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दुमका : तकनीकी ज्ञान से ही किसानों की होगी आर्थिक उन्नति : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू

फूलो-झानो मुर्मू दुग्ध प्रौद्योगिकी कॉलेज का उदघाटन, राज्यपाल ने कहा 2022 तक प्रधानमंत्री के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसानों को तकनीकी ज्ञान से जोड़ना होगा पारंपरिक खेती से किसानों की आदमनी नहीं बढ़ सकती दुमका/हंसडीहा : दुमका जिले के हंसडीहा में वर्षों से बन कर तैयार फूलो-झानो मुर्मू दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय का सोमवार […]

फूलो-झानो मुर्मू दुग्ध प्रौद्योगिकी कॉलेज का उदघाटन, राज्यपाल ने कहा
2022 तक प्रधानमंत्री के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसानों को तकनीकी ज्ञान से जोड़ना होगा
पारंपरिक खेती से किसानों की आदमनी नहीं बढ़ सकती
दुमका/हंसडीहा : दुमका जिले के हंसडीहा में वर्षों से बन कर तैयार फूलो-झानो मुर्मू दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय का सोमवार को राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने फीता काट कर किया. पूर्वोत्तर के इस पहले डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज का उदघाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा : यह संस्थान किसानों-पशुपालकों के लिए आर्थिक समृद्धि लाने का माध्यम बनेगा. इलाके के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
आज केवल पारंपरिक खेती या धान की उपज से किसानों की आय दोगुनी नहीं हो सकती. प्रधानमंत्री के 2022 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसानों को तकनीकी ज्ञान से भी जोड़ना होगा. फिशरिज, फ्लोरीकल्चर, हॉर्टिकल्चर के साथ-साथ डेयरी से जोड़ने से ही उनकी आमद बढ़ेगी और जीवन खुशहाल होगा. इसके लिए उन्होनें इंटीग्रेटेड सिस्टम को अपनाने और सारी सुविधाओं को सिंगल विंडो में लाने पर बल दिया.
राज्य के 32 हजार एसएचजी को दुग्ध उत्पादन से जोड़ने पर बल : उन्होंने कहा कि सरकार 90 प्रतिशत अनुदान पर भी गाय दे रही है, पर उत्पादित दूध के संग्रहण और शीतलीकरण के लिए जंक्शन पॉइंट बनाना होगा, जिससे दूध की अच्छी कीमत मिले. उन्होंने राज्य के 32000 एसएचजी समूहों को भी इससे जोड़ने की जरूरत पर बल दिया. इस अवसर पर कृषि व पशुपालन मंत्री रणधीर सिंह, महिला बाल विकास व समाज कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी, गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दूबे, एसकेएम विवि के कुलपति डॉ एमपी सिन्हा, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ आरएस कुरील मौजूद थे.
सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कहा : प्रदीप यादव का राजनीति से संन्यास लेने का वक्त आ गया है
कार्यक्रम के दौरान सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कहा कि डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए 2010-11 में उन्होंने पहल की थी, तब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे और सत्यानंद झा बाटुल कृषि मंत्री. इसके लिए उन्हें काफी राजनीतिक संघर्ष भी करना पड़ा था. जब इस संस्थान का 2011 में शिलान्यास हुआ था, तब क्षेत्र के विधायक प्रदीप यादव ने कहा था कि इसकी एक भी ईंट नहीं लगेगी. लगेगी तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे.
आज विधायक कहां हैं, पता है. लगता है उनका राजनीति से संन्यास लेने का वक्त आ गया है. उन्होंने इस कॉलेज के निर्माण को लेकर ठेकेदार के आतंक की भी चर्चा की. एक वक्त था कि यह योजना ठेकेदारी की भेंट चढ़ रही थी. लेकिन आज यह कॉलेज बन गया है और शुरू भी हो चुका है. उन्होंने कहा कि झारखंड ही नहीं छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा कहीं भी डेयरी की पढ़ाई नहीं होती, ऐसे में यह संस्थान इलाके के लिए ही नहीं, राज्य के लिए भी बहुत मायने रखता है.

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