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रांची :18 साल बीत गये पर रांची नहीं बना रेलवे जोन, इन कारणों से लेट होती हैं ट्रेनें

राजेश झा/राजकुमार लाल/प्रणव सिंह संयुक्त बिहार के कई नेता रेलमंत्री रहे लेकिन नहीं दिया गया ध्यान, पूर्व मुख्यमंत्रियों से लेकर कई सांसदों ने उठायी है आवाज रांची : झारखंड राज्य बने हुए 18 साल बीत चुके हैं, तब से या यूं कहें कि उसके पहले से रांची को रेलवे जोन बनाने की मांग की जा […]

राजेश झा/राजकुमार लाल/प्रणव सिंह
संयुक्त बिहार के कई नेता रेलमंत्री रहे लेकिन नहीं दिया गया ध्यान, पूर्व मुख्यमंत्रियों से लेकर कई सांसदों ने उठायी है आवाज
रांची : झारखंड राज्य बने हुए 18 साल बीत चुके हैं, तब से या यूं कहें कि उसके पहले से रांची को रेलवे जोन बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन आज तक अधूरी है. एक अप्रैल 2003 को हाजीपुर में रेलवे का नया जोन बना था.
उस वक्त भी रांची को जोन बनाने की मांग उठी थी, लेकिन साल बीतता गया और मांग वहीं की वहीं रही. हालांकि राज्य बनने के एक अप्रैल 2003 को ही रांची में रेल मंडल का कार्यालय खोला गया . जिसके बाद से लगातार इसकी आवाज उठायी जाने लगी. पूर्व रेलमंत्री रामविलास पासवान,नीतीश कुमार, लालू प्रसाद सहित अन्य रेलमंत्री के अलावा वर्तमान रेलमंत्री पीयूष गोयल के सामने भी इसका प्रस्ताव रखा गया लेकिन आज तक यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका है. इस संबंध में कई बार पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर अन्य मुख्यमंत्री व सांसदों ने भी इसकी मांग उठायी लेकिन इस पर कोई पहल नहीं हो सकी.
20 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व
रेलवे को धनबाद व चक्रधरपुर डिवीजन को मिला कर सालाना 20 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिल रहा है. इसमें रांची डिवीजन को जोड़ दिया जाये तो राजस्व में अौर इजाफा हो जायेगा .
दस हजार लोगों को रोजगार मिलेगा
जानकारों के मुताबिक रांची को अगर जोन बना दिया जाता है तो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से दस हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा . इसके अलावा लगभग डेढ़ हजार से अधिक रेलकर्मी आयेंगे. जिससे यहां का विकास अौर तेजी से होगा.
बेहतर तरीके से समन्वय होगा
जोनल कार्यालय के खुल जाने से राज्य सरकार व महाप्रबंधक कार्यालय के बीच बेहतर तरीके से समन्वय हो पायेगा. मालूम हो कि राज्य में तीन जोन के हिस्से हैं. जिसमें मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे व पूर्व रेलवे का हिस्सा है.
तीनों के महाप्रबंधक अलग-अलग जगहों पर बैठते हैं. इसके अलावा रांची को अंतराष्ट्रीय स्तर का स्टेशन बनाने में काफी मदद मिलेगी. वहीं रांची से बेहतर सुपरफास्ट ट्रेनों का परिचालन शुरू कराने से लेकर कोच व अन्य छोटी-छोटी समस्याअों के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. यह सभी सुविधाएं यहां उपलब्ध होंगी, जिसका सीधा फायदा यहां के यात्रियों को मिलेगा.
उठती रही हैं मांगें पहल का है अब तक इंतजार
रांची़ झारखंड रेलवे को लगभग 20 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व देता है, लेकिन इसका लाभ राज्य के लोगों को नहीं मिलता है. यहां रेलवे की सुविधाएं बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों व संगठनों ने अपनी मांग रखी है, पर अभी भी उन पर पहल किये जाने का इंतजार है.
