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सुप्रीम कोर्ट योजनाओं को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता पर शुक्रवार को सुनायेगा अंतिरम आदेश

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न कल्याण योजनाओं को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता के सरकार के फैसले पर रोक लगाने के बारे में गुरुवारको सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय इस मुद्दे पर शुक्रवार को अंतिरम आदेश देगा. इस बीच, केंद्र ने आधार जोड़ने की अनिवार्यता की समय सीमा बढ़ा कर अगले साल 31 […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न कल्याण योजनाओं को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता के सरकार के फैसले पर रोक लगाने के बारे में गुरुवारको सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय इस मुद्दे पर शुक्रवार को अंतिरम आदेश देगा. इस बीच, केंद्र ने आधार जोड़ने की अनिवार्यता की समय सीमा बढ़ा कर अगले साल 31 मार्च तक कर दी है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि आधार योजना को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई अगले साल 17 जनवरी से की जायेगी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं.

केंद्र की ओर से अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने संविधान पीठ को सूचित किया कि सरकार विभिन्न सेवाओं और कल्याण उपायों का लाभ प्राप्त करने के लिए उसे आधार से जोड़ने की अनिवार्यता की समय सीमा अगले साल 31 मार्च तक बढाने के लिए तैयार है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नया बैंक खाता खोलने के लिए आधार की अनिवार्यता बनी रहनी चाहिए.

सरकार ने बैंक खातों और चुनिंदा वित्तीय लेन-देन के लिये आधार और पैन की जानकारी देने की अनिवार्यता की अवधि 31 मार्च तक बढ़ाने संबंधी अधिसूचना बुधवार को जारी कर दी. हालांकि, मोबाइल सिम कार्ड को आधार से जोड़ने की समय सीमा छह फरवरी, 2018 से आगे बढ़ाने के बारे में कोई जिक्र नहीं है.

आधार कार्ड को मोबाइल सेवाओं से जोड़ने के मुद्दे पर अटाॅर्नी जनरल ने कहा कि छह फरवरी की समय सीमा शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद निर्धारित की गयी थी और संविधान पीठ इसकी समय सीमा बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है. शीर्ष अदालत ने 27 नवंबर को कहा था कि विभिन्न सेवाओं और कल्याण योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए आधार से जोड़ना अनिवार्य करने के केंद्र के कदम को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर विचार के लिए संविधान पीठ गठित करने पर विचार किया जायेगा.

हाल ही में नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के अंतर्गत निजता का अधिकार भी मौलिक अधिकार है. आधार की वैधता को चुनौती देनेवाली अनेक याचिकाओं में दावा किया गया था कि इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है. केंद्र ने 25 अक्तूबर को न्यायालय से कहा था कि उसने आधार से जोड़ने की अनिवार्यता की अवधि अगले साल 31 मार्च तक उन लोगों के लिए बढ़ा दी है जिनके पास 12 अंकों की बायोमेट्रिक पहचान संख्या नहीं है और वे इसके लिये पंजीकरण कराना चाहते हैं.

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