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Friday, March 29, 2024

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हैदराबाद मुठभेड़: मानवाधिकार आयोग ने लिया स्वतः संज्ञान, घटनास्थल पर जाकर तथ्यों की जांच करेगी टीम

नयी दिल्ली : हैदराबाद के निकट एक महिला पशुचिकित्सक के बलात्कार और हत्या के चार आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद मानवाधिकार आयोग हरकत में आया. आयोग ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया है और उसने अपनी टीम को घटनास्थल पर जाकर तथ्यों की जांच करने का आदेश दिया है. इधर, कई मानवाधिकार […]

नयी दिल्ली : हैदराबाद के निकट एक महिला पशुचिकित्सक के बलात्कार और हत्या के चार आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद मानवाधिकार आयोग हरकत में आया. आयोग ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया है और उसने अपनी टीम को घटनास्थल पर जाकर तथ्यों की जांच करने का आदेश दिया है.

इधर, कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस किसी भी हालत में पीट-पीट कर हत्या करने वाली भीड़ की तरह व्यवहार नहीं कर सकती. कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह मुठभेड़ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में पुलिस की नाकामी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए की गयी है.

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सचिव कविता कृष्णन के अनुसार यह न्याय नहीं है बल्कि पुलिस, न्यायपालिका एवं सरकारों से जवाबदेही और महिलाओं के लिए न्याय एवं उनकी गरिमा की रक्षा की मांग करने वालों को चुप करने की ‘‘साजिश’ है. कृष्णन ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में सरकार की नाकामी के बारे में हमारे सवालों का जवाब देने और अपने काम के लिए जवाबदेह बनने के बजाए तेलंगाना के मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस ने पीट-पीट कर हत्या करने वाली भीड़ के नेताओं की तरह काम किया है. उन्होंने कहा कि यह घटना अपराध के खिलाफ पूरी राजनीतिक एवं पुलिस प्रणाली की अयोग्यता एवं असफलता को स्वीकार करती है.

उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पर ‘‘पूरे मामले’ से ध्यान भटकाने की कोशिश का आरोप लगाया. कृष्णन ने कहा कि हम पुलिस और सरकार से कड़े सवाल कर रहे हैं. इन प्रश्नों का उत्तर देने से बचने के लिए यह कार्रवाई यह बताने की कोशिश है कि न्याय दे दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस मुठभेड़ में शामिल पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ अभियोग चलाया जाना चाहिए.

‘नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमैन’ (एनएफआईडब्ल्यू) महासचिव एनी राजा ने कहा कि देश में सभी कानून मौजूद होने के बावजूद सरकारें इन्हें लागू करने में नाकाम हो रही हैं. निश्चित ही यह ध्यान भटकाने के लिए किया गया. यह मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश है. इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है. वकील एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर ने इस घटना को ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ करार दिया. उन्होंने इस मामले में एक स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की.

‘अनहद’ (एक्ट नाओ फॉर हारमनी एंड डेमोक्रेसी) की संस्थापक सदस्य शबनम हाशमी ने भी इस बात पर सहमति जताई कि यह लोगों का ध्यान खींचने की सरकार की कोशिश हो सकती है.

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