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पर्व त्योहार : मोक्ष का द्वार खोलती है मोक्षदा एकादशी

श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य मो क्षदा एकादशी का महत्व हिंदू सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी व्रत करने से मनुष्यों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. यह एकादशी हिंदू चंद्र पंचांग के अनुसार 11वें दिन यानी चंद्र मार्गशीर्ष (अग्रहायण) के महीने में चांद (शुक्ल पक्ष) के दौरान मनायी जाती है, […]

श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य
मो क्षदा एकादशी का महत्व हिंदू सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी व्रत करने से मनुष्यों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
यह एकादशी हिंदू चंद्र पंचांग के अनुसार 11वें दिन यानी चंद्र मार्गशीर्ष (अग्रहायण) के महीने में चांद (शुक्ल पक्ष) के दौरान मनायी जाती है, जो इस बार रविवार, 8 दिसंबर को है. इसे मोक्षदायिनी एकादशी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के साथ उसके पितरों के लिए भी मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. इस दिन दान का फल अनंत गुना मात्रा में प्राप्त होता है.
गीता जयंती का पर्व : मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. महाभारत युद्ध के दौरान जब अर्जुन अपने सगे-संबंधियों पर बाण चलाने से झिझक रहे थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का सार समझाया था. इसलिए इस दिन ‘गीता जयंती’ का पर्व भी मनाया जाता है.
पौराणिक मान्यता : पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण, धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं- इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए. मोक्षदा एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है. इस दिन व्रत व श्रीहरि के नाम का संकीर्तन करना चाहिए.
पूजन विधि
इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में गंगाजल छिड़कें. पूजा घर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद रोली और अक्षत से तिलक करें. फूलों से भगवान का शृंगार करें. भगवान को फल और मेवे का भोग लगाएं. सबसे पहले भगवान गणपति और फिर माता लक्ष्मी के साथ श्रीहरि की आरती करें. भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें. इसके बाद भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें या भगवद्गीता का पाठ करें. किसी निर्धन को वस्त्र या अन्नदान करें.
तिथि व शुभ मुहूर्त
मोक्षदा एकादशी तिथि : 8 दिसंबर, 2019
एकादशी प्रारंभ : 7 दिसंबर को सुबह 6:34 मिनट से
एकादशी समाप्त : 8 नवंबर को सुबह 8:29 मिनट तक
पारण का समय : 9 दिसंबर को सुबह 7:06 से 9:09 मिनट तक.

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