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विशेष निदेशक ने जांच कर रहे अफसरों को डराने के लिए की शिकायत : सीबीआई

नयी दिल्ली : सीबीआई में दो प्रमुख अधिकारियों का आपसी झगड़ा तब अभूतपूर्व स्तर तक पहुंच गया जब एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि उसके दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना की, जांच एजेंसी के प्रमुख आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी के समक्ष दी गयी शिकायत कम से कम छह मामलों में उनकी भूमिका की […]

नयी दिल्ली : सीबीआई में दो प्रमुख अधिकारियों का आपसी झगड़ा तब अभूतपूर्व स्तर तक पहुंच गया जब एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि उसके दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना की, जांच एजेंसी के प्रमुख आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी के समक्ष दी गयी शिकायत कम से कम छह मामलों में उनकी भूमिका की जांच कर रहे अधिकारियों को डराने के लिए है.

वर्मा के खिलाफ दी गयी शिकायत को दुर्भावनापूर्ण और ओछी करार देते हुए सीबीआई ने कहा, यह शिकायतकर्ता (अस्थाना) द्वारा सीबीआई के अधिकारियों को डराने का एक प्रयास है जो कम से कम आधा दर्जन मामलों में उनकी भूमिका की जांच कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि दोनों अधिकारियों के बीच दरार की खबरे लंबे समय से आ रही थीं, लेकिन यह तब सबके सामने आ गयी जब पिछले साल अस्थाना की विशेष आयुक्त के पद पर पदोन्नति पर फैसले के लिए आयोजित केंद्रीय सतर्कता आयोग की बैठक में वर्मा ने अपनी स्वतंत्र और बेबाक राय दी थी. नवीनतम मामले में अस्थाना ने केंद्र सरकार को एक नोट लिखकर कहा है कि वर्मा उनके द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप कर रहे हैं और उन्हें अपमानित किया जा रहा है.

स्थाना की शिकायत को केंद्र की तरफ से केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेजा गया जिसके बाद संस्था ने 11 और 14 सितंबर को लिखे गये अपने खतों के जरिये सीबीआई से विभिन्न मामलों से जुड़ी फाइलों की मांग की है. सूत्रों ने कहा कि फाइलों को दिखाने पर सहमति जतायी, लेकिन फाइलों को तलब किये जाने को हताश करनेवाला करार दिया. अस्थाना की तरफ से इस मामले पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गयी है. एक असमान्य कदम के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उन खबरों के बाद एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि अस्थाना केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के समक्ष यह आरोप लगाते हुए शिकायत दायर कर रहे हैं कि उनके तहत आनेवाले विशेष जांच दल द्वारा की जा रही जांच में कथित तौर पर हस्तक्षेप किया जा रहा है.

शिकायत में कथित तौर पर यह आरोप लगाया गया कि वर्मा ने आखिरी वक्त में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद से संबद्ध आईआरसीटीसी घोटाले में छापे रुकवा दिये. इसमें कहा गया, आईआरसीटीसी मामले में आरोपी के खिलाफ छापे रुकवाने का आरोप बिलकुल झूठा है. इस मामले में जांच के बाद संबद्ध अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया है. यह सीबीआई निदेशक की मंजूरी के बिना संभव नहीं हो सकता था. बयान में कहा गया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीबीआई निदेशक की छवि को धूमिल करने और संगठन के अधिकारियों को डराने के लिए तथ्यों की समुचित पुष्टि किये बगैर सार्वजनिक रूप से निराधार और ओछे आरोप लगाये जा रहे हैं.

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