो उनसे जमीन का लगान वर्षों से कैसे वसूला गया. कई रैयतों ने बताया कि आय का एकमात्र उनका जरिया जमीन ही है. अब सरकार जमीन को छीन रही है, जिससे उनके समक्ष न सिर्फ जीवन-यापन की समस्या उत्पन्न हो जायेगी, बल्कि उनका भविष्य भी अंधकारमय हो जायेगा.
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