धनबाद : 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में धनबाद को देश में 56 वां रैंक मिला. यह पिछले साल (53 वां रैंक) से तीन रैंक कम है. निगम के अधिकारियों का तर्क है कि पिछले साल 4041 और इस बार 4237 शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ. लिहाजा रैंक थोड़ा पीछे चला गया. यह भी तर्क दिया गया कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का धरातल पर नहीं उतरना बड़ा कारण बना.
जानकार बताते हैं कि पब्लिक फीड बैक व स्वच्छता टीम के डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन की बदौलत ही धनबाद को 56 वां रैंक मिल पाया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को दिल्ली में आयोजित समारोह में स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के स्वच्छ शहरों की सूची जारी की.
पांच हजार में 3190 अंक मिले : इस बार पांच हजार अंकों का स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ. प्रत्येक केटेगरी में 1250 अंक निर्धारित थे. इस बार स्वच्छता की टीम कब आयी और कब सर्वेक्षण किया, इसकी जानकारी गोपनीय रखी गयी. धनबाद आयी स्वच्छता टीम ने डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन कर 1190 अंक दिये. पब्लिक फीड से धनबाद के खाते में 1044 अंक जुड़े. हालांकि सर्विस लेवल व सर्टिफिकेशन में धनबाद की स्थिति खराब रही. सर्विस लेवल में 406 व सर्टिफिकेशन (डॉक्यूमेंटेशन) में 550 अंक ही मिले. पांच हजार में कुल 3190 अंकों के साथ धनबाद 56 वां रैंक पर रहा.
राज्य में स्थिति सुधरी : राज्य में जमशेदपुर को पहला, रांची को दूसरा व धनबाद को तीसरा स्थान मिला है. पिछले साल राज्य में धनबाद छठे स्थान पर था. बताते चलें कि 2016 में देश भर में स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया. दस लाख की आबादी वाले 73 शहरों के बीच सर्वेक्षण कराया गया. इसमें सबसे अंतिम पायदान पर धनबाद था.
धनबाद को सबसे गंदा शहर बताया गया. इसके बाद धनबाद लगातार तेजी से स्वच्छता की दिशा में काम कर रहा है. वर्ष 2017 में 434 शहरों में धनबाद को 109 वां स्थान मिला था. वर्ष 2018 में 4041 शहरों में धनबाद को 53 वां रैंक मिला.
इस कारण पीछे रहा रैंक : रैंक पीछे होने का एक बड़ा कारण सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का धरातल पर नहीं उतरना है. रांची व जमशेदपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर काम हो रहा है. इसके अलावा समय पर वार्डों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन न होना, यूजर चार्ज के लिए एजेंसी की नियुक्ति नहीं होना, मेन पावर व संसाधनों की कमी, स्वच्छता सर्वेक्षण के चार माह पहले नगर आयुक्त का तबादला भी कारण हैं.