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एक रुपये के स्टांप पर बने जमीन के कागजात को निगम ने मान लिया वैध

गया : नगर निगम में चल रही आवास योजना में कई तरह के उलटफेर के मामले सामने आने लगे हैं. भारत सरकार की इस योजना में निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने कई वार्डों में मनमाने ढंग से चहेतों को लाभुक बनाने के लिए कागजात की जांच को भी उचित नहीं समझा है. इस तरह […]

गया : नगर निगम में चल रही आवास योजना में कई तरह के उलटफेर के मामले सामने आने लगे हैं. भारत सरकार की इस योजना में निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने कई वार्डों में मनमाने ढंग से चहेतों को लाभुक बनाने के लिए कागजात की जांच को भी उचित नहीं समझा है. इस तरह का एक मामला सामने आया है कि निगम के अधिकारी ने एक रुपये पर बने 2009 में जमीन के कागजात को ही सही मान कर लाभुक को लाभ पहुंचाने में परहेज नहीं किया है.
यह मामला वार्ड नंबर 10 के जनता कॉलोनी के रहनेवाले पवन का है. इन्होंने योजना का लाभ लेने के लिए निगम कार्यालय में जमीन के कागजात के तौर पर महज एक रुपये के स्टांप पर बनी जमीन की विवरणी जमा की है. उसके बाद भी अधिकारी ने इन्हें योजना का लाभ दिया है. बताया जाता है कि नगर निगम क्षेत्र में राजीव आवास योजना, समेकित मलिन बस्ती विकास योजना (आइएचएसडीपी), प्रधानमंत्री आवास योजना (हाउस फॉर ऑल) के तहत बेघर लोगों को आवास बनाने के लिए पैसा दिया जा रहा है.
राजीव आवास योजना व समेकित मलिन बस्ती विकास योजना (आइएचएसडीपी) का काम लगभग पूरा हो गया है. कुछ लाभुक को राजीव आवास योजना के तहत लाभ देने हैं.
जांच कर होगी कार्रवाई : नगर आयुक्त : नगर आयुक्त डॉ ईश्वर चंद्र शर्मा ने बताया कि इस तरह का मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है. इससे पहले जितने भी मामले आये उन सभी पर कार्रवाई की गयी है. इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
यहां तोड़े जा चुके हैं मकान
समेकित मलिन बस्ती विकास योजना (आइएचएसडीपी) के तहत शहर की मुस्लिम होटल गली में बने दो मकान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़े जा चुके हैं. इसके साथ ही वार्ड नंबर 34 में भी कई मकानों को सरकारी जमीन पर बनाये जाने की जांच की जा रही है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कोइरीबारी मुहल्ले में दूसरे की जमीन पर आवास योजना के तहत मकान बनाने का भी मामला सामने आ चुका है. नगर निगम से पैसा वापसी के लिए लाभुक को नोटिस दिया गया है.
इसके साथ ही एपी कॉलोनी में एक लाभुक से निगम के कर्मचारी द्वारा योजना के लिए 20 हजार रुपये ले लेने व 80 हजार रुपये और मांगने की शिकायत भी निगम में पहुंच गयी है. इसमें आवास योजना से जुड़े कई कर्मचारी को नगर आयुक्त हटाने का आदेश जारी कर चुके हैं. निगम सूत्रों का मानें, तो प्रधानमंत्री आवास योजना में सबसे पहले खाली जमीन में मकान के लिए गड्ढा खुदाई कर जियो टैगिंग की जाती है. कई जगहों पर इसमें भी हेराफेरी की जा रही है. जमीन कहीं क ी टैगिंग किया जा रहा है और कागज किसी और जमीन का निगम में जमा किया गया है.

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