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श्रेष्ठ है सोमवारी पर शिवलिंग-पूजन, जानें पूजा की विधि

आज श्रावण मास की प्रथम सोमवारी है. सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की पूजा और शिवलिंग पर जलार्पण का विशेष महत्व है. समुद्र मंथन से प्राप्त विष को जगत के कल्याण के लिए पी लेने वाले शिव जी के कंठ को शीतलता प्रदान करने के लिए इस दिन जल का विशेष अर्पण किया […]

आज श्रावण मास की प्रथम सोमवारी है. सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की पूजा और शिवलिंग पर जलार्पण का विशेष महत्व है. समुद्र मंथन से प्राप्त विष को जगत के कल्याण के लिए पी लेने वाले शिव जी के कंठ को शीतलता प्रदान करने के लिए इस दिन जल का विशेष अर्पण किया जाता है. सोमवार चंद्रमा का दिन है.
चंद्रमा का एक नाम हिमांशु है. यह नाम उसके शीतल गुणों के कारण है. उस गुण, जिसके कारण शिव ने गंगा की तरह उसे भी अपने मस्तक पर धारण किया. हालाहल मृत्यु का और जल जीवन का प्रतीक. दोनों के संयोग के रहस्य स्वरूप शिवलिंग का गंगाजल अथवा शीतल जल से सोमवार को अभिषिक्त करने का विशिष्ट माहात्म्य है.
सोमवारी को कैसे करें जलार्पण
श्रावण मास की सोमवारी को सवेरे तांबे के कलश में गंगाजल लें. उसमें अक्षत, सफेद चंदन मिलाएं. अब ‘ॐ नम: शिवाय’ बोलते हुए उसे शिवलिंग पर अर्पित करें. इसके बाद अक्षत, रोली, बिल्व-पत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ व घी की मिठाई चढ़ाएं. खास तौर पर शमी पत्र. यह सब यश, धन, संपदा, सुकीर्ति के लिए व जाने-अनजाने पापों के नाश की कामना करते हुए नीचे लिखे मंत्र बोल चढ़ाएं-
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
जल अर्पण, पूजा व शमी पत्र चढ़ाने के बाद शिव जी की आरती कर प्रसाद ग्रहण करें.
अभिषेक व फल
गंगाजल से : गंगाजल से सर्व सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है.
दूध से : भगवान शिव का दूध की धारा से अभिषेक करने से मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाते हैं व घर का कलह शांत होता है.
जल से : जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
घृत से : घृत यानी घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है.
इत्र से : इत्र की धारा चढ़ाने से काम, सुख व भोग की वृद्धि होती है.
शहद से : शहद के अभिषेक से टीबी रोग का क्षय होता है.
गन्ने के रस से : गन्ने के रस से आनंद की प्राप्ति होती है.
श्रावण मास की सोमवारी पर शिवलिंग पर जलार्पण का विशेष महत्व है. सोमवारी को शिवलिंग पर जलार्पण से सर्वार्थ सिद्धि योग की प्राप्ति होती है. सर्वार्थ सिद्धि योग अत्यंत शुभ है. मान्यता है कि इस योग में किया गया हर कार्य सिद्ध होता है.
चराचर जगत में देवताओं की पूजा आदि काल से चली आ रही है. पूजा का एक साधक रूप कांवर लाने व बाबा बैद्यनाथ स्थित शिवलिंग पर अर्पित करने की परंपरा का विशद रूप श्रावणी मेला है. जब भक्त कांवर लेकर जलाभिषेक के संकल्प के साथ चलते हैं, तो एक प्रश्न हमेशा उनके मन में झकझोरते रहता है- आखिर हम शिवलिंग की अर्चना क्यों करते हैं? क्या पूजा आदि करने से मानव मात्र को सुखानुभूति मिलती है? दैहिक, दैविक व भौतिक तापों से कैसे हमें निजात मिले?
मन में प्रश्नों की सुगबुगाहट तो होती है, किंतु शायद यह अनुतरित रह जाता है. वास्तव में जब हम किसी देवता को पूजते हैं, तो उनकी महिमा की जानकारी रखनी चाहिए, अन्यथा पूजा अधूरी मानी जा सकती है. पूजा का अर्थ मन को एकाग्रचितता है. कांवर लेकर आते हैं और बोल बम मंत्र का उच्चारण कर जल अर्पित कर आत्मतुष्टि भले ही पा जाने का दंभ करते हैं, किंतु वस्तुस्थिति से यह कोसों दूर रहता है.
शिवलिंग की पूजा अनादि काल से चलती आ रही है. पौराणिक ग्रंथों में लिंगार्चन को अतीव प्रमुखता दी गयी है. हालांकि शिवलिंग को निराकार परब्रह्म कहा गया है. इनका कोई मूर्त रूप नहीं है, लेकिन ऋषियों ने जो आकृति दी है, वह करोड़ों वर्ष साधना की परिणति है. ग्रंथों में कहा गया है- न तस्य प्रतिमा अस्ति.
