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महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस ने कहा, भारत को 5,000 अरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मजबूत नेतृत्व जरूरत

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए फैसला लेने में सक्षम एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है. फडणवीस ने भारत आर्थिक सम्मलेन में कहा कि नीति के मोर्चे पर लाचार नेतृत्व मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल नहीं […]

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए फैसला लेने में सक्षम एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है. फडणवीस ने भारत आर्थिक सम्मलेन में कहा कि नीति के मोर्चे पर लाचार नेतृत्व मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल नहीं कर सकता है, चाहे उसके पास कितनी भी युवा आबादी क्यों न हो.

इसे भी पढ़ें : भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 तक 5,000 अरब डॉलर को छू लेगी : राष्‍ट्रपति कोविंद

उन्होंने कहा कि आज हम दुनिया की छठी सबसे बड़ी और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था हैं और हमने पिछले चार सालों में रणनीतिक और सांस्कृतिक सुधारों पर काम किया है. मेरा मानना है कि हम 5,000 अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम हैं. फडणवीस ने कहा कि भारत में युवा आबादी, लोकतंत्र और मांग के रूप में कई अवसर मौजूद हैं और लक्ष्य हासिल करने के लिए चरणबद्ध प्रयास करने का यह सही समय है.

उन्होंने कहा कि नीतिगत मोर्चे पर लाचार नेतृत्व उच्च आर्थिक वृद्धि को हासिल नहीं कर सकता है, चाहे उसे कितना ही युवा आबादी का फायदा क्यों न उपलब्ध हो. आज हमारे पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में एक फैसला करने वाला मजबूत नेतृत्व है. भारत को सबसे बड़ा फायदा उसके पास उपलब्ध कुशल बौद्विक क्षमता, उसकी आबादी में युवाओं की बड़ी संख्या और निर्णायक नेतृत्व का होना है, जो हमें तेजी से आगे ले जायेगी.

उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था करीब 7.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़कर 2,500 अरब डॉलर के ऊपर पहुंच गयी है. यह 2028-29 तक बढ़कर 5,000 अरब डॉलर की हो जायेगी. हालांकि, इस लक्ष्य को 2025 तक हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र में 10 फीसदी, विनिर्माण क्षेत्र में करीब 14 फीसदी और सेवा क्षेत्र में 13 फीसदी वृद्धि की जरूरत है.

फडणवीस ने दुनिया के देशों में बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति को लेकर भी चिंता जताते हुए कहा कि जो देश अब तक मुक्त व्यापार के अगुवा बने हुए थे, उन्हीं देशों में अब संरक्षणवाद बढ़ रहा है. हमारी तेल पर बढ़ती निर्भरता, तेल मूल्यों के उतार-चढ़ाव की वजह से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध भी हमारे लिए एक मुद्दा बना हुआ है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज हमारी कृषि के लिए एक बड़ा कारक बना हुआ है, जिसकी वजह से कृषि क्षेत्र को वहनीय बनाये रखना मुश्किल हो रहा है.

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