रेलवे से सांसदों-विधायकों की क्या है चाहत
रामगढ़ के अनगड़ा में कोल इंडिया के साथ मिल कर आइआरसीटीसी रेल नीर प्लांट लगाने में सहायता करें, राजधानी को सप्ताह में चार दिन के बजाय सातों दिन चलाया जाये, वाया बोकारो होकर चलनेवाली राजधानी को लोहरदगा वाया टोरी लाइन से चलाया जाये, हटिया-हावड़ा-हटिया क्रियायोग ट्रेन में एलएचबी कोच लगे, हटिया से संकी वाया रांची-नामकुम-टाटीसिलवे-बीआइटी होते हुए ट्रेन जल्द चले.
बंद कर दिये गये समर इंटर्नशिप प्रोग्राम को फिर चालू करें, रांची में राजधानी ट्रेन के लिए बेस किचेन का निर्माण हो, रांची व हटिया स्टेशन में प्री-पेड टैक्सी व ऑटो बूथ खोले जायें,एप सर्विस कैब हटिया व रांची स्टेशन से शुरू हो, रांची व हटिया स्टेशन में कुलियों की संख्या बढ़ायी जाये, उनको लाइसेंस मिले, एंबुलेंस की व्यवस्था स्टेशन के पास की जाये, रांची स्टेशन में पीने के पानी का समुचित व्यवस्था हो, रांची स्टेशन आनेवाले यात्रियों के लिए दूसरे द्वार के पहुंच पथ का गतिरोध समाप्त हो, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आइआरसीटीसी क्षेत्रीय कार्यालय खोले, रांची व हटिया स्टेशन में पार्थिव शरीर को रिम्स तक ले जाने के लिए समुचित जगह व वाहन की व्यवस्था की जाये, रांची व हटिया स्टेशन में जगह-जगह पर मनोरंजन व जानकारी के लिए टीवी लगे.
रांची स्टेशन के पास एसपी के लिए अलग से पुलिस पोस्ट की व्यवस्था हो, महिलाओं के लिए स्टेशन पर अलग से रूकने के लिए कमरे बनाये जायें, रांची में रेसिडेंट कमिश्नर के लिए ऑफिस बने, रांची व हटिया स्टेशन के पास आइआरसीटीसी द्वारा सस्ते होटल की व्यवस्था करे, ट्रेनों में जल्द लोडिंग करने के लिए कमेटी का गठन हो, रांची में विजिलेंस अधिकारी की नियुक्ति डिवीजन स्तर पर की जाये, हटिया स्टेशन के समीप स्थायी मार्केट का निर्माण हो, पिस्का स्टेशन के बगल में फ्लाइओवर बनाया जाये, पुंदाग के पास अंडरपास सब-वे का निर्माण किया जाये
चेंबर ने रेल मंत्री व चेयरमैन को लिखा है पत्र
नवनिर्मित रांची-टोरी लाइन काे डबलिंग करने व टोरी लाइन से राजधानी ट्रेन को चलायें, बड़काकाना लाइन से जानेवाली राजधानी का मेंटेनेंस बोकारो व रांची में हो, सप्ताह में एक दिन चलनेवाली धरती आबा एक्सप्रेस दो दिन चले,रांची-अहमदाबाद, लखनऊ और हरिद्वार के लिए नई ट्रेन दी जाये,रांची रेल डिवीजन से खुलने वाली ट्रेनों में नई कोच, बेड रोल, सफाई, सुरक्षा, उत्तम क्वालिटी के भोजन की व्यवस्था हो, सप्ताह में दो दिन चलने वाली हटिया-एलटीटी एक्सप्रेस सप्ताह में चार दिन चले, रांची-टोरी वाया लोहरदगा ट्रेन में टूरिस्ट कोच लगाये जायें, रांची-हावड़ा क्रियायोग एक्सप्रेस ट्रेन के बोगी को एलएचबी कोच में बदलें, बीआइटी स्टेशन को दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन में करें,रांची रेल डिवीजन में आइआरसीटीसी के वरीय अधिकारियों की नियुक्ति की जाये,मालदा टाउन सूरत एक्सप्रेस, पुणे-हटिया सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस और हैदराबाद रक्सौल एक्सप्रेस का ठहराव दो मिनट के लिए रायगढ़ में हो,हटिया और दुर्ग के बीच दैनिक ट्रेन परिचालन करे.
