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दुमका : …जब सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने कहा, अपनों की प्रताड़ना व लालच ने बना दिया नक्सली

दुमका : दुमका में महिला नक्सली पीसी दी समेत छह हार्डकोर नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. प्रतिबंधित भाकपा माओवादी संगठन के सशस्त्र दस्ते में लंबे समय से सक्रिय सदस्य रही सब जोनल मेंबर पीसी दी उर्फ प्रिसिला देवी उर्फ सावड़ी देवी दुमका जिले के काठीकुंड थाना क्षेत्र के महुआगढ़ी की रहने […]

दुमका : दुमका में महिला नक्सली पीसी दी समेत छह हार्डकोर नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. प्रतिबंधित भाकपा माओवादी संगठन के सशस्त्र दस्ते में लंबे समय से सक्रिय सदस्य रही सब जोनल मेंबर पीसी दी उर्फ प्रिसिला देवी उर्फ सावड़ी देवी दुमका जिले के काठीकुंड थाना क्षेत्र के महुआगढ़ी की रहने वाली है.
उसने बताया कि जब पहले पति रविंद्र देहरी द्वारा उसे लगातार प्रताड़ित किया जाने लगा, तब वह तंग आकर महिला ग्रुप नारी मुक्ति संघ में चली गयी. यह ग्रुप गांव-गांव एवं जंगल-पहाड़ों में घूम-घूमकर संगठन का कार्य करता था. इसी बीच 11-12 साल पहले 2007-08 में जंगल में उसकी मुलाकात प्रवील दा, ताला दा एवं विजय दा से हुई. इन लोगों ने सुविधा देने का लालच देकर भाकपा माओवादी संगठन में उसे शामिल करा दिया.
शिकारीपाड़ा के धरमपुर के रहनेवाले सिदो मरांडी उर्फ सिदो हेंब्रम पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित है. इंसास लेकर दस्ते में चलने वाला 26-27 साल का यह युवक छह साल पहले माओवादियों के दस्ते में शामिल हुआ था.
सिदो को हार्डकोर नक्सली रहे ताला दा उर्फ सहदेव राय ने प्रलोभन देकर माओवादी संगठन में शामिल कराया था. ताला जब मारा गया, तो सिदो मरांडी उर्फ सिदो हेंब्रम उर्फ कान्हू को अपनी पत्नी प्रेमशीला और उससे हुए बच्चे के भविष्य का अंदाजा होने लगा. उसे खुद और पत्नी के मारे जाने का भय सताने लगा़. उसे यह महसूस होने लगा कि उनके मारे जाने के बाद उनके बच्चे का क्या होगा.
ऐसे में उसने सोचा कि पुलिस के हाथों मारे जाने से बेहतर है कि सम्मान की जिंदगी जीने के लिए वह सरेंडर कर दे. इसके बाद पति-पत्नी ने मिलकर सरेंडर की योजना बनायी और एक साथ दोनों बच्चे को लेकर सरेंडर करने पहुंचे. सिदो पर अमरजीत बलिहार हत्याकांड, काठीकुंड थाना कांड संख्या 55/13 से लेकर शिकारीपाड़ा में 13 नवंबर 2013 को पुलिस बलों पर हमला, 16 जुलाई 2014 को लेवी के लिए गोपीकांदर के मधुबन में स्कार्पियो जला देने, 6 नवंबर 2017 को लेवी के लिए काठीकुंड के दुंदिया में पांच जेसीबी जला डालने जैसे मामले दर्ज हैं. इधर, साल भर में उसके खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. अंतिम प्राथमिकी उसके खिलाफ 21 मई 2018 को काठीकुंड थाना में दर्ज हुई थी.
सरेंडर करनेवाले नक्सलियों ने कहा : संगठन में शामिल होने के बाद गलती का हुआ एहसास
खाने-पीने में दिक्कत के कारण संगठन से जुड़ी : प्रेमशीला
प्रेमशीला ने बताया कि उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी. इस वजह से उसे रहने व खाने-पीने में दिक्कत होती थी.2015 में माओवादी दस्ता में पहले से काम कर रही उसकी मौसी की लड़की काठीकुंड के घुमनहीं गांव की ललिता पढ़ाई-लिखाई एवं बढ़िया खाना व रुपये देने का लालच देकर उसे संगठन में ले आयी. संगठन में आने के बाद ही प्रेमशीला ने सिद्धो मरांडी उर्फ सिद्धो हेंब्रम उर्फ कान्हू के साथ शादी भी रचा ली, जिससे उसे सात-आठ महीने का बच्चा भी है. बच्चे को भी प्रेमशीला अपने साथ ले गयी है.
किरण कारबाईन व पीसी दी चलाती थी एके-47
भाकपा माओवादी संगठन में सुखलाल देहरी की पत्नी पीसी दी उर्फ प्रिसिला उर्फ सावड़ी देवी और मारे गये नक्सली ताला दा उर्फ सहदेव राय की पत्नी किरण पर राज्य सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये का इनाम रखा था. पीसी दी एके-47 और किरण दी उर्फ पक्कू कार्रबाइन चलाती थी.
पीसी दी के पति सुखलाल के पास पिस्तौल था. भगत सिंह किस्कू जो दस्ते का सदस्य था, वह राइफल लेकर चलता था. 2013 में अमरजीत बलिहार कांड से पहले वह दस्ते में शामिल हुआ था. सिद्धो हेंब्रम ने इंसास के साथ आत्मसमर्पण किया. वह एसपी अमरजीत बलिहार कांड से लेकर शिकारीपाड़ा में चुनाव के दौरान पोलिंग पार्टी पर हमले जैसे वारदातों में शामिल रहा है.

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