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अस्पताल आकर नक्सली का शव ले गये परिजन

गया : बांकेबाजार के नागोवार-एकरूपयवा जंगल में विगत शुक्रवार की रात अर्द्धसैनिक बल व नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गये हार्डकोर नक्सली अनिल राय के शव को परिजन मगध मेडिकल अस्पताल पहुंच कर अपने साथ ले गये. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इमामगंज थाने के भट्ट बिगहा गांव से मगध मेडिकल […]

गया : बांकेबाजार के नागोवार-एकरूपयवा जंगल में विगत शुक्रवार की रात अर्द्धसैनिक बल व नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गये हार्डकोर नक्सली अनिल राय के शव को परिजन मगध मेडिकल अस्पताल पहुंच कर अपने साथ ले गये. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इमामगंज थाने के भट्ट बिगहा गांव से मगध मेडिकल पहुंचे मृतक की पत्नी रीना देवी, मां रामरती कुंवर, सास, मामा ससुर व कई ग्रामीणों ने अनिल के शव को देख कर पहचान की.

मेडिकल थानाध्यक्ष सह प्रशिक्षु डीएसपी रंजीत कुमार रजक की देखरेख में परिजनों द्वारा नक्सली की पहचान किये जाने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करायी गयी. थानाध्यक्ष ने बताया कि पहचान के बाद ग्रामीणों व परिजन की मौजूदगी में शव को सौंप दिया गया है. परिजन शव को लेकर यहां से अपने गांव चले गये हैं.
यह है पूरी घटना : गौरतलब है कि बांकेबाजार प्रखंड के लुटुआ थाना क्षेत्र के नागोवार-एकरूपयवा जंगल में अर्द्धसैनिक बलों के जवान व नक्सलियों के बीच विगत शुक्रवार की रात हुई मुठभेड़ में हार्डकोर नक्सली मारा गया था. मुठभेड़ वाली जगह से अर्द्धसैनिक बलों ने एके-56, बड़ी संख्या में कारतूस, मैगजीन, नक्सली साहित्य, लेवी वसूलने के रसीद को बरामद किया था. मारे गये नक्सली की पहचान इमामगंज थाना क्षेत्र के भट्टबिगहा गांव के रहनेवाले जोनल कमांडर अनिल राय के रूप में की गयी थी.
मामला सामने आया था कि नक्सली साथी की शादी में एकरूपयवा जंगल में समारोह आयोजित किया गया था. इसमें अनिल राय के साथ बड़े स्तर के नक्सली नेता के अलावा गांव के लोग भी शामिल हुए थे. कोबरा-205 के जवानों के साथ शुक्रवार की देर रात मुठभेड़ हुई और शनिवार की सुबह में अर्द्धसैनिक बलों ने अनिल का शव बरामद किया था.
चाचा से चल रहे जमीन विवाद को लेकर नक्सली बना था अनिल राय
बांकेबाजार. मुठभेड़ में मारा गया नक्सली अनिल राय अपने पीछे पांच बेटी, एक बेटा, पत्नी, मां व अन्य परिजनोंं को छोड़ गया है. उसका पैतृक गांव डुमरिया प्रखंड का टेकरा कला है. वह उमा राय का बेटा था. अपने परिजनों द्वारा इमामगंज प्रखंड के भट्ट बिगहा गांव में मिले दान स्वरूप जमीन पर मकान बना कर बीते कई वर्षों से रह रहा था.
जानकार बताते हैं कि अपने चाचा के साथ जमीन-विवाद होने पर मृतक अपराध की दुनिया में पहली बार पैर रखा था. सूत्र यह भी बताते हैं कि एक बार वह जेल की हवा भी खा चुका था. जेल से बाहर निकलने के बाद परिजनों के दबाव बनाने पर वह खेतीबारी में जुट गया था. लेकिन, वर्ष 2012 में पुन:नक्सली दस्ता में शामिल हो गया था. तब से वह जब-कभी ही अपने घर आया-जाया करता था.

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