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”न्यूक्लियर बम” बनाना चाहता है तुर्की, आतंक पर घिरे पाकिस्तान ने बेची परमाणु तकनीक!

नयी दिल्ली: इस्लामिक देश तुर्की ने परमाणु हथियार बनाने की इच्छा जाहिर की है. तुर्की के राष्ट्रपति रिजेप तैय्यप एर्दोगन ने हाल ही में अपनी पार्टी की बैठक में तुर्की में परमाणु हथियारों के निर्माण की इच्छा जाहिर की है. एर्दोगन ने अपनी ही पार्टी के एक नेता से कहा कि कुछ देशों के पास […]

नयी दिल्ली: इस्लामिक देश तुर्की ने परमाणु हथियार बनाने की इच्छा जाहिर की है. तुर्की के राष्ट्रपति रिजेप तैय्यप एर्दोगन ने हाल ही में अपनी पार्टी की बैठक में तुर्की में परमाणु हथियारों के निर्माण की इच्छा जाहिर की है. एर्दोगन ने अपनी ही पार्टी के एक नेता से कहा कि कुछ देशों के पास परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलें हैं, लेकिन वो हमारे पास नहीं है. एर्दोगन ने कहा कि इसे मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता.

तुर्की के राष्ट्रपति ने जाहिर की इच्छा

बता दें कि तकरीबन पंद्रह साल पहले पाकिस्तान के परमाणु तस्कर अब्दुल कादिर खान ने कहा था कि उसने कुछ देशों को परमाणु तकनीक बेची थी और इसका अवैध निर्यात भी किया था. अब तुर्की के राष्ट्रपति के बयान के बाद ये मुद्दा दोबारा गर्मा गया है. क्योंकि राष्ट्रपति एर्दोगन ने कथित तौर पर तुर्की को परमाणु संपन्न बनाने की इच्छा जाहिर की है. इन सबके बीच पाकिस्तान सवालों के घेरे में है क्योंकि वो परमाणु प्रसार के लिए कुख्यात रहा है.

अमेरिकी मीडिया ने उठाए हैं सवाल

तुर्की के राष्ट्रपति रैजप तैय्यप एर्दोगन के इस बयान के बाद अमेरिका में हलचल तेज हो गयी है. प्रतिष्ठित अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अगर अमेरिका इस तुर्किश नेता (एर्दोगन) को अपने कुर्द सहयोगियों को बर्बाद करने से नहीं रोक सकता तो वो उन्हें परमाणु हथियार बनाने या ईरान की तरह परमाणु तकनीक इकट्ठा करने से कैसे रोक सकता है?

न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा कि तुर्की पहले से ही बम बनाने के कार्यक्रम पर काम कर रहा है. उसने यूरेनियम का भंडार इकट्ठा किया हुआ है और रियेक्टरों से जुड़ा शोध कर रहा है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि तुर्की का, दुनिया के कुख्यात परमाणु तस्कर पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल कादिर खान के साथ गुप्त समझौता है.

लंदन की संस्था ने किया था रिसर्च

गौरतलब है कि लंदन के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटिजिक स्टडीज ने पाकिस्तान के बदनाम परमाणु तस्कर अब्दुल कादिर खान के नेटवर्क पर न्यूक्लियर ब्लैक मार्केट नाम से स्टडी की थी. स्टडी के मुताबिक तुर्की की कंपनियों ने अब्दुल को यूरोप से न्यूक्लियर सामग्रियों का आयात करने में सहायता की थी.

पाकिस्तान आया सवालों के घेरे में

दरअसल, पाकिस्तान द्वारा परमाणु तकनीक बेचने का पहली बार साल 2004-05 में सामने आया था. इसी दौरान परमाणु तस्कर अब्दुल कादिर खान ने टीवी में ये स्वीकार किया था कि उसने कई देशों को इसकी तकनीक बेची है. हालांकि कादिर ने कहा कि, उसने ये निजी तौर पर किया था, पाकिस्तान की इसमें कोई भूमिका नहीं है. लेकिन ये स्पष्ट था कि इस प्रक्रिया में पाकिस्तान की मशीनरी और सुविधाओं का इस्तेमाल किया गया था.

पाकिस्तान की छवि को सुधारने के लिए पाकिस्तान के तात्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने कादिर पर कार्रवाई का दिखावा करते हुए उसे नजरबंद कर दिया था. परमाणु प्रसार के लिए दोषी और विश्व भर में गैर जिम्मेदार मुल्क के तौर पर बदनाम हो रहे पाकिस्तान ने ये कार्रवाई इसलिए की थी ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय उस पर कोई प्रतिबंध ना लगा दे. लेकिन पाकिस्तान बाज नहीं आया.

अभी हाल ही में अब्दुल कादिर को सार्वजनिक तौर पर देखा गया. कराची विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में उसने कहा कि पाकिस्तान को तुर्की और मलेशिया के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए.

मलेशिया-तुर्की के साथ पाकिस्तान

हाल के दिनों में मलेशिया और तुर्की के साथ पाकिस्तान के संबंधो में गर्माहट लाने का प्रयास वहां के पीएम इमरान खान ने किया है. ये प्रयास ऐसे समय में किये जा रहा हैं जब आतंकवाद को प्रायोजित करने और इसका समर्थन करने के कारण पाकिस्तान वैश्विक समुदाय में अलग-थलग पड़ा हुआ है. चीन भी इस गठजोड़ का हिस्सा बना हुआ दिख रहा है.

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