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तीन करोड़ से ज्यादा लोग करते हैं विदेश यात्रा, टैक्स देते हैं केवल 1.5 करोड़, पीएम मोदी ने कही ये खास बात

PM Narendra Modi,Taxpayers: भारत के करदाताओं पर मोदी सरकार की पैनी नजर है. यही वजह है कि बुधवार को एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करदाताओं का जिक्र किया और चौंकाने वाले आंकड़े लोगों के समक्ष रखे. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हर भारतीय आत्ममंथन करे कि क्या […]

PM Narendra Modi,Taxpayers: भारत के करदाताओं पर मोदी सरकार की पैनी नजर है. यही वजह है कि बुधवार को एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करदाताओं का जिक्र किया और चौंकाने वाले आंकड़े लोगों के समक्ष रखे. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हर भारतीय आत्ममंथन करे कि क्या उन्हें ये स्थिति स्वीकार है? उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में देश में 1.5 करोड़ से ज्यादा कारों की ब्रिकी हुई है. तीन करोड़ से ज्यादा भारतीय कारोबार के काम से या घूमने के लिए विदेश गये, लेकिन स्थिति यह है कि 130 करोड़ से ज्यादा के हमारे देश में सिर्फ 1.5 करोड़ लोग ही आयकर देते हैं.

पीएम मोदी की अपील ईमानदार से करें कर का भुगतान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर प्रणाली को नागरिक केंद्रित बनाये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि देश में बहुत सारे लोगों द्वारा कर नहीं देने का भार ईमानदार करदाताओं पर पड़ता है. ऐसे में प्रत्येक भारतीय को इस विषय पर आत्ममंथन कर ईमानदारी से कर देना चाहिए. इसलिए मैं देशवासियों से आग्रह करता हूं कि देश के लिए अपना जीवन समर्पित करनेवालों की स्मृति में संकल्प लें कि ईमानदारी से जो टैक्स बनता है, वह देंगे. एक नागरिक के तौर पर देश हमसे जिन कर्तव्यों को निभाने की अपेक्षा करता है, वो तब पूरे होते हैं, तो देश को भी नयी ताकत और नयी ऊर्जा मिलती है. यही चीज भारत को इस दशक में भी नयी ऊंचाइयों पर ले जायेगी. आज हम दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गये हैं, जहां करदाताओं के अधिकारों को स्पष्टता से परिभाषित करने वाला करदाता चार्टर भी लागू होगा.

डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स

इस आंकड़े के बाद आइए आपको टैक्स की कुछ वस्तु स्थिति के बारे में अवगत कराते हैं. भारत सरकार की ओर से दो तरह के टैक्स वसूले जाते हैं. पहला एक डायरेक्ट टैक्स जबकि दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स…इनडायरेक्ट टैक्स गुड्स और सर्विसेड पर लगाया जाता है जिसमें जीएसटी का हिस्सा सबसे बड़ा है. जबकि डायरेक्ट टैक्स आम अदमियों और संगठनों की आय और उनके मुनाफे पर लगाने का काम सरकार करती है. डायरेक्ट टैक्स सीधे सरकार के खजाने को भरता है. बात करें डायरेक्ट टैक्स की तो किसी व्यक्ति या कंपनी की आय के आधार पर संघीय सरकार को आयकर यानी इनकम टैक्स के तौर पर भुगतान किया जाता है.

क्या आप जानते हैं भारत में टैक्स पेयर्स कौन हैं?
भारत के अंदर हर शख्‍स, कंपनी या व्यवसाय चलाने वाले आयकर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं. आयकर का दायरा यानी टैक्स स्लैब केंद्रीय बजट में सालाना निर्धारण करने का काम केंद्र सरकार करती है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 5 लाख रुपये से ऊपर की कमाई करने वालों को आयकर का भुगतान करना है.

बजट और मध्‍यम वर्ग
मोटे तौर पर देखें तो आयकर का सरकार को भुगतान करने वाले टैक्स पेयर्स ज्यादातर मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. यही लोग आयकर का भुगतान कर सरकार की छोली भरते हैं. जिनके बल पर सरकार अपनी योजनाओं पर काम करती है. इन मध्यम वर्ग के लोगों को सरकार से हर साल उनकी बेहतरी के लिए उम्मीदें रहती हैं. मध्यम वर्ग हमेशा हर बजट के दौरान सरकार से आशा करते हैं कि टैक्स स्लैब को बढ़ा दिया जाए, ताकि उनकी जेब का भार थोड़ा कम हो सके.

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