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कोयलानगरी में मौसम की बेरुखी से कहीं ज्यादा है राजनीतिक तपिश, पशुपतिनाथ सिंह के सामने हैट्रिक लगाने की चुनौती

कीर्ति आजाद के मैदान में उतरने से देशभर की नजर धनबाद से अनुराग कश्यप धनबाद लोकसभा के लिए अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं. इस सीट पर छह बार कांग्रेस और छह बार भाजपा का कब्जा रहा है. इस बार दो महिला समेत 20 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. दोस्त के दुश्मन और दुश्मन […]

कीर्ति आजाद के मैदान में उतरने से देशभर की नजर
धनबाद से अनुराग कश्यप
धनबाद लोकसभा के लिए अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं. इस सीट पर छह बार कांग्रेस और छह बार भाजपा का कब्जा रहा है. इस बार दो महिला समेत 20 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. दोस्त के दुश्मन और दुश्मन के दोस्त बनने जैसे नजारे के बीच भाजपा से पशुपतिनाथ सिंह और कांग्रेस से कीर्ति झा आजाद आमने-सामने हैं. दो बार (2009 व 2014) से धनबाद से सांसद चुने जा रहे पशुपति सिंह के सामने हैट्रिक लगाने की, तो कीर्ति आजाद के सामने ब्रांड बचानेे की चुनौती है.
सिंह के समर्थक राष्ट्रवाद के गुब्बारे में हवा भर रहे हैं, तो आजाद के समर्थक विकास के पहिये को पंचर बता वोट मांग रहे हैं. भाजपा के फिर एक बार मोदी सरकार और कांग्रेस के ‘अब होगा न्याय’ के नारों के बीच धनबाद में चुनाव का कोई मुद्दा न तो बन पाया है और न बन पाने की उम्मीद है. भाजपा खेमे ने कीर्ति झा आजाद को बाहरी बताना शुरू किया है, तो कांग्रेस समेत महागठबंधन खेमा पशुपतिनाथ सिंह को किसी काम का नहीं बता रहा है.
बिहार के पूर्व सीएम भागवत झा आजाद के पुत्र, 1983 की वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य और लगातार तीन बार (1999, 2009 और 2014 में) बिहार के दरभंगा से सांसद रहे आजाद के नयी दिल्ली से आकर चुनाव मैदान में उतरने की स्थिति में धनबाद सीट पर सभी की नजर है. दूसरी तरफ प्रत्याशियों की सक्रियता और नारों के शोर के बीच मतदाता एकदम खामोश हैं.
पशुपतिनाथ सिंह, भाजपा
संभावनाएं
धनबाद लोकसभा में धनबाद व बोकारो दो जिलों के छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. चंदनकियारी (बोकारो जिला) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. शेष पांच विधानसभा क्षेत्र बोकारो, सिंदरी, निरसा, धनबाद और झरिया अनारक्षित हैं.
इनमें निरसा को छोड़कर पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. साथ ही बीते ढाई दशक के चुनावी संग्राम पर नजर डालते हैं, तो धनबाद सीट पर भाजपा का दबदबा ही दिखाई देता है. वर्ष 1991 से 2014 तक हुए सात चुनाव में छह बार धनबाद सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. झारखंड राज्य बनने के बाद हुए तीन लोकसभा चुनावों (वर्ष 2004, 2009 व 2014) में कुल 11 प्रत्याशी एक लाख से अधिक मतों से विजयी हुए हैं. इनमें सबसे अधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड पिछले चुनाव में धनबाद से पशुपतिनाथ सिंह ने ही बनाया. वर्ष 2014 में श्री सिंह ने कांग्रेस के अजय कुमार दुबे को 2,92,954 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी.
2014 के चुनाव में श्री सिंह को कुल 5,43,491 मत मिले थे, जबकि उनके निकट प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अजय कुमार दुबे को 2,50, 537 मत ही मिल पाये था. इससे पहले धनबाद से सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड भाजपा की ही प्रो रीता वर्मा के नाम था. 1998 के चुनाव में प्रो वर्मा ने 1,78,000 मतों से जीत हासिल की थी.
