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देवघर : दो वर्षों से नहीं हुई मनरेगा की जनसुनवाई

देवघर : मनरेगा एक्ट की देवघर में धज्जियां उड़ रही है. मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिल रही है. भुगतान पेंडिंग हैं. दो वर्षों से मनरेगा की जिलास्तरीय जनसुनवाई नहीं हो रही है. वित्तीय वर्ष 2016-17 व 2017-18 में मनरेगा की जिलास्तरीय जनसुनवाई नहीं हुई. इन दो वित्तीय वर्ष में मनरेगा के 150 गड़बड़ियां […]

देवघर : मनरेगा एक्ट की देवघर में धज्जियां उड़ रही है. मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिल रही है. भुगतान पेंडिंग हैं. दो वर्षों से मनरेगा की जिलास्तरीय जनसुनवाई नहीं हो रही है. वित्तीय वर्ष 2016-17 व 2017-18 में मनरेगा की जिलास्तरीय जनसुनवाई नहीं हुई.
इन दो वित्तीय वर्ष में मनरेगा के 150 गड़बड़ियां हैं, जिस पर जिलास्तरीय जनसुवाई में कार्रवाई होनी है. प्रखंडस्तर पर हुई जनसुनवाई में इन 150 गड़बड़ी के मामलों की जिलास्तर पर अनुशंसा की गयी है. इन गड़बड़ियों में मनरेगा में गबन, विलंब से मजदूरी, फर्जी निकासी समेत अन्य मामले हैं. राज्य स्तर से अधिूसचना जारी होने के बाद वित्तीय वर्ष 2016-17 में 44 व वित्तीय वर्ष 2017-18 में 110 पंचायतों में मनरेगा का सोशल ऑडिट हुआ था. इस सोशल ऑडिट में गड़बड़ियां मिली है. सोशल ऑडिट में कई ऐसी गड़बड़ियां मिली है, जिसमें जुर्माना, रिकवी व गबन में एफआइआर तक दर्ज हो सकती है. सोशल ऑडिट के दौरान मनरेगा से अधिकांश डोभा, भूमि समतलीकरण, मेढ़बंदी व पशु शेड निर्माण में गड़बड़ियां मिली है.
वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रखंडस्तर पर हुई मनरेगा की सोशल ऑडिट पर कई योजनाओं में हुई अनियमितता पर पैसे की रिकवरी व जुर्माने की कार्रवाई का निर्णय लिया गया है. इसमें 25 फीसदी मामले में रिकवरी अधूरी है. जिलास्तर पर अगर जनसुनवाई हुई तो प्रखंडस्तर के यह मामले भी सामने आयेंगे.

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