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दिल्ली विधानसभा चुनाव : आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस मुख्यालय का आंखों देखा हाल

– केजरीवाल के अच्छे बीते 5 साल बनाम कांग्रेस और भाजपा के सवाल मिथिलेश झा/उत्पल कांत नयी दिल्ली : दिल्ली के 2020 विधानसभा चुनाव में जीतने और सरकार बनाने के लिए सभी पार्टियों ने तैयारी कर रखी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार रोड शो कर रहे हैं […]

– केजरीवाल के अच्छे बीते 5 साल बनाम कांग्रेस और भाजपा के सवाल

मिथिलेश झा/उत्पल कांत

नयी दिल्ली : दिल्ली के 2020 विधानसभा चुनाव में जीतने और सरकार बनाने के लिए सभी पार्टियों ने तैयारी कर रखी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार रोड शो कर रहे हैं और लोगों को अपनी सरकार की उपलब्धियां बता रहे हैं. वहीं, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दावा है कि इस बार लोग केजरीवाल के ‘झांसे’ में नहीं आयेंगे.

दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित पार्टी मुख्यालय में सुबह से ही काफी चहल-पहल है. देश के अलग-अलग प्रांतों से स्वयंसेवी और कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं. छोटे और बड़े ट्रकों से प्रचार सामग्री लायी और रवाना की जा रही है. कार्यकर्ताओं को उनका विधानसभा क्षेत्र बांटा जा रहा है और उन्हें उन क्षेत्रों में भेजने की व्यवस्था की जा रही है. राज्यसभा सांसद संजय सिंह लगातार अलग-अलग दलों खासकर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करवा रहे हैं.

पार्टी मुख्यालय में घुसते ही बायीं ओर कैंपस में खाली जगह पर एक विशाल होर्डिंग लगी है. उसके पीछे बड़ा टेंट बना है. होर्डिंग पर अरविंद केजरीवाल की मुस्कुराती हुई तस्वीर लगी है. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी का चुनाव चिह्न ‘झाड़ू’ है. होर्डिंग पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है : केजरीवाल की 10 गारंटी. उसके नीचे इससे अपेक्षाकृत छोटे अक्षरों में लिखा है : अच्छे बीते 5 साल, लगे रहो केजरीवाल. बाहर नेताओं और कार्यकर्ताओं का मजमा लगा है. सबके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था है. जैसे मुफ्त में लोगों को बिजली-पानी मिल रहा है, यहां कार्यकर्ताओं को भोजन फ्री में मिल रहा है.

पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल एक दिन में दो-दो, तीन-तीन रोड शो कर रहे हैं. उनकी पार्टी का दावा है कि केजरीवाल के रोड शो में भारी संख्या में लोग जुट रहे हैं. केजरीवाल उनसे कहते हैं कि आपको आम आदमी पार्टी में आने की जरूरत नहीं है. आप जिस पार्टी में हैं, उसी में रहें, लेकिन वोट आम आदमी पार्टी के ‘झाड़ू’ छाप पर ही दें, तभी दिल्ली सुरक्षित रहेगी. दिल्ली में आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहेगा.

वहीं, भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के कार्यालय में कई टेंट बने हैं. छोटे-छोटे टेंट में रिसेप्शन से लेकर गोदाम तक हैं. एक विशाल टेंट बना है. नेता और कार्यकर्ता अपने-अपने काम में जुटे हैं. भाजपा कार्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी से लेकर नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा तक के बड़े-बड़े पोस्टर लगे हैं. इनके साथ दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी का भी फोटो है. लेकिन, वह मोदी और शाह की तुलना में काफी छोटा है. इन पोस्टरों पर लोगों से अपील की गयी है : ‘देश बदला, अब दिल्ली बदलो’. यहां कैंटीन है, लेकिन खाने के पैसे चुकाने पड़ते हैं. सभी को. यहां कुछ भी मुफ्त नहीं है.

