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देश में झारखंड का ‘स्वास्थ्य” सुधरा, बिहार-यूपी का बिगड़ा

नयी दिल्ली : स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाओं के मोर्चे पर देश में झारखंड, हरियाणा और राजस्थान के हालात में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है. वहीं, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व ओड़िशा पहले से अधिक फिसड्डी साबित हुए हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. ‘स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से […]

नयी दिल्ली : स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाओं के मोर्चे पर देश में झारखंड, हरियाणा और राजस्थान के हालात में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है. वहीं, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व ओड़िशा पहले से अधिक फिसड्डी साबित हुए हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है.

‘स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से तैयार इस रिपोर्ट को स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय व विश्व बैंक के सहयोग से तैयार किया गया है. यह दूसरा मौका है, जब आयोग ने स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की है. इस तरह की पिछली रैंकिंग फरवरी, 2018 में जारी की गयी थी.
नयी तुलनात्मक रिपोर्ट में इन्क्रीमेन्टल रैंकिंग यानी पिछली बार के मुकाबले सुधार के स्तर के मामले में 21 बड़े राज्यों की सूची में बिहार सबसे नीचे है. इसमें उत्तर प्रदेश 20वें, उत्तराखंड 19वें और ओड़िशा 18वें स्थान पर है. 2015-16 की तुलना में 2017-18 में स्वास्थ्य क्षेत्र में बिहार का संपूर्ण प्रदर्शन सूचकांक 6.35 अंक गिरा है.
यह रैंकिंग 23 संकेतकों के आधार पर तैयार की गयी है. संपूर्ण रैंकिंग में 21 बड़े राज्यों की सूची में सबसे नीचे उत्तर प्रदेश है. शीर्ष पर केरल है. उसके बाद आंध्र प्रदेश, फिर महाराष्ट्र और गुजरात का स्थान है.
ऐसे ला सकते हैं सुधार
नीति आयोग के सदस्य डाॅ वीके पॉल ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए स्थिर प्रशासन, महत्वपूर्ण पदों को भरा जाना तथा स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की जरूरत है.
बिहार में गिरावट की वजह
आयोग के मुताबिक बिहार के अंक में गिरावट की वजह प्रजनन दर, जन्म के समय कम वजन, जन्म के समय स्त्री-पुरूष अनुपात, टीबी उपचार की सफलता दर आदि से जुड़े प्रदर्शन हैं.
स्वास्थ पर जीडीपी का 8% तक खर्च करें राज्य
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल का मानना है कि स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की जरूरत है. केंद्र को जीडीपी का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करना चाहिए. राज्यों को स्वास्थ्य पर खर्च औसतन अपने राज्य जीडीपी के 4.7 प्रतिशत से बढ़ा कर आठ प्रतिशत करना चाहिए.
रिपोर्ट का मकसद
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि इसका मकसद राज्यों को महत्वपूर्ण संकेतकों के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सुधार के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित करना है. जो राज्य पीछे हैं, वहां सुधार के लिए हम ज्यादा काम करेंगे.
यहां हुआ सुधार
1. हरियाणा
2. राजस्थान
3. झारखंड
4. आंध्र प्रदेश
देना होगा ध्यान
1. बिहार
2. उत्तर प्रदेश
3. ओड़िशा
4. उत्तराखंड

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