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राफेल : बोले न्यायमूर्ति जोसेफ- न्यायालय का निर्णय CBI की कार्रवाई में बाधक नहीं

नयी दिल्ली : न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने कहा कि राफेल सौदे में कथित अनयिमित्ताओं की जांच की याचिकाएं खारिज करने संबंधी शीर्ष अदालत का फैसला इस प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दायर शिकायत पर कार्रवाई करने में सीबीआई के लिए बाधक नहीं होगा. शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार […]

नयी दिल्ली : न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने कहा कि राफेल सौदे में कथित अनयिमित्ताओं की जांच की याचिकाएं खारिज करने संबंधी शीर्ष अदालत का फैसला इस प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दायर शिकायत पर कार्रवाई करने में सीबीआई के लिए बाधक नहीं होगा.

शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाएं खारिज करने संबंधी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के निर्णय से सहमति व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति जोसेफ ने अपना अलग फैसला सुनाया. इस पीठ ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दी है. न्यायमूर्ति जोसेफ ने इसमे कहा कि यह विवाद से परे है कि पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण की शिकायत में उल्लिखित अपराध ‘संज्ञेय’ हैं. न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि उनकी राय में जिस निर्णय के पुनर्विचार का अनुरोध किया गया है वह कानून के अनुसार शिकायत पर कार्रवाई करने के प्रथम प्रतिवादी (सीबीआई) के काम में बाधक नहीं होगा, बशर्ते वह भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 17-ए के तहत इसके लिए पहले मंजूरी प्राप्त करे.

भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 17-ए के अनुसार, किसी भी अधिकारी को सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमिति के बगैर किसी लोक सेवक द्वारा किये गये किसी ऐसे अपराध की जांच की अनुमति नहीं है जो कथित रूप से लोक सेवक के कार्यो के निर्वहन से संबंधित है. न्यायमूर्ति जोसेफ ने लिखा है कि याचिकाकर्ताओं की शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए क्योंकि यह कथित रूप से संज्ञेय अपराध का खुलासा करती है और न्यायालय को ऐसा निर्देश देना चाहिए, क्या यह धारा 17-ए के संबंध में एक निरर्थक कवायद होगी.

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, इसलिए, मेरा यह मानना है कि ललिता कुमार प्रकरण में प्रतिपादित कानून के संबंध में याचिकाकर्ताओं ने हो सकता है कि यह मामला बनाया हो और महत्वपूर्ण यह है कि पुनर्विचार याचिका में भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 17-ए के बारे में याचिकाकर्ताओं को सफलता नहीं मिल सकती है. ललिता कुमार मामले में संविधान पीठ ने व्यवस्था दी थी कि यदि सूचना में संज्ञेय अपराध का पता चलता है तो प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है और ऐसी स्थिति में किसी प्रारंभिक जांच की इजाजत नहीं है. फैसले में कहा गया था कि यदि प्राप्त सूचना में किसी संज्ञेय अपराध का पता नहीं चलता है, लेकिन यह जांच की आवश्यकता की ओर से संकेत देती है तो सिर्फ यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच की जा सकती है कि क्या संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है या नहीं.

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने सीबीआई में की गयी अपनी शिकायत में भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 17-ए के अनुरूप मंजूरी देने का अनुरोध किया था, परंतु जब रिट याचिका में राहत मांगी गयी तो इस बारे में किसी राहत का दावा नहीं किया गया था. न्यायमूर्ति जोसेफ फ्रांस की फर्म से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे मे मोदी सरकार को 14 दिसंबर, 2018 को क्लीन चिट देने वाले फैसले पर पुनर्विचार की याचिकाओं को खारिज करने वाली प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य थे.

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