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वर्ल्ड बैंक ने CPF योजना को दी मंजूरी, बुनियादी विकास की प्राथमिक समस्याओं को दूर कर सकेगा भारत

वाशिंगटन : विश्वबैंक ने शुक्रवार को भारत के लिए एक महत्वाकांक्षी पांच वर्षीय ‘स्थानीय भागीदारी व्यवस्था ‘ (सीपीएफ) को मंजूरी दी. इसके तहत भारत को 25 से 30 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता मिलने की उम्मीद है, ताकि देश को निम्न मध्य-आय वाले देशों की श्रेणी से उच्च-मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में पहुंचने […]

वाशिंगटन : विश्वबैंक ने शुक्रवार को भारत के लिए एक महत्वाकांक्षी पांच वर्षीय ‘स्थानीय भागीदारी व्यवस्था ‘ (सीपीएफ) को मंजूरी दी. इसके तहत भारत को 25 से 30 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता मिलने की उम्मीद है, ताकि देश को निम्न मध्य-आय वाले देशों की श्रेणी से उच्च-मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में पहुंचने में मदद मिल सके. विश्वबैंक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस घोषणा के एक दिन बाद इस भागीदारी व्यवस्था को मंजूरी दी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पांच-सात साल में 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जायेगी.

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उसका मानना है कि सीपीएफ योजना से भारत को अपने समावेशी और स्वस्थ आर्थिक वृद्धि के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी. विश्वबैंक के निदेशक मंडल ने भारत के एक उच्च मध्य आय देश बनने के लक्ष्यों का समर्थन किया है. इस सहायता से देश की बुनियादी विकास की प्राथमिकताओं की कुछ समस्याओं का निवारण करने में आसानी होगी. इसमें संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल और समावेशी विकास, रोजगार सृजन और मानव पूंजी का निर्माण जैसी प्राथमिकताएं शामिल हैं.

इस भागीदारी व्यवस्था के तहत भारत को अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी), अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) और बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (एमआईजीए) से पांच साल में 25 से 30 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता आने की उम्मीद जतायी गयी है.

विश्वबैंक के उपाध्यक्ष एवं दक्षिण एशिया मामलों के प्रभारी हार्टविंग श्काफर ने कहा कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, वैश्विक कद और पिछले दशकों में सबसे ज्यादा संख्या में लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाने के अपने विशेष अनुभव के चलते भारत 2030 तक एक उच्च मध्य आय वाला देश बनने की अच्छी स्थिति में है.

विश्वबैंक के भारत के निदेशक जुनैद अहमद ने कहा कि यह एक पांच वर्षीय योजना है जो भारत के बारे में बैंक की प्रतिबद्धता का सबूत है. यह व्यवस्था इस बात से जुड़ी है कि हम क्या करेंगे, कैसे करेंगे और इसका वित्तीय स्तर क्या होगा. यह इस तरह पहली साझेदारी व्यवस्था है, जो भारत के साथ बनायी गयी है.

अहमद ने कहा कि सीपीएफ में प्रक्रियाबद्ध तरीके से देश की समस्याओं की पहचान की जायेगी, जो देश के बारे में एक प्रस्तावना पेश करेगा. विश्वबैंक के भारत के लिए सीपीएफ पेश करने के तुरंत बाद अहमद ने कहा कि बैंक पिछले कई दशकों में भारत द्वारा की गयी आर्थिक प्रगति और विकास को मान्यता देता है.

उन्होंने कहा कि बैंक जानता है कि भारत ने एक कम आय वाले देश से कम-मध्य आय वाले देश के रूप में पहुंचा है और देश अब कम-मध्य आय वाले देश से उच्च-मध्य आय वाले आर्थिक बदलाव में प्रवेश कर रहा है. यह सीपीएफ इस लक्ष्य में बैंक की सहायता के बारे में बताता है.

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