चुनौतियां
झाविमो और मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) द्वारा प्रत्याशी खड़ा करने के कारण वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा विरोधी दो लाख से अधिक मतों का विभाजन हुआ था.
इस बार महागठबंधन होने की दशा में कांग्रेस को उसका लाभ मिलने की उम्मीद है, जो भाजपा प्रत्याशी सिंह के लिए एक चुनौती है. झरिया से भाजपा विधायक संजीव सिंह के छोटे भाई सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं. कोयलांचल के प्रभावशाली राजनीतिक घराने सिंह मैंशन परिवार और मजदूर संगठन जनता मजदूर संघ के बल पर सिद्धार्थ जो वोट लाते हैं, वह सीधे तौर पर भाजपा का नुकसान होगा. इस नुकसान को कम-से-कम होने देना श्री सिंह की चुनौती है.
कीर्ति झा आजाद, कांग्रेस
संभावनाएं
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय कुमार दुबे को 2,50, 537 मत मिले थे. झाविमो प्रत्याशी के रूप में खड़े सूबे के पूर्व मंत्री समरेश सिंह को 90,926 और मासस के आनंद महतो को 1,10,185 वोट मिले थे. इस बार महागठबंधन के कारण झाविमो व मासस ने प्रत्याशी खड़े नहीं किये हैं.
दोनों दलों ने कांग्रेस प्रत्याशी कीर्ति झा आजाद का समर्थन किया है. समरेश सिंह ने व्यक्तिगत रूप से भी श्री आजाद को समर्थन की घोषणा की है. इसके अलावा झामुमो व वामपंथी दलों का भी साथ मिल रहा है. पिछले चुनाव के मतों का गणित और इस चुनाव में बना राजनीतिक गठबंधन साध पाने की दशा में श्री आजाद भाजपा को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में दिखते हैं.
चुनौतियां
वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशव्यापी सहानुभूति लहर और 2004 में तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी रीता वर्मा के प्रति एंटी इनकंबेंसी के कारण धनबाद में कांग्रेस की जीत हुई.
जैसे 2004 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रशेखर दुबे ने रीता वर्मा के प्रति एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाया, वैसे ही इस चुनाव में लगातार पिछले दो बार सांसद चुने जा रहे भाजपा प्रत्याशी पशुपतिनाथ सिंह के प्रति उदासीन मतदाताओं का वोट समेटने की कोशिश में जुटे आजाद के सामने कई चुनौतियां हैं. भाजपा की ओर से बाहरी बताये जाने के जवाब में खुद को धनबाद की जनता से जोड़ने की ठोस रणनीति आजाद के लिए एक चुनौती है. कांग्रेसियों द्वारा भीतरघात आजाद के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
पूर्व सांसद चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे को टिकट नहीं मिलने से उनके समर्थक नाराज है. धनबाद आते ही ददई समर्थकों का विरोध भी आजाद झेल चुके हैं. आजाद के सामने धनबाद के विभिन्न कोलियरी क्षेत्रों में सक्रिय ददई दुबे के यूनियन से जुड़े नेताओं-कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेने की चुनौती है. इसके अलावा भी श्री आजाद के सामने धनबाद में कई गुटों में बंटे कांग्रेसियों को एक साथ लेकर चलने की चुनौती है.
2014 का परिणाम
पशुपतिनाथ सिंह, 5,43,491 47.51 %
अजय कुमार दुबे, कांग्रेस 2,50,537 21.90 %
आनंद महतो, मासस 1,10,185 9.63 %
समरेश सिंह, झाविमो 90,926 7.95 %
वोट समीकरण
कुल मतदाता20,48,559
पुरुष 11,13,199
महिला9,35,360
शहरी मतदाता62 %
ग्रामीण मतदाता38 %
अनुसूचित जाति16 %
अनुसूचित जनजाति08 %

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