इतना ही नहीं, भगवान रुद्र को सर्वशक्तिशाली कहा गया है- ‘एको रुद्रो न द्वितीयाय तस्यु:,’ कहने का तात्पर्य है कि एक ही रुद्र हैं, जो शिवलिंग की आकृति में समाविष्ट हैं. भगवान शिव के लिंगरूप में प्रकट होने या प्रादुर्भाव के कारणों को लिंगपुराण में आख्ययित किया गया है :
मूले बह्मा तथा मध्ये विष्णुत्रिरभुवनेश्वर: ।
रूद्रोपरि महादेव: प्रणवाख्या: सदाशिवा: ।।
सर्वे लिंगमाया लोका सर्वे लिंगे प्रतिष्ठिता ।
तस्मादभ्यर्चयेल्लिंग यदिच्छेच्छाश्वतं पदम्।।
(लिंगपुराण)
अर्थात शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में महेश्वर तथा उर्ध्वभाग में प्रणवाख्य शिव का वास है. लिङ्ग की वेदी को उमा तथा लिंग को महेश्वर की संज्ञा दी गयी है.
परब्रह्म में लीन होना चारचर लोक के जीवों की शाश्वत प्रक्रिया है. इस शाश्वत प्रक्रिया से सभी का गुजरना पड़ता है. सकल ब्रह्मांड की संरचना इसी से होती है और इसका लय भी इसी में सन्निहित है. तभी तो मैथिली के महाकवि विद्यापति ने अपने उद्गार में- ‘तोहि जनामि, पुनि तोहि समाओत’ का बखान किया है.
उपनिषदों में ‘ततो जातस्य विश्वस्य तत्रैव विलयोत:’ कहा गया है. संपूर्ण विश्व,ब्रह्मांड का आलय होने के चलते ये लिंगरूपी हैं. अब स्कंदपुराण के इस मंत्र को देखें, तो महिमा का बखान स्पष्ट है.
चराचंर जगत्सर्वं यतोलीनं सदात्र च।
तस्माल्लिंगमिति प्रोक्तं दैवे: रुद्रस्यधीमत:।।
जो भी हो, ईश्वर का सगुन साकार रूप है -लिंग. यह जगत का उपादान कारण है, मूल प्रकृति है, अनंत माया है. इसी से संपूर्ण चराचर जगत की व्यत्पत्ति होती है व सृष्टिचक्र प्रवाहित होती है. अगर इसे मानवीय पहलू से या चराचर जगत के जीवों से इतर कर दिया जाए, तो उनकी सार्थकता पर प्रश्न उठने लगता है. जिसमें यह सन्निहित नहीं है, वह जगत में ग्राह्य कतई नहीं है, तिरस्कृत है. उसमें उत्पादकता रूपी प्रतीक लक्षित नहीं होता है.
यही कारण है कि जगत में शिवलिंग की आराधना भक्त करते हैं और सांसारिक जीवन से सुखानुभूति की परिकल्पना ही नहीं साक्षात याचना किया करते हैं. पौराणिक काल में मुनियों ने जिस परंपरा को अपने तपोबल से देदीप्यमान किया, उसे मानव प्राणी कतई बिसार नहीं सकते. सांसारिक सुख के अलावा आध्यात्मिक सुखानुभूति के लिए भी भगवान शिव रूपी शिवलिंग की अर्चना करनी चाहिए.
तस्मात्तस्यार्चयेल्लिंग भुक्ति भुक्ती य इच्छति
शिवपुराण में आकाश को लिंग व वसुधा को वेदी कह कर आख्यायित किया गया है. एक साथ युक्त होने से धार्मिक महत्व की पराकाष्ठा हो जाती है. ग्रंथों के अनुसार वसुधा पर बारह ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें से देवघर स्थित बैद्यनाथ का नौवां स्थान दिया गया है. प्रसंगों में आया है कि इस वसुंधरा पर तीन बैद्यनाथ विराजमान है, जहां पर सालोंभर भक्तों का प्रवाह होता रहता है. विशेष कर सावन मास में तो करोड़ों नर-नारी आते हैं और जल अर्पित कर मन्नतें मांगते हैं.
नौकरी में मिली तरक्की तो चले डाक बम
सावन के पहली सोमवारी को डाक कांवरिया भी बाबाधाम पहुंचेंगे. डाक कांवरिया 24 घंटे के अंदर सुलतानगंज से वैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं. वे रास्ते में न तो रुकते हैं, न सुस्ताते हैं. खड़े भी होते हैं, तो कदमताल करते हुए. बेगूसराय के मोहित कुमार को नौकरी में तरक्की मिली है.
रेणु कुमारी बाबा की कृपा से पढ़ाई में आगे हुई हैं. जीवन में इन उपलब्धियों की प्राप्ति पर ये लोग डाक बम बन कर बाबा को जल चढ़ाने निकले हैं. मधुर कुमार, रोहित कुमार, गौतम कुमार, सारिका कुमारी, अमृता कुमारी, निखिल रंजन, महेश कुमार, रोशन मनोकामना की पूर्ति के लिए डाक जल लेकर निकले हैं. बाबा सबकुछ देते है, सब को देते हैं.

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