धनबाद : क्या देश की कोयला राजधानी अब देश की प्रदूषित राजधानी बन जायेगी? यह सवाल आज इसलिए अहम है क्योंकि ग्रीन पीस इंडिया ने एक दिन पहले ही जिले के दो शहरी क्षेत्रों धनबाद और झरिया को देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर घोषित किया है. झरिया कोलफील्ड और धनबाद को पहले भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल रखा था.
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सड़क चौड़ीकरण को काटे गये 18972 पेड़
धनबाद : क्या देश की कोयला राजधानी अब देश की प्रदूषित राजधानी बन जायेगी? यह सवाल आज इसलिए अहम है क्योंकि ग्रीन पीस इंडिया ने एक दिन पहले ही जिले के दो शहरी क्षेत्रों धनबाद और झरिया को देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर घोषित किया है. झरिया कोलफील्ड और धनबाद को पहले भी केंद्रीय […]
शहर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए पहले भी एक्शन प्लान चलाये जा चुके हैं. लेकिन इसका नतीजा अबतक सिफर रहा. इसे देखते हुए धनबाद को देश के 102 प्रदूषित शहरो के साथ वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू महत्वाकांक्षी योजना, नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल किया गया है.
इसके तहत वर्ष 2024 तक इन सभी शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाना है. इस प्रोग्राम को धरातल पर उतारने में पेड़ों की भूमिका सबसे अहम होगी. पेड़ वायु प्रदूषण को रोकने में ग्रीन शिल्ड (हरित कवच) का काम करते हैं. इसे और घना व मजबूत करने की जरूरत है, लेकिन इसकी जगह विकास के नाम पर इसे और कमजोर किया जा रहा है.
तीन साल में काटे गये पेड़ : पिछले कुछ वर्षों में (2016 से 2019 तक) विकास के नाम जिले में आधिकारिक रूप से 18972 पेड़ काट डाले गये हैं. इन पेड़ों में 80 फीसदी से अधिक 60 वर्ष से 100 वर्ष पुराने थे. वहीं शेष 20 प्रतिशत पेड़ 30 वर्ष से अधिक के थे. इन पेड़ों को अलग-अलग सड़क चौड़ीकरण योजना के लिए काटा गया है. सिटी सेंटर से बरवाअड्डा फोरलेन सड़क के लिए 416 पेड़, काको चौक से गोल बिल्डिंग तक आठ लेन सड़क के लिए 8322 पेड़ काट डाले गये.
हालांकि पहले इनमें से करीब 450 अधिक उम्र के पेड़ों को दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन इन पेड़ों के तने की मोटाई शिफ्टिंग के लिए अनुपयुक्त बता कर उन्हें काट दिया गया. इसी तरह गोविंदपुर-महुदा फोरलेन सड़क के लिए 3142 पेड़ काटे गये. गोविंदपुर-गिरिडीह सड़क चौड़ीकरण के दौरान 7097 पेड़ों की बलि ली गयी. इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक पेड़ों की आयु 100 वर्ष से अधिक थी.
इनके साथ ही एनएच दो को सिक्स लेन बनाने के लिए बरवाअड्डा से चिरकुंडा तक छह हजार से अधिक पेड़ काट डाले गये हैं. यह उन कटे हुए पेड़ों के अधिकारिक आंकड़ें हैं जिन्हें केवल सड़कों के चौड़ीकरण के लिए काटा गया है. शहर में बस रहे नये इलाकों और कोयला खदानों के विस्तार के लिए पेड़ों की कटाई की गयी है. लेकिन इनके स्थान पर पौधरोपण कामयाब साबित नहीं हो रहा है.
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