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साइबर अपराध की कमाई से पांच सालों में बने कई आलीशान मकान
संजीत मंडल, देवघर : जामताड़ा जिले का छोटा सा इलाका करमाटांड़, जहां तकरीबन 151 गांव हैं. 10 साल पहले तक कच्चे और खपरैल घरों वाले करमाटांड़ में अब आलीशान मकान बन गये हैं. करमाटांड़ के कई गांवों में नये-नये मकान का निर्माण हो रहा है. गांव तक जाने के लिए सड़क भले न हो, लेकिन […]
संजीत मंडल, देवघर : जामताड़ा जिले का छोटा सा इलाका करमाटांड़, जहां तकरीबन 151 गांव हैं. 10 साल पहले तक कच्चे और खपरैल घरों वाले करमाटांड़ में अब आलीशान मकान बन गये हैं. करमाटांड़ के कई गांवों में नये-नये मकान का निर्माण हो रहा है. गांव तक जाने के लिए सड़क भले न हो, लेकिन जो घर बन रहे हैं, वह सभी सुविधाओं से लैस हैं.
10 साल पहले तक करमाटांड़ नशाखुरानी गिरोह के अड्डे के रूप में जाना जाता था. गिरोह के सदस्य ट्रेनों में लोगों को नशा खिलाकर लूटपाट करते थे. लेकिन 2008 से करमाटांड़ के युवाओं ने साइबर क्राइम की दुनिया में कदम रखा.
सबसे पहले स्थानीय युवाओं ने मोबाइल से बैलेंस चोरी करना शुरू किया. लोगों से सौ रुपये लेकर दो सौ, तीन सौ रुपये तक के मोबाइल में बैलेंस देते थे. यह धंधा इतना पॉपुलर हुआ कि अच्छे लोग भी आधी दाम पर दोगुना मोबाइल बैलेंस या रिचार्ज पाने की होड़ में शामिल हो गये.
इससे इस साइबर अपराध को शह मिलता गया. 2010 के बाद करमाटांड़ में अन्य राज्यों की पुलिस पहुंचने लगी और खुलासा हुआ कि करमाटांड़ से देश भर में साइबर ठगी हो रही है.
झारखंड में साइबर क्राइम : 02
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