युवा किसानों की मेहनत से लहलहायी फसलें, मनरेगा कूप बना सहायक
देवघर : करौं प्रखंड के रानीडीह गांव में बंजर और बेकार पड़े ऊपर मैदान को युवा किसान समीर कुमार, अक्षय व डब्ल्यू कुमार ने अहर्निंश प्रयास से खेतों का आकार देकर हरियाली लायी है. युवा किसानों के प्रयास ने इतिहास रचते हुए खेती-बाड़ी से मुंह मोड़ने वाले लोगों के बीच उत्साह व उल्लास का संदेश […]
देवघर : करौं प्रखंड के रानीडीह गांव में बंजर और बेकार पड़े ऊपर मैदान को युवा किसान समीर कुमार, अक्षय व डब्ल्यू कुमार ने अहर्निंश प्रयास से खेतों का आकार देकर हरियाली लायी है. युवा किसानों के प्रयास ने इतिहास रचते हुए खेती-बाड़ी से मुंह मोड़ने वाले लोगों के बीच उत्साह व उल्लास का संदेश दिया है. कम पूंजी, कम संसाधन व कम सिंचाई के बाद भ करीब तीन एकड़ में गेहूं, सरसों, आलू और प्याज मिश्रित खेती कर अनूठी पहल की है. ग्रामीणों के अलावा इस राह से गुजरने वाले भी हरियाली से प्रभावित होकर खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं.
युवा किसानों के मेहनत, लगन व परिश्रम की चर्चाएं सर्वत्र हो रही है. गांव में मनरेगा योजना के तहत एक कूप का निर्माण किया गया है. युवा किसान समीर कहते हैं कि पटवन के लिए इस कूप का पानी पर्याप्त नहीं है. महज एक दो खेतों में ही पटवन होता है. फिर चार-पांच दिन के बाद कूप में जल संग्रह होने के बाद पुन: पटवन कर पाते हैं.
एक साथ पटवन नहीं होने के कारण पौधे के कमजोर होने की संभावना बना रहता है. वे कहते हैं कि करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थित जर्जर कूप का जीर्णोद्वार किया जाये तो खेतों की सिंचाई भरपूर तरीके से हो जाता. इन कूप के साफ-सफाई के बारे में बातें होती है. लेकिन, आज तक कोई सुधि नहीं ली गयी है.
देवघर : करौं प्रखंड के रानीडीह गांव में बंजर और बेकार पड़े ऊपर मैदान को युवा किसान समीर कुमार, अक्षय व डब्ल्यू कुमार ने अहर्निंश प्रयास से खेतों का आकार देकर हरियाली लायी है. युवा किसानों के प्रयास ने इतिहास रचते हुए खेती-बाड़ी से मुंह मोड़ने वाले लोगों के बीच उत्साह व उल्लास का संदेश दिया है. कम पूंजी, कम संसाधन व कम सिंचाई के बाद भ करीब तीन एकड़ में गेहूं, सरसों, आलू और प्याज मिश्रित खेती कर अनूठी पहल की है.
ग्रामीणों के अलावा इस राह से गुजरने वाले भी हरियाली से प्रभावित होकर खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं. युवा किसानों के मेहनत, लगन व परिश्रम की चर्चाएं सर्वत्र हो रही है. गांव में मनरेगा योजना के तहत एक कूप का निर्माण किया गया है. युवा किसान समीर कहते हैं कि पटवन के लिए इस कूप का पानी पर्याप्त नहीं है.
महज एक दो खेतों में ही पटवन होता है. फिर चार-पांच दिन के बाद कूप में जल संग्रह होने के बाद पुन: पटवन कर पाते हैं. एक साथ पटवन नहीं होने के कारण पौधे के कमजोर होने की संभावना बना रहता है. वे कहते हैं कि करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थित जर्जर कूप का जीर्णोद्वार किया जाये तो खेतों की सिंचाई भरपूर तरीके से हो जाता. इन कूप के साफ-सफाई के बारे में बातें होती है. लेकिन, आज तक कोई सुधि नहीं ली गयी है.