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ब्लू व्हेल और किकी के बाद मारवेल हुआ जानलेवा, जानें क्या होता है बच्चों पर असर

नेशनल कंटेंट सेल -ऑनलाइन गेम्स के खतरे से अनजान हैं बच्चे, राजस्थान में एक बच्चे ने गंवायी अपनी जान समय तेजी से बदल रहा है. बदलते परिवेश में बच्चों के दोस्त, खेल का मैदान, पार्क सबकुछ बदल गया है. आउटडोर गेम्स से ज्यादा तवज्जो अब इनडोर गेम्स को भी नहीं बल्कि ऑनलाइन गेम्स को मिलने […]

नेशनल कंटेंट सेल

-ऑनलाइन गेम्स के खतरे से अनजान हैं बच्चे, राजस्थान में एक बच्चे ने गंवायी अपनी जान

समय तेजी से बदल रहा है. बदलते परिवेश में बच्चों के दोस्त, खेल का मैदान, पार्क सबकुछ बदल गया है. आउटडोर गेम्स से ज्यादा तवज्जो अब इनडोर गेम्स को भी नहीं बल्कि ऑनलाइन गेम्स को मिलने लगी है. ऑनलाइन गेम्स का क्रेज उनके सिर चढ़कर बोल रहा है. लेकिन, यह गेम्स बच्चों के लिए कितने खतरनाक हैं, इससे वे अब तक अनजान हैं. ऑनलाइन गेम्स को लेकर हुए शोध में भी यह साबित हो चुका है कि ऐसे गेम कितने खतरनाक हैं. इसके बावजूद लोग इसका लगातार शिकार बन रहे हैं. हद तो यह है कि समझदार भी इन गेम्स के चक्कर में फंसकर अपनी जान गंवा रहे हैं.

अब, ब्लू व्हेल, मोमो, किकी, ड्रैगन ब्रेथ जैसे कई जानलेवा गेम्स के बाद एक नया गेम बाजार में आया है जिसका नाम ‘मारवेल’ है. मारवेल गेम की वजह से राजस्थान के सिरोही में एक नाबालिग लड़के ने आत्महत्या कर ली है. पुलिस के अनुसार, घटना की जानकारी मिलते ही जब पुलिस मौके पर पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद मिला. कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो वहां 11वीं का छात्र विपिन शर्मा फंदे पर लटका हुआ मिला. आत्महत्या करने से पहले विपिन ने दीवार पर ‘आइ क्विट’ लिखी हुई पर्ची चिपकायी थी.

इसके अलावा पुलिस को मौके से एक कॉपी मिली, जिसपर मारवेल गेम का जिक्र था. कॉपी पर गेम के कई स्टेप्स लिखे हुए थे. पुलिस का मानना है कि इसी गेम के कारण विपिन ने आत्महत्या की है. हालांकि, पुलिस मामले की जांच कर रही है.

बच्चों के विकास में बाधक
इंटरनेट पर गेम खेलने की लत बच्चों को न सिर्फ शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार करती है, बल्कि यह बच्चे के व्यक्तित्व विकास में बाधक है.

आठ से 12 साल के बच्चे तेजी से हो रहे शिकार

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, आठ से 12 साल की उम्र वाले 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे साइबर धमकी (बुलिंग), वीडियो गेम की लत, ऑफलाइन मिलने-जुलने, गलत जानकारी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. भारत में यह हालात तेजी से बढ़ रहे हैं.

असर

बच्चों में धैर्य कम होने लगता है.

बच्चे पावर में रहना चाहते हैं.

सेल्फ कंट्रोल खत्म हो जाता है.

कई बार बच्चे हिंसक हो जाते हैं.

क्या करें

जरूरी काम के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल

गेम खेलने का वक्त तय करें.

आधे घंटे से ज्यादा गेम्स न खेलने दें.

आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें.

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