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CJI को साजिश में फंसाने के दावे की जांच की याचिका पर सामान्य प्रक्रिया में होगी सुनवाई

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में कथित रूप से फंसाने की साजिश के मामले में सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका पर उचित समय पर सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की […]

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में कथित रूप से फंसाने की साजिश के मामले में सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका पर उचित समय पर सुनवाई होगी.

न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने इस मामले का उल्लेख करते हुए इसे शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. पीठ ने शर्मा से सवाल किया, इसमें जल्दी क्या है? आपने इसे दायर किया है और इसे उचित समय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जायेगा. मनोहर लाल शर्मा ने पीठ से अनुरोध किया था कि उनकी याचिका आठ मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाये. इस पर पीठ ने सवाल किया, क्या जल्दी है? आपने याचिका दायर की है और यह सुनवाई के लिए आयेगी. पीठ ने कहा, यह सामान्य प्रक्रिया में सूचीबद्ध होगी. शर्मा ने शुरू में याचिका आठ मई को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया, परंतु बाद में उन्होंने कहा कि वह इसे शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं.

शर्मा ने जब यह कहा कि उनकी याचिका उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दी जाये जिसने प्रधान न्यायाधीश को फंसाने की बड़ी साजिश का दावा करते हुए हलफनामा दायर करने वाले अधिवक्ता के मामले की सुनवाई की थी तो न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, हमें नहीं मालूम. यह (याचिका) सामान्य प्रक्रिया में सूचीबद्ध होगी. हम देखेंगे कि यह कब सूचीबद्ध होगी और किसके सामने होगी. पीठ ने कहा, आपका आग्रह कितना भी उचित क्यों नहीं हो, हम नहीं कह सकते कि मामला किसी पीठ विशेष के समक्ष ही सूचीबद्ध जायेगा. शर्मा ने अपनी याचिका में कई वकीलों को प्रतिवादी बनाया है. इनमें अधिवक्ता प्रशांत भूषण, शांति भूषण, कामिनी जायसवाल, वृंदा ग्रोवर, इंदिरा जयसिंह, नीना गुप्ता भसीन और दुष्यंत दवे जैसे अधिकवक्ताओं के नाम शामिल हैं.

याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि इनमें से कुछ अधिवक्ताओं की कार्रवाई तो, न्यायालय की अवमानना के समान है और प्रधान न्यायाधीश को बदनाम करने और उन्हें तथा शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों को नियंत्रित करने की सुनियोजित साजिश है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो को भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत इन सभी अधिवक्ताओं और इनके द्वारा संचालित गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने, उनकी गिरफ्तारी करने और 2010 से इनकी जांच करने का निर्देश दिया जाये. अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस के हलफनामों पर विस्तार से सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने प्रधान न्यायाधीश को फंसाने की बड़ी साजिश और उच्चतम न्यायालय में बेंच फिक्सिंग के आरोपों की जांच के लिये 25 अप्रैल को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक को नियुक्त किया था. हालांकि, न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया था कि न्यायमूर्ति पटनायक प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों पर गौर नहीं करेंगे. न्यायालय ने यह भी कहा था कि इस जांच के नतीजे आंतरिक समिति को प्रभावित नहीं करेंगे.

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