भाजपा लोगों को बताने की कोशिश कर रही है कि अरविंद केजरीवाल ने अपने पांच साल के शासन में दिल्ली के लोगों को केंद्र सरकार की जनलोक कल्याणकारी योजनाओं से दूर रखा. आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू नहीं होने दिया. प्रधानमंत्री आवास योजना से लोगों को वंचित रखा. दिल्ली का समुचित विकास नहीं किया. केजरीवाल के विकास के दावों पर भाजपा चुटकी भी ले रही है और आम आदमी पार्टी पर पलटवार भी कर रही है.

केंद्र में सत्तारूढ़ दल भाजपा का कहना है कि जो केजरीवाल साढ़े चार साल तक कह रहे थे कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल उनकी लोककल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी फाइलों को लटका रहे हैं. आम आदमी पार्टी की सरकार को जनता से जुड़ी योजनाओं को लागू करने से रोक रहे हैं. वही केजरीवाल आज कह रहे हैं कि 5 साल में बहुत काम हुए. जब केंद्र और एलजी ने उन्हें कुछ करने ही नहीं दिया, तो बहुत से विकास के काम उन्होंने कैसे कर लिये?

इधर, केजरीवाल के दिल्ली के तख्त पर बैठने से पहले 15 साल तक सत्ता में रही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय में आम आदमी पार्टी और भाजपा की तरह हलचल देखने को नहीं मिली. हमने इसका कारण पूछा, तो बताया गया कि लोग अपने-अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं. चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन हो रहे हैं, इसलिए कार्यालय में लोग नहीं हैं. कल पार्टी के प्रचार अभियान की शुरुआत होगी. यहां तक कि पार्टी के नेताओं को अपने ही कार्यक्रम की जानकारी नहीं है. एक नेता का दूसरे से समन्वय नहीं है. हर कोई अपने में मस्त है.

कांग्रेस भी भाजपा की तरह केजरीवाल के दावों को खोखला बता रही है. उसका कहना है कि केजरीवाल ने कोई काम नहीं किया. उन्होंने 5 साल तक सिर्फ जनता को भरमाया है. आधारभूत संरचना के विकास का कोई काम आम आदमी पार्टी की सरकार ने नहीं किया. सिर्फ विज्ञापन में विकास का शोर मचाया है. जमीन पर कुछ किया ही नहीं. यदि पार्टी ने कुछ काम किया होता, तो यह कहने की जरूरत क्यों पड़ती कि केंद्र की सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल उन्हें काम नहीं करने दे रहे. और यदि उन दोनों ने इन्हें काम ही नहीं करने दिया, तो अब ये कैसे कह रहे हैं कि अच्छे बीते 5 साल, लगे रहो केजरीवाल!

कांग्रेस का कहना है कि आज केजरीवाल हर चीज फ्री में देने की बात करते हैं. वह दिल्ली की पूंजी को खत्म कर रहे हैं. इसका बोझ दिल्ली की जनता पर पड़ेगा और धीरे-धीरे सरकार की जमा पूंजी खत्म हो जायेगी. एक वक्त आयेगा, जब सरकार की पूंजी खत्म हो जायेगी. जब पूंजी ही खत्म हो जायेगी, तो सरकार का दिवालिया होना तय है. और जब सरकार ही दिवालिया हो जायेगी, तो क्या बचेगा!

बहरहाल, सत्ता में बैठी पार्टी विकास और जनकल्याण के दावे कर रही है, तो विपक्ष में बैठी पार्टियां उसके दावों पर कटाक्ष कर रही हैं, सरकार की घोषणाओं का पोस्टमॉर्टम करने में लगी हैं. वहीं, यही विपक्षी पार्टियां सत्तारूढ़ दल से दो कदम आगे जाकर मुफ्त की चीजें देने की बात कर रही है. इन सबके बीच ‘लोकतंत्र का राजा’ चुप बैठा है. वह मजे ले रहा है. नेताओं के भी और मीडिया का भी. किसके दावे में कितना दम है, इसका पता 11 फरवरी को चलेगा, जब 8 फरवरी को सील होने वाले इवीएम खुलेंगे.

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