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महागठबंधन बनने से बढ़ा है कांग्रेसियों का उत्साह: क्या कांग्रेस तोड़ पायेगी भाजपा का चक्रव्यूह ?

-दो दर्जन नेताओं की है धनबाद सीट पर नजरधनबाद : क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस धनबाद में भाजपा के चक्रव्यूह को तोड़ पायेगी. विपक्षी दलों के महागठबंधन बनने के बाद भी इस सवाल का सटीक जवाब किसी के पास नहीं है. हालांकि, महागठबंधन बनने से कांग्रेसियों का मनोबल बढ़ा हुआ है. इस सीट […]

-दो दर्जन नेताओं की है धनबाद सीट पर नजर
धनबाद :
क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस धनबाद में भाजपा के चक्रव्यूह को तोड़ पायेगी. विपक्षी दलों के महागठबंधन बनने के बाद भी इस सवाल का सटीक जवाब किसी के पास नहीं है. हालांकि, महागठबंधन बनने से कांग्रेसियों का मनोबल बढ़ा हुआ है. इस सीट पर धनबाद तथा बाहर के भी कई नेताओं की नजर है.

कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा इसको लेकर न केवल कांग्रेसी बल्कि विरोधी भाजपा के सदस्य भी उत्सुक हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि प्रत्याशी कोई स्थानीय नेता होगा या फिर कोई बोरो प्लेयर यहां उतरेगा. धनबाद से बाहर के कई नेता भी टिकट के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं. धनबाद लोकसभा सीट से कुल 21 नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है. हालांकि इसमें पांच-छह प्रत्याशी ही गंभीर बताये जाते हैं. इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार का नाम भी शामिल है.

डॉ अजय कुमार
भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में आने वाले डॉ अजय कुमार जेवीएम प्रत्याशी के रूप में एक बार जमशेदपुर से सांसद रहे हैं. कांग्रेस में आने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष रहने के कारण उनकी ऊपर में मजबूत पकड़ है. हालांकि, उनकी पहली पसंद जमशेदपुर सीट बतायी जा रही है. महागठबंधन में जमशेदपुर सीट कांग्रेस के खाते में जाने के बाद उनकी धनबाद सीट पर रुचि घटी है. हालांकि धनबाद सीट से दावा नहीं छोड़ा है.

राजेंद्र प्रसाद सिंह
कांग्रेस के कद्दावर नेता तथा पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह इस बार दिल्ली जाने के लिए पूरी ताकत लगाये हुए हैं. कई बार गिरिडीह लोकसभा सीट से भाग्य आजमा चुके श्री सिंह ने धनबाद से टिकट के लिए आवेदन दिया है. इंटक तथा राकोमसं में महत्वपूर्ण पदों पर रहने के कारण कोयलांचल की मजदूर राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ रही है. धनबाद में बाहरी वोटरों की बहुलता को देखते हुए वे यहां से लड़ना चाहते हैं. हालांकि बढ़ती उम्र व धनबाद की राजनीति से कटे रहने के कारण उन्हें परेशानी हो सकती है.

चंद्रशेखर दुबे
चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे एक बार फिर धनबाद से लड़ने को तैयार हैं. कई बार विधायक व बिहार व झारखंड सरकार में मंत्री रह चुके श्री दुबे की पहचान एक लड़ाकू जन प्रतिनिधि के रूप में रही है. मूलत: पलामू के रहने वाले श्री दुबे को 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने धनबाद सीट से उतारा. उस चुनाव में उन्होंने शानदार जीत हासिल की. लेकिन 2009 में हार गये. उनके खिलाफ बाहरी होने का आरोप लगता रहा है. 2014 के चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से चुनाव लड़ा. लेकिन अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये.

अजय कुमार दुबे
2014 के चुनाव में धनबाद से कांग्रेस का टिकट लेकर सबको चौंकाने वाले अजय कुमार दुबे इस बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. मोदी लहर में ढाई लाख वोट ला कर भी लगभग तीन लाख वोट से हारने के कारण विरोधी उनका टिकट कटवाने में लगे हुए हैं. साथ ही पिछले पांच वर्षों के दौरान स्थानीय राजनीति से अपने को दूर रखा हुआ है. उनकी ज्यादा सक्रियता दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में ही है.

विजय कुमार सिंह
वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में धनबाद सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके विजय कुमार सिंह एक बार फिर चुनाव लड़ने को ताल ठोंके हुए हैं. पिछले कुछ समय से उनकी सक्रियता काफी बढ़ी हुई है. यहां से दिल्ली तक लॉबिंग किये हुए हैं. लंबे समय तक धनबाद युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहने के कारण कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ है. कभी कांग्रेस नहीं छोड़ा.

मयूर शेखर झा
कांग्रेस सोशल मीडिया सेल झारखंड के संयोजक मयूर शेखर झा पत्रकारिता से राजनीति में आये हैं. पिछले कुछ वर्षों से धनबाद की राजनीति में सक्रिय हैं. पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं. दिल्ली दरबार में पहुंच के कारण टिकट के गंभीर दावेदार बने हुए हैं. लेकिन स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतना बड़ी चुनौती होगी.

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