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Thursday, March 28, 2024

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बिहार-झारखंड के किसानों की बढ़ेगी कमार्इ, मोदी सरकार ने उठाये ये कदम…

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस साल के बजट में देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की खातिर उठाये जाने वाले कदमों की घोषणा की थी. अब उसने उन योजनाआें को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. फिलहाल, बुधवार को मोदी सरकार ने अपने कैबिनेट की बैठक में तीन […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस साल के बजट में देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने की खातिर उठाये जाने वाले कदमों की घोषणा की थी. अब उसने उन योजनाआें को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. फिलहाल, बुधवार को मोदी सरकार ने अपने कैबिनेट की बैठक में तीन अहम एेसी योजनाआें को मंजूरी दी है, जिससे बिहार-झारखंड समेत देश के करीब 20 से अधिक राज्यों के लाखों किसानों की कमार्इ बढ़ने के आसार अधिक दिखायी दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः ‘खरीद का पुख्ता इंतजाम के बगैर सभी फसलों को एमएसपी के दायरे में लाना आसान नहीं’

सरकार ने बुधवार को फसल वर्ष 2018-19 के लिए कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 200 रुपये बढ़ाकर 3,700 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए ) की बैठक में फसल वर्ष 2018-19 के लिए उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू ) वाले कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 200 रुपये बढ़ाकर 3,700 रुपये क्विंटल करने का फैसला किया गया. इससे पिछले वर्ष कच्चे जूट का एमएसपी 3,500 रुपये प्रति क्विंटल था.

कच्चे जूट के एमएसपी में बढ़ोतरी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी ) की सिफारिशों के आधार पर की गयी है. एमएसपी में ‘ए2 जमा एफएल’ भारित औसत के ऊपर 63.2 फीसदी की आय होगी. इस फार्मूले में वास्तविक लागत जमा परिवार के सदस्यों की श्रम लागत को शामिल किया गया है. इस फैसले से मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल , असम और बिहार के जूट किसानों को फायदा होगा.

बजट में सरकार ने किसानों की कमार्इ बढ़ाने का किया था एेलान

देश के कुल जूट उत्पादन में इन तीनों राज्यों का हिस्सा 95 फीसदी है. सरकार ने बजट 2018-19 में विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत के डेढ़ गुना पर तय करने की घोषणा की थी. बयान में कहा गया है कि जूट कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया जूट उत्पादक राज्यों में एमएसपी पर मूल्य समर्थन परिचालन के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में काम करती रहेगी. फिलहाल, सीएसीपी उत्पादन लागत की तीन परिभाषाएं देती हैं. ए 2, ए 2 जमा एफएल और सी 2 । ए 2 लागत में सभी खर्च आते हैं, जिनका नकद और अन्य रूप भुगतान किया गया. इसमें किसानों द्वारा बीज, खाद, रसायन, श्रमबल, ईंधन और सिंचाई पर खर्च आता है. ए 2 जमा एफएल में कुल लागत तथा घरेलू श्रमबल का मूल्य आता है. सी 2 लागत अधिक व्यापक है. इसमें किराया और अपनी जमीन पर ब्याज तथा निश्चित पूंजी संपत्तियां आती हैं.

औषधीय पौधों के क्षेत्र में अफ्रीकी देश के साथ करार

इसके साथ ही, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अफ्रीकी देश साओ तोमे एंड प्रिंसिपी के साथ औषधीय पौधों के क्षेत्र में सहयोग के लिए हुए एक करार को भी औपचारिक मंजूरी दे दी. इस करार पर इस साल 14 मार्च को हस्ताक्षर किये गये थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में इस करार को औपचारिक तौर पर मंजूरी दी गयी. यह एमओयू वैश्विक में परंपरागत और वैकल्पिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के तीव्र विस्तार को देखते हुए इस समझौते का महत्व है.

दुनियाभर में 120 अरब डाॅलर तक जड़ी-बूटियों का होता है कारोबार

बयान में कहा गया है कि दुनिया में जड़ी बूटियों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. इस समय यह 120 अरब डॉलर है. 2050 तक इसके 7,000 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है. बयान में कहा गया है कि बड़ी संख्या में ऐसे औषधीय पौधे हैं जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाये जाते हैं. समान भू-जलवायु परिस्थितियों की वजह से ये पौधे दोनों देशों में इस्तेमाल किये जा सकते हैं. भारत जैवविविधता की दृष्टि से दुनिया के सबसे संपन्न देश में से एक है. देश में 15 कृषि जलवायु क्षेत्र हैं. पुष्प वाले पौधों की 17,000 से 18,000 किस्मों में 7,000 ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली में इस्तेमाल होता है.

सीसीईए ने पुनर्गठित बांस मिशन को 1,290 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी

सरकार ने एक लाख किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम ) को भी मंजूरी दी, जिस पर दो साल में 1,290 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 14वें वित्त आयोग (2018-19 और 2019-20) की शेष अवधि के दौरान टिकाऊ कृषि (एनएमएसए ) के राष्ट्रीय मिशन के तहत एनबीएम मंजूरी दी. यह केंद्र प्रायोजित योजना है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि 14 वें वित्त आयोग की शेष अवधि के दौरान इस मिशन पर 1290 करोड़ रुपये (जिसमें केंद्रीय की हिस्सेदारी 950 करोड़ रुपये की है ) के परिव्यय का अनुमान है. सीसीईए की बैठक की अध्यक्षता प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने की. सीसीईए ने एनबीएम के दिशानिर्देशों के निर्माण और उसने परिवर्तन करने के लिए मौजूदा कार्यसमिति का अधिकार बढ़ा दिया है.

झारखंड समेत 20 राज्यों के एक लाख किसानों को होगा फायदा

विज्ञप्ति में कहा गया है इस मिशन के तहत एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बांस लगाया जायेगा. इससे करीब एक लाख किसान सीधे लाभान्वित होंगें. मिशन कुछ खास खास राज्यों में ही बांस के विकास पर ध्यान देगा, जहां बांस से सामाजिक, वाणिज्यिक और आर्थिक लाभ अधिक हो सकता है. इन राज्यों में उत्तर पूर्वी क्षेत्र, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और केरल शामिल हैं.

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