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देवघर : कलमों का ज्ञान शाश्वत, साहित्य को मोबाइल व यू ट्यूब पर नहीं जान सकते

18वें देवघर पुस्तक मेला का उद्घाटन, पद्मश्री अशोक भगत ने कहा साहित्य, भाषा एवं संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए समारोह में तीन विशिष्ट लोगों को दिया गया सम्मान किरण कुमारी हांसदाक द्वारा रचित संताली एवं हिंदी कविता संग्रह ‘आंचल’ का किया गया लोकार्पण देवघर : महात्मा गांधी के 150वीं जयंती को समर्पित […]

18वें देवघर पुस्तक मेला का उद्घाटन, पद्मश्री अशोक भगत ने कहा
साहित्य, भाषा एवं संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए समारोह में तीन विशिष्ट लोगों को दिया गया सम्मान
किरण कुमारी हांसदाक द्वारा रचित संताली एवं हिंदी कविता संग्रह ‘आंचल’ का किया गया लोकार्पण
देवघर : महात्मा गांधी के 150वीं जयंती को समर्पित 12 दिवसीय 18वें देवघर पुस्तक मेला का शुभारंभ महाविद्या देवघर के तत्वावधान में आरमित्रा प्लस टू स्कूल प्रांगण में हुआ. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के कुलपति डॉ प्रो मनोरंजन प्रसाद सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित समारोह का उद्घाटन पद्मश्री अशोक भगत, मुख्य अतिथि गांधी विचारक सह भागलपुर विवि के पूर्व कुलपति प्रो राम जी सिंह सहित मंचासीन विशिष्ठ अतिथियों ने किया.
समारोह में साहित्य, भाषा एवं संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए तीन लोगों को पद्मश्री अशोक भगत द्वारा सम्मानित किया गया. वहीं किरण कुमारी हांसदाक द्वारा रचित तथा शांति निकेतन हिंदी प्रचार सभा शांति निकेतन द्वारा प्रकाशित संताली एवं हिंदी कविता संग्रह ‘आंचल’ का लोकार्पण किया गया. पद्मश्री श्री भगत ने कहा कि ज्ञान पढ़ने-लिखने से नहीं होता है.
वह अंदर से ऊपजता है. कलमों का ज्ञान शाश्वत होता है. भारत के साहित्य को किसी मोबाइल व यू-ट्यूब पर नहीं जाना जा सकता है. साहित्य की दुनिया काफी बड़ी है. काव्य या वाद्य यंत्र से साहित्य नहीं ऊपजता है. पुस्तकों को दोस्त नहीं साथी बनायें मित्र बनायें. कृत्रिम चीजों से मानवीय संवेदना नहीं ऊपज सकती है. इस देश की मुख्यधारा आदिवासी समाज है, जो जंगलों व पहाड़ों पर हैं.
कोई भी सरकार समाज नहीं चला सकती है, बल्कि समाज से सरकार संचालित होना चाहिए. जबतक ईमानदारी से जीने वालों को प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी, तब तक समाज खड़ा नहीं हो सकता है. प्रतिष्ठा का केंद्र बदलना चाहिए, क्योंकि सरकारें हमारे बीच से निकलती हैं. गांधी का रास्ता ही भारत की समस्याओं का समाधान कर सकता है. हमें समाज को खड़ा करना होगा. अपने जीवन में सच्चाई लाना होगा. मैंने सत्य व अहिंसा का प्रयोग अपने जीवन में किया है.
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बिहार के पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा, केंद्रीय विद्यालय संगठन के अपर आयुक्त उदय नारायण खवाड़े, डीसी राहुल कुमार सिन्हा, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के डीएसडब्ल्यू प्रो गौरव गांगोपाध्याय, देवघर कॉलेज देवघर के प्राचार्य डॉ बसंत गुप्ता, पार्षद रीता चौरसिया, प्रभात खबर देवघर के संपादक संजय मिश्र, शिक्षाविद् मोतीलाल द्वारी, डॉ संजय कुमार, रेड रोज प्लस टू स्कूल के सचिव युधिष्ठिर प्रसाद राय, प्रो रामनंदन सिंह आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत सृष्टि व साक्षी ने सरस्वती वंदना से की. शिक्षाविद् सर्वेश्वर सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. मंच संचालन रामसेवक गुंजन ने किया.
