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दो कमरे में चल रहे हैं दो अस्पताल

कैसे सुधरे व्यवस्था. गांदो गांव के पीएचसी व उपकेंद्र पर विभाग की नजर नहीं एक ही कमरे में संचालित है ओपीडी व प्रसव कक्ष खाना भी बनाते हैं कर्मी, आवासन की भी सुविधा नहीं दशकों से बनी है परेशानी, सीएस को जानकारी तक नहीं दुमका : स्वास्थ्य विभाग के अजग-गजब कारनामे दुमका जिले में देखने […]

कैसे सुधरे व्यवस्था. गांदो गांव के पीएचसी व उपकेंद्र पर विभाग की नजर नहीं

एक ही कमरे में संचालित है ओपीडी व प्रसव कक्ष
खाना भी बनाते हैं कर्मी, आवासन की भी सुविधा नहीं
दशकों से बनी है परेशानी, सीएस को जानकारी तक नहीं
दुमका : स्वास्थ्य विभाग के अजग-गजब कारनामे दुमका जिले में देखने को मिलते रहे हैं. अक्सर देखने को यही मिलता है कि ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल के लिए भवन बन गये, पर उसमें स्वास्थ्य व्यवस्था संचालित नहीं हो रही. न डाॅक्टर रह रहे और न ही नर्स या दूसरे कर्मी. पर जिला मुख्यालय से 14 किमी की दूरी पर अवस्थित गांदो गांव में स्वास्थ्य विभाग का कुछ दूसरा ही स्वरूप नजर आया है. यहां एक भवन के दो कमरे में दो अलग-अलग अस्पताल संचालित हो रहे हैं. यह भवन भी महज दो कमरे का है. इसमें प्रसव से लेकर सामान्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है. कागजी तौर पर इस केंद्र में छह बेड होने चाहिए, पर तीन ही हैं.
बेड उपलब्ध होते तो लग भी नहीं पाते. दो कमरे में संचालित इस दोनों ग्रामीण अस्पताल में आठ स्वास्थ्यकर्मी पदस्थापित हैं. 24 घंटे 7 दिन की सेवा उपलब्ध है. इन्हीं दो कमरों में से एक कमरे में दीवार उठवा कर प्रसव गृह का रूप दिया गया है. बरामदे पर एक टेबल में भोजन बनाने की व्यवस्था है. गैस आदि रखे हैं. इतने भी टेबल कुर्सी यहां उपलब्ध नही है कि सारे कर्मी एक साथ कहीं बैठ सकें. जानकारी लेने पर पता चला कि इस भवन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ-साथ स्वास्थ्य उपकेंद्र भी संचालित है. ड्यूटी पर रहने वाली नर्स के लिए यह परेशानी हो जाती है कि अगर मरीज भर्ती है तो वे कहां रहे और उनके अटेंडेंट कहां.
एक ही भवन में दो-दो केंद्र चल रहे हैं. परेशानी तो होना स्वाभाविक है. जगह की कमी से मरीज को भी दिक्कत होती है. केंद्र संचालित करने में भी बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है.
आशा झा, एएनएम
24-7 सर्विस इस केंद्र में चालू है. दो यूनिट एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दूसरा उपकेंद्र का यहां संचालित है. कई जगह भवन बनें, पर यहां भवन नहीं बना. आवास भी नहीं है. दिक्कत होती है.
नमिता रानी चौधरी, एएनएम
ऐसी जानकारी हमें नहीं थी. आपके माध्यम से जानकारी हुई है. अगर ऐसा होगा, तो स्वाभाविक है कि थोड़ी-बहुत परेशानी हो रही होगी. भवन बनने तक एक सेंटर को दूसरी जगह किराये के मकान पर भी चलाने का प्रयास होगा. जल्द विजिट करूंगा.
डॉ जगत भूषण प्रसाद, सिविल सर्जन

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