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सीमावर्ती तिलैया पहाड़ी में जुटे 25 नक्सली, ग्रामीणों में दहशत !

सनसनी :बिहार-झारखंड की सीमा पर है तिलैया पहाड़ सीमा पर कथित नक्सली की बढ़ी गतिविधियां बमबाजी में घायल का झोलाछाप डॉक्टर से कराया इलाज, ऑटो चालक को पीटा रिखिया पुलिस को भी रविवार को दी गयी सूचना देवघर :रिखिया थाना क्षेत्र में पड़ने वाले बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित तिलैया पहाड़ी में कथित तौर पर […]

सनसनी :बिहार-झारखंड की सीमा पर है तिलैया पहाड़

सीमा पर कथित नक्सली की बढ़ी गतिविधियां
बमबाजी में घायल का झोलाछाप डॉक्टर से कराया इलाज, ऑटो चालक को पीटा
रिखिया पुलिस को भी रविवार को दी गयी सूचना
देवघर :रिखिया थाना क्षेत्र में पड़ने वाले बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित तिलैया पहाड़ी में कथित तौर पर नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ी है. नक्सल गतिविधियां होने से इस इलाके के ग्रामीणों में दहशत है. कुछ लोगों ने तिलैया पहाड़ी के जंगलों में पिछले चार-पांच दिनों से 20-25 अज्ञात लोगों को बैठक करते हुए देखा था. बताया जाता है कि सभी दोपहर में जंगल व पहाड़ी पर रहते हैं, रात में बारिश के दौरान तिलैया स्कूल में शरण लेते हैं. सूत्रों के अनुसार, दो दिन पहले जंगल में बम फटने से उसी ग्रुप का एक व्यक्ति घायल हो गया था, जिसका इलाज विशनपुर गांव के एक झोलाछाप डॉक्टर ने किया था.
झोलाछाप डॉक्टर को उक्त लोग दो हजार रुपये भी दे रहे थे, लेकिन उसने लेने से इंकार कर दिया. बताया जाता है कि शनिवार को बिहार तीनसिमानी गांव का एक ऑटो चालक अपना ऑटो लेकर तिलैया गांव में सवारी छोड़ने गया था, इस दौरान ऑटो ड्राइवर की नजर पहाड़ी के किनारे भटकते हथियार से लैस उक्त लोगों पर पड़ी. इसी क्रम में हथियार से लैस अज्ञात लोगों ने ऑटो ड्राइवर को बंधक बनाकर मारपीट की थी. ऑटो ड्राइवर ने काफी हाथ-पैर जोड़ा, तब उसे किसी को नहीं बताने की धमकी देते हुए छोड़ा गया. पूरे घटनाक्रम की सूचना रिखिया थाना की पुलिस को भी रविवार को दी गयी है, हालांकि रविवार शाम तक पुलिस की कोई मूवमेंट इस मामले में अभी तक नहीं हुई है.
तिलैया पहाड़ी में मुठभेड़ में मारा गया था राजेश मांझी
बिहार सीमा से सटे तिलैया पहाड़ी के घने जंगल में 10 साल पहले भी नक्सलियों की गतिविधियां रही है. तिलैया पहाड़ी में 25 जनवरी 2009 को पुलिस के मुठभेड़ में उग्रवादी संगठन जेपीसी के कथित एरिया कमांडर राजेश मांझी मारा गया था. पुलिस ने राजेश का एनकाउंटर किया था. उसके बाद इस इलाके में ऐसी गतिविधियां थम गयी थी. एक बार फिर से हथियारों से लैस अज्ञात लोगों के देखे जाने से किसान अपने खेतों की ओर जाने से डर रहे हैं.

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