साहित्य समाज व युग को जीवित रखता है : प्रो तनुजा
भाषा सेतु सम्मान प्राप्त प्रो तनुजा मजूमदार ने कहा कि साहित्य समाज व युग को जीवित रखता है. जब भाषा की बात होती है तो गांधी जी याद आते हैं. त्रिपुरा की ककबरक भाषा पांच हजार वर्ष पुरानी है. जिसे सदियों तक दबा कर रखा गया. त्रिपुरा में आदिवासियों की आबादी ज्यादा है. यहां ककबरक भाषा के माध्यम से ही पिछले 50 वर्षों से पढ़ाई हो रही है.
साहित्य, भाषा एवं संगीत के क्षेत्र में मिला सम्मान
समारोह के मंच से साहित्य, भाषा एवं संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के तीन विशिष्ट व्यक्तियों को पद्मश्री अशोक भगत द्वारा मोमेंटो व पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया गया. इनमें साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए साहित्य सेवी अवार्ड से जम्मू-कश्मीर के अनिल सहगल को सम्मानित किया गया. भाषा सेतु सम्मान से प्रो तनुजा मजुमदार एवं संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली सीमा सहगल को संगीत अवार्ड से नवाजा गया.
मंचासीन अतिथियों ने कहा
पुस्तकों को नियमित पढ़ें : डॉ रामजी सिंह
मुख्य अतिथि डॉ रामजी सिंह ने पुस्तक मेला आयोजन समिति को साधुवाद देते हुए कहा कि मैं कोई हिंदी का लेखक नहीं हूं. लेकिन, काम वही करता हूं जो अंत:करण में आता है. आप सभी पुस्तकों को नियमित पढ़े. हम सबों को गांधी को समझना चाहिए. आधारहीन आलोचना गांधी पर क्यों होता है. मेरा निवेदन है कि बगैर आधार के कुछ भी नहीं लिखना चाहिए. गांधी से गलतियां हो सकती है. गांधी को निर्भिक होकर उपस्थित करना आवश्यक है. हिंदुस्तान के विभाजन का कारण यूरोप की शक्तियां थी.
पुस्तकों से मिलता है जीने का आधार: कृष्णानंद झा
पूर्व मंत्री बिहार सरकार कृष्णानंद झा ने पुस्तक मेला को सराहा. उन्होंने कहा कि पद्मश्री अशोक भगत ने जो जिया, वही कहना चाहते हैं.अपना वक्तव्य ह्दय से दिया. अगर साहित्य के प्रति इनकी अभिरुचि नहीं होती तो इनका रास्ता नहीं बदलता. इसलिए जब हम पुस्तकें पढ़ते हैं तो संस्कार पढ़ते हैं. जीवन जीने का आधार हमें पुस्तकों से ही मिलती है. किसी भी राष्ट्र के निर्माण में भाषा का जबरदस्त प्रभाव पड़ता है. भाषा किसी भी समाज व राष्ट्र को प्रभावित करता है. हिंदी भाषा को समृद्ध करने के लिए दूसरे भाषा को भी जोड़ना होगा. बापू ने भी हिंदी भाषा को समृद्ध करने के लिए आंदोलन से जोड़ने का काम किया.
ज्ञान अर्जित कर बुद्धिमान बनें : राहुल कुमार सिन्हा
डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि पुस्तक मेला ने 18 वर्ष पूरा कर लिया है. उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक्त में ज्यादा ऊर्जा व स्फूर्ति वाला पुस्तक मेला देखने को मिलेगा. हम सभी बचपन से टेक्ट्स बुक पढ़ते आये हैं.
पाठ्य पुस्तकों के आधार पर प्रतियोगिता पास कर नौकरी में आ जाते हैं. लेकिन, पाठ्य पुस्तकों से सिर्फ सूचनाएं मिलती है. जबतक सूचनाओं का विश्लेषण कर ज्ञान अर्जित नहीं करते हैं. तब तक कोई फायदा नहीं है. सूचना क्रांति के दौर में पाठ्य पुस्तक हो या इंटरनेट पर करोड़ों जानकारियां है. उसका विश्लेषण कर ज्ञान प्राप्ति की ओर ध्यान दे यह ज्यादा जरूरी है.
