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धनबाद : ‘बोड़ो आशा कोरे एसेछी गो काछे डेके नाओ…’

संजीव झा धनबाद : 12 वर्षों में 53 हजार परिवार को पुनर्वासित करने का था लक्ष्य. लेकिन दस वर्ष बीत जाने के बाद अब तक लगभग 26 सौ परिवार को ही सुरक्षित स्थान पर बसाया जा सका है. वर्ष 2009 में मंजूर झरिया मास्टर प्लान में अब संशोधन की तैयारी चल रही है. लोकसभा चुनाव […]

संजीव झा
धनबाद : 12 वर्षों में 53 हजार परिवार को पुनर्वासित करने का था लक्ष्य. लेकिन दस वर्ष बीत जाने के बाद अब तक लगभग 26 सौ परिवार को ही सुरक्षित स्थान पर बसाया जा सका है. वर्ष 2009 में मंजूर झरिया मास्टर प्लान में अब संशोधन की तैयारी चल रही है. लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले प्रभावित इलाका में सर्वे कार्य पूरा करने की योजना भी अधूरी रह गयी. स्थायी अधिकारी नहीं रहने तथा फंड की कमी के कारण भी काम में अपेक्षित गति नहीं आ पा रही है.
कहां फंस रहा मामला
बेलगड़िया के अलावा दूसरे स्थानों पर जमीन अधिग्रहण में समस्या आ रही है. जमीन की समस्या को देखते हुए जेआरडीए प्रबंधन कई विकल्पों पर विचार कर रहा है. इसमें मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के अलावा पीएम आवास योजना की तर्ज पर तीन मंजिला भवन बना कर विस्थापितों को मकान देने की योजना शामिल है. मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में मेंटेनेंस की बड़ी समस्या आ रही है. वहीं पीएम आवास योजना की तर्ज पर मकान बनाने के प्रस्ताव पर एचपीसीसी की मंजूरी जरूरी है. धनबाद से लेकर दिल्ली तक संचिका पर आदेश लेने की लंबी प्रक्रिया में भी प्रोजेक्ट डिले हो जा रहा है.
कट ऑफ डेट को लेकर भी जिच बरकरार
भू-धंसान प्रभावितों की पहचान के लिए कट ऑफ डेट को लेकर भी बराबर जिच रहा है. कभी वर्ष 2004 तो कभी वर्ष 2009 का कट ऑफ डेट पर पुनर्वास का लाभ देने की बात होती रही है.
अभी ताजा प्रयास यह है कि जो भी लोग खतरनाक इलाका में रह रहे हैं, उन्हें पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाये. सर्वे पूर्ण होने के बाद एचपीसीसी की बैठक में इस मुद्दे पर फैसला होना है. इसके लिए मास्टर प्लान में संशोधन करना पड़ेगा. वर्तमान मास्टर प्लान के अनुसार 53 हजार परिवार को पुनर्वासित करने की बात कही गयी है, जबकि अब तक की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या बढ़ कर 95 हजार तक जा सकती है. मास्टर प्लान में इस योजना के लिए 72 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. संशोधन हुआ तो प्रोजेक्ट की राशि भी बढ़नी तय है.
धनबाद जिला के कोयला बहुल इलाका के अलावा रानीगंज (पश्चिम बंगाल) के भू-धंसान एवं अग्नि-प्रभावित इलाका के लोगों के पुनर्वास के लिए झरिया मास्टर प्लान तैयार किया गया है. वर्ष 2008 मार्च तक के आधार पर तैयार इस मास्टर प्लान को मंजूरी 12 अगस्त 2009 को मिली थी. उस वक्त कहा गया था कि इस योजना को अगले 12 वर्षों में यानी अगस्त 2021 तक पूरा कर लिया जायेगा. लेकिन, आज लगभग दस वर्ष बीत जाने के बावजूद कोयलांचल में भू-धंसान एवं अग्नि-प्रभावित इलाका में रह रहे लोगों की पहचान का काम तक पूरा नहीं हो पाया है.
धनबाद एवं रानीगंज के 23 साइट पर अब भी सर्वे कार्य चल रहा है. सर्वे कार्य पूर्ण होने के बाद इसे झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (जेआरडीए) के कार्यों पर नजर रखने के लिए कोयला सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति (एचपीसीसी) से मंजूरी लेनी होगी. जो हालत है लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले सर्वे कार्य पूर्ण होना मुश्किल है.

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