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अब नीति आयोग के पोर्टल पर अपडेट होंगी जिले की उपलब्धियां, डीएम को जारी किया निर्देश, बेहतर प्रोजेक्ट की दें जानकारी

गया : जिले में हो रहे विकास कार्यों व उपलब्धियों की जानकारी अब सीधे तौर पर नीति आयोग के वेबसाइट पर मिलेंगी. आयोग ने केंद्र सरकार के एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट के तहत जुड़े देश के सभी जिलों को एक निर्देश जारी किया है. आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने सभी जिले के डीएम […]

गया : जिले में हो रहे विकास कार्यों व उपलब्धियों की जानकारी अब सीधे तौर पर नीति आयोग के वेबसाइट पर मिलेंगी. आयोग ने केंद्र सरकार के एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट के तहत जुड़े देश के सभी जिलों को एक निर्देश जारी किया है. आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने सभी जिले के डीएम को कहा है कि उनके यहां हो रहे तमाम विकास कार्यों में जो सर्वश्रेष्ठ है उसकी जानकारी आयोग को दें. नीति आयोग ने इसके लिए एक पोर्टल तैयार कराया है. डीएम इस पोर्टल पर जिले में हो रहे उक्त कामों की पूरी जानकारी अपलोड करायेंगे.
उद्देश्य यह भी है कि देश के सभी एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट को एक साथ जोड़ा जाये. इस पोर्टल के माध्यम से सभी जिले के लोग व अधिकारी एक-दूसरे के यहां हो रहे बेहतर कार्यों को जान सकेंगे और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकेंगे. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश के 28 राज्यों के 115 जिलों का चयन एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम के लिए किया है.
यह सभी जिले पिछड़े की श्रेणी में आते हैं. बिहार में कुल 13 जिलों को चुना गया है. इनमें अररिया, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, गया, जमुई, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्णिया, शेखपुरा व सीतामढ़ी शामिल हैं. गया कोेेे नक्सल ग्रस्त क्षेत्र होने की वजह से इस सूची में शामिल किया गया है.
क्या है एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम
केंद्र सरकार ने देश के पिछड़े कहे जाने वाले जिलों को महात्वाकांक्षी जिले का नाम दिया. सरकार की न्यू इंडिया विजन 2022 के तहत नीति आयोग ने देश भर में 115 जिलों का चयन किया है. लक्ष्य के अनुसार 2022 तक इन सभी जिलों को देश के दूसरे जिलों के साथ ला कर खड़ा करना है. आयोग ने पांच क्षेत्रों में 49 संकेतों के आधार पर इन 115 महात्वाकांक्षी जिलों (एस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट) के लिए आधारभूत रैंकिंग शुरू की है. इसमें स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचा शामिल हैं.
ये वह जिले हैं, जो देश के दूसरे जिलों के मुकाबले पिछड़े हैं. इस कार्यक्रम से देश के सभी जिलों के बीच समन्वय बढ़ेगा. इस पहल को जमीनी स्तर पर टाटा ट्रस्ट, पिरामल फाउंडेशन, आइटीसी, एल एंड टी जैसी कंपनियों का समर्थन मिला है. जिलों के प्रदर्शन को भारत में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों के साथ मिलान किया जायेगा. विकास की गतिविधियों को वास्तविक समय के आधार पर दर्ज किया जायेगा.
पोर्टल पर अपडेट हाेंगी जिले की ये चार उपलब्धियां
स्कूग-लिंक ( schooglink) – बीते साल सितंबर में जिला प्रशासन ने इस लिंक का प्रयोग शुरू किया. मोबाइल एप व कंप्यूटर दोनों माध्यमों से इसका प्रयोग होता है. इसमें सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों को जोड़ा गया है. लिंक का मुख्य उद्देश्य विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के विचार को एक मंच पर लाना है. डीएम अभिषेक सिंह के मुताबिक जिले का कोई भी शिक्षक इस लिंक पर एकाउंट तैयार कर अपने विषयों की जानकारी अपलोड कर सकेंगे.
शिक्षक अपने शोध कार्य, उनके पढ़ाने का तरीका और विषय की जानकारी साझा कर सकेंगे. डीएम ने बताया कि अब हर किसी के पास एंड्रायड फोन है. इसलिए गांव में रहने वाले बच्चे जो वहां के किसी स्कूल में पढ़ते हैं, शहर के विद्यालयों में पढ़ाये जाने वाले विषयों की जानकारी हासिल कर सकेंगे. यह लिंक एक बेहतर ट्यूटोरियल साबित हो सकता है,खासकर 9,10,11 व 12 के स्टूडेंट्स के लिए.
विटामिक्स फैक्ट्री – बोधगया में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाएं बच्चों के लिए पौष्टिक आहार तैयार कर रही हैं. विटामिक्स के नाम का यह प्रोडक्ट जिले में कई जगहों पर प्रयोग होता है.
सोलर एजेंसी प्रोजेक्ट – डोभी में जीविका व विश्व बैंक के सहयोग से सोलर पैनल निर्माण एजेंसी तैयार की जा रही है. जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं यहां सोलर पैनल निर्माण कर सकेंगी.
असेंबली यूनिट – किसी भी काम या संस्था को कैसे बेहतर तरीके से चला सकते हैं. इसी को लेकर शेरघाटी में जीविका से जुड़ी महिलाओं ने असेंबली यूनिट तैयार की है.

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