मेरे जीवन का आदर्श रही हैं पुस्तकें : अनिल सहगल
साहित्य सेवी अवार्ड से सम्मानित अनिल सहगल ने कहा कि पुस्तकें मेरी जीवन का आदर्श रहा है. आज मैं जो भी हूं पुस्तकों की बदौलत हूं. मैं बचपन से ही पुस्तकों से जुड़ा रहा. प्रयागराज से पढ़ाई किया. भाषा को साहित्य के माध्यम से परिष्कृत किया. इसलिए आप सभी भी पुस्तकों से जुड़ कर इसका लाभ लें.
पुस्तकें ज्ञान का दीप है : सीमा सहगल
नटराज अवार्ड से नवाजे गये सीमा सहगल ने कहा कि आप सभी अपने-अपने घरों से हाथी-घोड़ों को हटा कर रंग-बिरंगे पुस्तकों को रखें. क्योंकि हाथी-घोड़े निर्जीव हैं. लेकिन, पुस्तकें सजीव है. पुस्तकें ज्ञान का दीप है. यह अतीत के साथ वर्तमान को जोड़ता है. इससे भविष्य उज्ज्वल होता है. पुस्तक मेला की तारीफ करते हुए उन्होंने पुस्तक मेला आयोजन समिति के लोगों को बधाई दी.
प्रभात खबर के साथ पुस्तक मेला में जीतें पुरस्कार
प्रभात इवेंट में आज पोस्टर मेकिंग व स्लोगन राइटिंग
तिथि/दिन इवेंट्स
20 जनवरी (रविवार) पोस्टर मेकिंग अौर स्लोगन राइटिंग (स्वच्छ भारत मिशन)
21 जनवरी (सोमवार) सिंगिग कंपटीशन(सोलो व डुयेट)
22 जनवरी (मंगलवार) मेहंदी प्रतियोगिता
23 जनवरी (बुधवार) अोपन क्विज
24 जनवरी (गुरुवार) पॉट डेकोरेशन
25 जनवरी (शुक्रवार) ग्रिटिंग्स कार्ड मेकिंग
26 जनवरी (शनिवार) सोलो डांस(देशभक्ति/धार्मिक/क्लासिकल)
27 जनवरी (रविवार) फैंसी ड्रेस (लीडर्स पर आधारित -केवल प्ले स्कूल के बच्चे)
28 जनवरी (सोमवार) अंताक्षरी
29 जनवरी (मंगलवार) ग्रुप स्कीट/ड्रामा
30 जनवरी(बुधवार) वेशभूषा प्रतियोगिता(सब जूनियर 5वीं तक/जूनियर 8वीं तक/सीनियर 9वीं व उससे अधिक)
नोट : सभी कार्यक्रम दूसरे सत्र में दोपहर 1.30 बजे से 3.30 बजे तक होंगे.
किताबों को हम नहीं, किताबें हमें पढ़ती है : डॉ मनोरंजन
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के कुलपति प्रोफेसर डॉ मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने कहा कि पुस्तक मेला के आयोजन को खूब सराहा. उन्होंने कहा कि किताबों को हम नहीं बल्कि किताबें हमें पढ़ती है. प्रयागराज में कुंभ में जाति विशेष के लोग जाते हैं. लेकिन, इस पुस्तक मेले के कुंभ में हर जाति-वर्ग के लोग पहुंच सकते हैं. इसलिए हर कोई पुस्तक मेले का आनंद ले सकते हैं. पुस्तक मेले के मंच पर उपस्थित पद्मश्री अशोक भगत, डॉ राम जी सिंह व कृष्णानंद झा विद्या के प्रयाग हैं.
पुस्तक मेला अक्षर कुंभ है : डॉ सुभाष
पुस्तक मेला आयोजन समिति के संयोजक डॉ सुभाष राय ने कहा कि यह पुस्तक मेला अक्षर कुंभ है. आरमित्रा प्लस टू स्कूल प्रांगण प्रयागराज है. इस विद्यालय ने तीन मुख्यमंत्री दिये हैं. हजारों लोग राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभाओं को प्रदर्शित कर रहे हैं. 18वां पुस्तक मेले के आयोजन में जिला प्रशासन सहित समिति के सदस्यों एवं देवघर के लोगों का अपार सहयोग मिला है. इसके लिए सब कोई साधुवाद के हकदार हैं.

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