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दिल्ली विधानसभा चुनाव : अपराधियों को टिकट देने में भाजपा आगे, कांग्रेस भी पीछे नहीं

एडीआर और दिल्ली इलेक्शन वॉच का सर्वे, दिल्ली चुनाव में आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर और दिल्ली इलेक्शन वॉच के मुताबिक, दिल्ली चुनाव में आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ी है. 2008 के विधानसभा चुनाव में 790 उम्मीदवारों में से 111 उम्मीदवारों ने अपने […]

एडीआर और दिल्ली इलेक्शन वॉच का सर्वे, दिल्ली चुनाव में आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी
चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर और दिल्ली इलेक्शन वॉच के मुताबिक, दिल्ली चुनाव में आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ी है. 2008 के विधानसभा चुनाव में 790 उम्मीदवारों में से 111 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का खुलासा किया था. 2013 में कुल 796 उम्मीदवारों में से 129 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. 2015 में 673 कैंडिडेट्स में से 114 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे.
2008 में आपराधिक मामले वाले सबसे अधिक 67 उम्मीदवार कांग्रेस के थे. उसके बाद भाजपा के 63, बसपा के 64, जदयू 11, सपा 31, लोजपा 37, राकांपा 15, शिवसेना 8 और अन्य के 494 उम्मीदवार थे. वहीं गंभीर आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या 2008 में सबसे अधिक 22 भाजपा में थी और सबसे कम जदयू एक और शिवसेना के एक थे.
2013 में सबसे अधिक आपराधिक मामले भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज थे. भाजपा के 31, तो कांग्रेस के 15, बसपा के 14 और जदयू के आठ पर आपराधिक मामले दर्ज थे. इनमें सबसे कम आप के पांच और शिवसेना के दो उम्मीदवार थे. वहीं, 2015 में भाजपा के सबसे अधिक 27 और कांग्रेस के 21, बसपा के 12, आप के 23 और शिवसेना के चार उम्मीदवार थे. विश्लेषण के लिए, दिल्ली में हुए 2008, 2013 और 2015 विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत हलफनामों को आधार बनाया गया है.
अापराधिक छवि और करोड़पति प्रत्याशियों के जीतने की संभावना में आयी कमी
अपराधियों के जीत की संभावना हुई कम : दिल्ली विधानसभा में घोषित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार के जीतने की संभावना 2008 में 26% थी, जो 2015 के विधानसभा चुनावों में घटकर 21% रह गयी.
लगातार घटी करोड़पति विधायकों की संख्या
2015 में 70 विधायकों में से 44 (63%) करोड़पति थे. 2013 के चुनाव में 70 में से 51 (73%) विधायक करोड़पति थे और 2008 में 68 में से 47 (69%) करोड़पति थे.
2013 में औसत संपत्ति 10.83 करोड़ : 2015 के चुनाव में प्रति विधायक औसत संपत्ति 6.29 करोड़, 2013 में 10.83 करोड़ और 2008 में 3.05 करोड़ रुपये रही है.
करोड़पति उम्मीदवार के जीतने की संभावना घटी : एक करोड़पति उम्मीदवार के जीतने की संभावना 2008 में 26% थी, जो 2015 में घटकर 19% रह गयी. जबकि, गैर-करोड़पति के जीतने की संभावना 2008 में 3% थी, जो 2015 में बढ़ कर 6% हो गयी.
पढ़े-लिखों के बीच भी अधिकतर उम्मीदवार 12 वीं पास
2015 में 673 उम्मीदवारों में से 374 (56%) ने घोषित किया था कि उनके पास 12 वीं पास या उससे नीचे की शिक्षा योग्यता है. 2013 में, 796 में से 479 (60%) और 2008 में 790 में से 483 (61%) ने घोषणा की कि उनके पास 12 वीं पास या उससे नीचे की शैक्षणिक योग्यता थी.
बढ़ा है महिलाओं का प्रतिनिधित्व : 2015 में, 673 उम्मीदवारों में से 66 (10%) महिलाएं थीं. 2013 में 796 उम्मीदवारों में से 69 (9%) और 2008 में 790 उम्मीदवारों में से 57 (7%) महिलाएं थीं.

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