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पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तोड़ी चुप्पी, बोले-तत्काल समाधान पर विचार कर रही सरकार

भुवनेश्वर : पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर गुरुवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि र्इंधन की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए सरकार ‘तत्काल समाधान ‘ पर विचार कर रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस संबंध में जानकारी दी. उन्होंने ओड़िशा सरकार से भी अनुरोध किया किया कि वह पेट्रोलियम उत्पादों […]

भुवनेश्वर : पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर गुरुवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि र्इंधन की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए सरकार ‘तत्काल समाधान ‘ पर विचार कर रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस संबंध में जानकारी दी. उन्होंने ओड़िशा सरकार से भी अनुरोध किया किया कि वह पेट्रोलियम उत्पादों पर मूल्यवर्द्धित कर (वैट) घटाये. प्रधान ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने के पक्ष में है, लेकिन तब तक के लिए हम किसी तत्काल समाधान पर विचार कर रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि हम निश्चित तौर पर समाधान के लिए कोई रास्ता निकाल लेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने गरीबों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए ईंधन पर दो रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क घटाया था. इस बार केंद्र सरकार लघु एवं दीर्घावधि दोनों तरह के समाधान पर विचार कर रही है.

इसके पहले, सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर यह भी आयी है कि पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही खुदरा कीमतों को कम करने के स्थायी समाधान ढूंढ रही सरकार ओएनजीसी जैसे घरेलू तेल उत्पादकों पर अप्रत्याशित लाभ पर कर लगा सकती है. गतिविधियों के जानकार सूत्रों ने कहा कि यह इस तरह का कर उपकर के रूप में आरोपित किया जा सकता है और यह कच्चे तेल के भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाते ही प्रभावी हो जायेगा. इसके तहत तेल उत्पादकों को 70 डॉलर प्रति बैरल के भाव से ऊपर की किसी भी कमाई को कर के रूप में देना होगा.

सूत्रों ने कहा कि इस तरह वसूल होने वाले राजस्व का उपयोग पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों की मदद के लिए किया जायेगा, ताकि वे तेल की कीमतें को एक स्तर से ऊपर जाने से रोकने में समर्थ हों. ग्राहकों को तुरंत राहत देने के लिए इसे उत्पाद शुल्क में मामूली बदलाव के साथ लागू किया जा सकता है. साथ ही, खुदरा कीमतों में बड़ी कमी दर्शाने के लिए राज्य सरकारों से भी बिक्री कर या मूल्यवर्धित कर (वैट) घटाने के लिए कहा जायेगा.

सूत्रों ने कहा कि सरकार का विचार सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र के तेल उत्पादकों पर उपकर लगाने का है, ताकि सार्वजनिक तेल उत्पादकों द्वारा इसका विरोध नहीं किया जा सके. इसी तरह का कर लगाने का विचार 2008 में भी किया गया था, जब तेल कीमतें उच्च स्तर पर थी, लेकिन केयर्न इंडिया जैसी निजी कंपनियों के विरोध के बाद इसे ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था.

सूत्रों ने कहा कि अप्रत्याशित लाभ पर कर को सरकार बढ़ीं कीमतों से निपटने के लिए स्थायी समाधान के विकल्प के रूप में विचार कर रही है. ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में इस प्रकार के कर का प्रयोग किया जा चुका है.

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