राष्ट्रीय रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण आज
रांची़ रेलवे की ओर से 64वें राष्ट्रीय रेल सप्ताह के तहत हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित करने के लिए 14 जुलाई को रांची में सम्मान समारोह का आयोजन किया जायेगा. यह कार्यक्रम आरडीसीआइएस, सेल सभागार में होगा. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री रघुवर दास, रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी चन्नबसप्पा, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव, रेलवे कोर्ड के सदस्य व विभिन्न जोनों के जीएम आिद भाग लेंगे.
यह शनिवार को ली गयी रांची-लोहरदगा ट्रेन की तस्वीर है़, जिसमें रेलमपेल भीड़ है. झारखंड में अभी भी रेल नेटवर्क काफी कम है़ जो ट्रेनें चल रही हैं उनकी संख्या भी मांग के हिसाब से कम है जिसका नतीजा यह होता है कि ट्रेनों में खूब भीड़ होती है
इन कारणों से लेट होती हैं ट्रेनें
रांची : रांची रेल डिवीजन में जेनरेटर कार व रैक की कमी के कारण रांची व हटिया से खुलने वाली ट्रेनें अक्सर विलंब हो जाती हैं. डिवीजन में पिछले कई महीनों से कोच व जेनरेटर कार की कमी है. डिवीजन को 809 कोच की जरूरत है, लेकिन 736 कोच से ही काम चलाना पड़ रहा है. वहीं 11 जेनरेटर कार की आवश्यकता है, लेकिन 10 ही उपलब्ध है.
हाल के दिनों में हटिया-पुणे एक्सप्रेस, धरती आबा एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनें विलंब से गंतव्य के लिए रवाना हुईं. रेल प्रबंधन द्वारा ट्रेनों की समय सारिणी में परिवर्तन करने की घोषणा की गयी, जिससे यात्रियों को इंतजार करना पड़ा. स्टेशन पर हंगामा भी हुआ. रेलवे के अधिकारी ने बताया कि 10 जेनरेटर कार में एक-दो अक्सर खराब ही रहते हैं. अगर किसी ट्रेन का जेनरेटर कार खराब हो जाता है तो रांची रेल डिवीजन में आनेवाली ट्रेन का इंतजार किया जाता है. ट्रेन आने के बाद दो से तीन घंटे जेनरेटर कार बदलने में लगता है. इसके बाद ट्रेन रवाना होती है.
वहीं, रांची रेल डिवीजन में 202 अनारक्षित कोच की आवश्यकता है. जबकि डिवीजन को महज 176 कोच ही उपलब्ध कराया गया है. इस कारण चौपण एक्सप्रेस, बनारस इंटरसिटी, रांची- लोहरदगा सहित अन्य पैसेंजर ट्रेनों में कोच की संख्या को कम कर दिया जाता है. कोच की संख्या कम होने से यात्रियों को भारी परेशानी के साथ सफर करना पड़ता है.
रांची रेल डिवीजन में गार्ड एसएलआर बोगी की भी कमी है. डिवीजन को 72 गार्ड एसएलआर बोगी की जरूरी है जबकि उपलब्ध महज 60 है. ट्रेन में इंजन के बाद व ट्रेन के सबसे अंत में एक-एक गार्ड एसएलआर बोगी लगायी जाती है. बोगी उपलब्ध नहीं होने के कारण कई ट्रेनों में दो की जगह एक एसएलआर बोगी से ही काम चलाया जाता है. इस कारण रेलवे को एसएलआर बोगी में रखे जाने वाले समान की ढुलाई नहीं हो पाती है.
