गया : गर्मी व बीच-बीच में बरसात होने से इन महीनों में डायरिया से ग्रसित होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ने लगती है. साथ ही गया में बरसात के साथ मस्तिष्क ज्वर के मरीजों में भी इजाफा होने लगता है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 24 जून से पांच जुलाई तक जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवारा की शुरुआत की गयी है.
आशा घर-घर जाकर बांट रहीं ओआरएस व जिंक की गोली
गया : गर्मी व बीच-बीच में बरसात होने से इन महीनों में डायरिया से ग्रसित होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ने लगती है. साथ ही गया में बरसात के साथ मस्तिष्क ज्वर के मरीजों में भी इजाफा होने लगता है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 24 जून से पांच जुलाई तक जिले में सघन […]
सामुदायिक स्तर पर दस्त को लेकर लोगों को जागरूक करने की प्रमुख जिम्मेदारी आशा को दी गयी है. इस दौरान आशा को घर-घर जाकर ओआरएस के पैकेट के साथ जिंक की गोली देनी है. इसके साथ ही लोगों को दस्त व जेइ-एइएस के बारे में जागरूक करना है. दोनों काम प्रखंड स्तर पर शुरू कर दिया गया है.
पांच वर्ष तक के बच्चे होंगे लक्षित
सिविल सर्जन डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा ने बताया कि डायरिया से होने वाले शिशु व बाल मृत्यु दर में कमी लाने, सामुदायिक स्तर पर ओआरएस व जिंक की उपलब्धता को बढ़ाने व डायरिया प्रबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवारा मनाया जा रहा है .
साफ-सफाई से जुड़ी गतिविधियों के बारे में जागरूकता लाना भी इस पखवारे के कार्यक्रम में शामिल है. इसके लिए आशा अपने क्षेत्र के सभी पांच वर्ष से छोटे बच्चों के अभिभावकों को दस्त के बारे में जानकारी देंगी. उन्होंने बताया कि इसके रोकथाम के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सौ्लूशन (ओआरएस) पैकेट भी वितरित कर रही हैं.
दस्त पखवारे के साथ आशा व आंगनबाड़ी को यह भी जिम्मेदारी दी गयी है कि वे पारासिटामोल की दवा भी रखेंगी और जेई-एईएस के मरीज मिलने पर उसका इलाज करेगी. लोगों को बीमारी से बचने के प्रति जागरूक भी करेंगी.
न करें लक्षणों की अनदेखी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों में 24 घंटे के दौरान तीन या उससे अधिक बार पानी जैसा दस्त आना डायरिया है. डायरिया जीवाणु व विषाणु संक्रमण के कारण तो होता ही है परंतु सबसे सामान्य कारण है प्रदूषित पानी, खान-पान में गड़बड़ी और आंत संक्रमण. डायरिया से शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसे डीहाइड्रेशन कहते हैं. इससे शरीर में कमजोरी आ जाती है और अगर समय पर इलाज न मिले, तो पीड़ित की मृत्यु भी हो सकती है.
पूरी जिम्मेदारी आशा व आंगनबाड़ी को
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया कीि दस्त पखवारे के साथ-साथ जेइ-एइएस के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसकी पूरी जिम्मेदारी आशा व आंगनबाड़ी को दी गयी है. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी व आशा को लोगों को साफ-सफाई रखने व बच्चों मेें किसी तरह की दिक्कत आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने के लिए प्रेरित करेंगी.
प्रदर्शनी लगा कर किया जायेगा जागरूक
डीआइओ डॉ सुरेंद्र प्रसाद चौधरी ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर भी दस्त नियंत्रण व इसके रोकथाम के लिए काउंटर लगाकर प्रदर्शनी की जायेगी. इसमें लोगों को ओआरएस पैकेट व जिंक की दवा दी जा रही है. साथ ही संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों के एएनएम व अन्य स्वास्थ्य कर्मी दस्त के लक्षणों के साथ जेइ-एइएस व इसकी रोकथाम के विषय में लोगों को जागरूक करेंगे.
उन्होंने बताया कि 45 फुट से कम गहरे बने हुए चापाकलों का पानी संक्रमित होता है. इस पानी को पीने से दस्त होने की आशंंका बढ़ जाती है. इसलिए 45 फुट से अधिक गहरे बने हुए चापाकलों का ही पानी बच्चों को देना चाहिए. इसके अलावा संग्रहित पानी के जैविक संक्रमण को समाप्त करने के लिए क्लोरीन का इस्तेमाल करना चाहिए.
ये लक्षण दिखते ही जाएं अस्पताल
पानी जैसा लगातार मल का होना
बार बार उल्टी होना
अत्यधिक प्यास लगना
पानी नहीं पी पाना
दस्त के साथ बुखार का होना
मल में खून आना
इनका रखें विशेष ख्याल
दस्त की शुरुआत के साथ ही बच्चों को ओआरएस का घोल देना चाहिए व जब तक दस्त ठीक न हो इसे देते रहना चाहिए
डायरिया ठीक होने के बाद भी बच्चों को 14 दिन तक जिंक की दवा देनी चहिए
छह माह तक के बच्चों में दस्त होने पर उन्हें अधिक से अधिक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए
माताओं को खाना खिलाने से पहले ख़ुद का हाथ साफ करने के साथ बच्चों के भी हाथ की सफाई जरूर करनी चाहिए
सघन दस्त नियंत्रण पखवारा शुरू
आमस. पीएचाी में सोमवार को सघन दस्त नियंत्रण पखवारा की शुरुआत की गयी. प्रभारी हेल्थ मैनेजर विवेकानंद विवेक ने बताया कि पखवारे को लेकर लोगों को जानकारी दी गयी.
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