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हैदराबाद मुठभेड़ : पक्ष-विपक्ष में बंटे पुलिस अधिकारी

नयी दिल्ली : हैदराबाद की पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या मामले के चार आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराने की घटना को शुक्रवार को जहां कई मौजूदा और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सही ठहराया है, वहीं कुछ ने इसकी निंदा की. कर्नाटक में बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने मुठभेड़ का […]

नयी दिल्ली : हैदराबाद की पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या मामले के चार आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराने की घटना को शुक्रवार को जहां कई मौजूदा और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सही ठहराया है, वहीं कुछ ने इसकी निंदा की.

कर्नाटक में बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने मुठभेड़ का बचाव करते हुए इसे ‘सही और वक्त पर की गयी कार्रवाई’ करार दिया. राव ने कहा कि यदि आरोपी हिरासत से फरार हो जाते तो पुलिस पर बेहद दबाव बढ़ जाता. राव ने कहा, हैदराबाद/साइराबाद पुलिस की कार्रवाई सही और समय पर की गयी. कोई दूसरी राय नहीं हो सकती है. अगर वे (आरोपी) हिरासत से भाग जाते तो वे (पुलिस) जर्बदस्त दबाव में आ जाती. यह घटना जांच के दौरान हुई है और इसका बचाव करने की जरूरत है. साइबराबाद पुलिस ने जरूरी कार्रवाई की है. उन्होंने बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा, जांच के दौरान अपराध के घटनाक्रम की पुनर्रचना के दौरान आरोपियों ने पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश की जिसके बाद यह सख्त कार्रवाई की गयी.

उन्होंने कहा कि तेलंगाना की राजधानी में पिछले महीने घटित हुई दिल दहला देने वाली घटना कहीं भी हो सकती है और पुलिस पर मामले को हल करने का दबाव होता है. आईपीजी और बेंगलुरु नगर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) निंबलकर ने कहा, सोशल मीडिया थोड़ा सब्र करो! बलात्कार का अपराध और आज की मुठभेड़ दो अलग-अलग तथ्य हैं. जैसा कहा गया है यह आत्मरक्षा में किया गया कदम है न कि बलात्कार के आरोपियों को सजा है. तेलंगाना पुलिस कानूनी जांच के दायरे में आती है. जिनका विश्वास लोकतंत्र और कानून की व्यवस्था में है, उन्हें इंतजार करना चाहिए.

उत्तर प्रदेश के बागपत से भाजपा के सांसद और मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त सत्यपाल सिंह ने मुठभेड़ को सही ठहराया. उन्होंने ट्विटर पर कहा, दिलेरी के साथ स्थिति से निपटने के लिए मैं हैदराबाद पुलिस को बधाई देता हूं. अगर आरोपी हिरासत से भाग जाते तो यह खाकी पर बड़ा धब्बा होता. जय हिंद. तिहाड़ जेल की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा ने मुठभेड़ के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की मांग की. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जुलियो रिबेरियो ने मुठभेड़ की निंदा की. उन्होंने कहा, न्यायिक प्रक्रिया प्रणाली काम नहीं कर रही है. इसलिए जनता और राजनीतिज्ञों के दबाव में ऐसे शॉर्ट कट अपनाये जाते हैं.

महाराष्ट्र और पंजाब के पूर्व डीजीपी एसएस विर्क ने कहा कि हैदराबाद पुलिस की ओर से बतायी गयी परिस्थितियों पर गौर करें तो कार्रवाई न्यायोचित है. उन्होंने कहा, टीवी क्लिप दिखाती हैं कि लोग पुलिस कार्रवाई से खुश हैं. मैं उनसे असहमति नहीं रखता हूं, लेकिन मुठभेड़ की तारीफ करते हुए हमें यह भी देखना है कि क्या कोई कानूनी खामी है. विर्क ने कहा, बलात्कार और हत्या बर्बर घटना थी. अगर ऐसी चीजें होना शुरू हो गयी तो कोई भी लड़की या महिला सुरक्षित महसूस नहीं करेगी. यह पूरे समाज के खिलाफ अपराध था. पूर्व डीजीपी ने कहा, निर्भया मामले में, आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की गयी. उन सबको मौत की सजा दी गयी, लेकिन अब तक उन्हें फांसी नहीं दी गयी है. उन्होंने कहा, ऐसे मामलों पर कानून प्रणाली ने अपना प्रभाव खो दिया है. जब हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली कमजोर और निष्प्रभावी हो जाती है तो लोगों को कड़ी कार्रवाई की उम्मीद होती है.

वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी शिवानंदन ने हैदराबाद के बलात्कार एवं हत्या मामले के आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराये जाने की निंदा की. शिवानंदन ने कहा कि इस तरह के शॉर्ट कट लंबे अरसे में अपराध को रोकने में मदद नहीं करेंगे. 1976 बैच के आईपीएस अधिकारी ने कहा, मुठभेड़ के बाद थोड़े समय के लिए पुलिस की तारीफ की जा सकती है, लेकिन यह लंबे समय के लिए अच्छी नहीं है. मुंबई में उनके कार्यकाल के दौरान 1990 के दशक में गैंगस्टरों के साथ कई मुठभेड़ें हुई थी. 26/11 आतंकी हमले के बाद मुंबई पुलिस की अगुवाई करने वाले शिवानंदन ने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के उपाय करना बेहतर है.

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