इसके अलावा रांची डिवीजन में थर्ड एसी की 71 बोगी की जरूरत है. उपलब्धता 70 की है. गर्मी में प्रतिदिन औसतन तीन से चार थर्ड एसी की बोगी रिपेयर के लिए आती है. ऐसे में आवश्यकता से अधिक बोगी नहीं रहने से रेल प्रबंधन द्वारा एक ट्रेन की थर्ड एसी बोगी काट कर दूसरे में लगायी जाती है.
इस प्रक्रिया में तीन घंटे का समय लगता है और ट्रेन विलंब से अपने गंतव्य के लिए रवाना होती है. रांची रेल डिवीजन से खुलने वाली ट्रेनों में स्लीपर कोच की भी कमी है. डिवीजन को 216 स्लीपर कोच की जरूरत है जबकि 206 कोच ही उपलब्ध है. कोच की कमी के कारण आनेवाली ट्रेनों का इंतजार किया जाता है. जब दूसरी ट्रेन आती है तो तीन घंटे बाद उस ट्रेन से काेच को लगाया जाता है.
रेल परियोजनाएं पूरी हों, तो बदल जायेगी सूरत
रांची़ : कोयला क्षेत्र से जुड़ी रेल परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए 2015 में झारखंड सेंट्रल रेलवे लिमिटेड नामक कंपनी बनी थी. इसके तहत शिवपुर से कठौतिया तक रेल परियोजना का कार्य किया जायेगा.
वहीं, नयी रेल परियोजनाओं के निर्माण के लिए झारखंड सरकार और रेल मंत्रालय के बीच 51-49 के अनुपात में ज्वाइंट वेंचर एग्रीमेंट 20 जनवरी 2017 को किया गया था. इसी क्रम में छह जुलाई 2018 को संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन किया गया. इसके तहत राज्य में पांच नयी रेल परियोजनाएं ली गयीं, जिनमें नामकुम-कंड्रा, गिरिडीह-पारसनाथ-मधुबन, टोरी-चतरा, चितरा-बासुकिनाथ और गोड्डा-पाकुड़ रेल परियोजनाएं शामिल हैं.
कौन सी परियोजना कब होगा पूरी: -हंसडीहा-गोड्डा नयी रेल लाइन (32.46 किमी.) निर्माण को लेकर रेल मंत्रालय और झारखंड सरकार के बीच 2012 में एमओयू किया गया था. 11 नवंबर 2016 को परियोजना पूरा करने का विस्तार मार्च 2020 तक कर दिया गया है. इस परियोजना के हंसडीहा-पोड़ैयाहाट (15 किमी.) का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. वहीं पोड़ैयाहाट-गोड्डा (15.46 किमी.) का निर्माण कार्य प्रगति पर है. पीरपैंती-जसीडीह नयी रेल लाइन (97.17 किमी.) के लिए 15 फरवरी 2017 को एमओयू किया गया था. इसकी प्राक्कलित राशि 2100 करोड़ रुपये है. पांच वर्षों में इसे बनकर तैयार होना है.
यह परियोजना हो चुकी है पूरी : देवघर-दुमका (60 किमी) व दुमका-रामपुरहाट (64 किमी) पर रेल परिचालन शुरू हो गया है़ वहीं रांची-लोहरदगा व टोरी तक विस्तार रेलखंड (113 किमी) व कोडरमा-गिरिडीह (111 किमी) पर परिचालन शुरू है, रांची-बरकाकाना-हजारीबाग-कोडरमा (203 किमी.) में कोडरमा-हजारीबाग-बरकाकाना पर परिचालन शुरू है.

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