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अमित शाह की विरासत संभालने जा रहे जेपी नड्डा का बिहार से है खास कनेक्शन, जानिए इनके बारे में

नयी दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष से जेपी नड्डा अब पूर्णकालिक अध्यक्ष बन गए हैं.नड्डा का आज निर्वाचन निर्विरोध हुआ. नाम की घोषणा होने के बाद अमित शाह ने उन्हें गुलदस्ता भेंट कर बधाई दी. नड्डा का कार्यकाल 2023 तक है. जेपी नड्डा का बीजेपी के एक आम कार्यकर्ता से दुनिया की […]

नयी दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष से जेपी नड्डा अब पूर्णकालिक अध्यक्ष बन गए हैं.नड्डा का आज निर्वाचन निर्विरोध हुआ. नाम की घोषणा होने के बाद अमित शाह ने उन्हें गुलदस्ता भेंट कर बधाई दी. नड्डा का कार्यकाल 2023 तक है. जेपी नड्डा का बीजेपी के एक आम कार्यकर्ता से दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के हाई-प्रोफाइल नेता बनने का सफर काफी लंबा रहा है. जेपी आंदोलन से राजनीति की शुरुआत करने वाले नड्डा का नड्डा का बिहार और झारखंड से पुराना नाता रहा है. उनका छात्र जीवन बिहार की राजधानी पटना में बीता है. उन्हें बिहार के साथ-साथ झारखंड की राजनीति की पूरी समझ है. वह संगठन और सरकार के काम से भी वाकिफ हैं.

लो-प्रोफाइल रहने वाले और बड़ेबोले बयानों से दूर रहने वाले जेपी नड्डा भले ही करिश्माई नेता न माने जाते हों, लेकिन संगठन पर उनकी पकड़ हमेशा रही. मूल रूप से हिमाचली और बिहार में जन्मे जेपी नड्डा लंबे समय से बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा हैं. पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहुंचने वाले जेपी नड्डा का जन्म 2 दिसंबर, 1960 को पटना में हुआ था. पटना में ही स्कूलिंग से लेकर बीए तक की पढ़ाई की पढ़ाई की. यहीं वह आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े थे.

इसके बाद वह अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश लौटे और एलएलबी किया. हिमाचल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान वह छात्र राजनीति में ऐक्टिव रहे और फिर बीजेपी में एंट्री ली. वह तीन बार बीजेपी के टिकट पर हिमाचल विधानसभा पहुंचे. 1993-98, 1998 से 2003 और फिर 2007 से 2012 तक वह विधायक रहे. यही नहीं 1994 से 1998 तक वह प्रदेश की विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता भी रहे.

शाह की विरासत संभालने मेंचुनौतियां
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय का अहम पदभार संभालने वाले जेपी नड्डा को अब अमित शाह की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी है. अमित शाह ने बीजेपी को जिस जगह लाकर खड़ा किया है, पार्टी को वहां से आगे ले जाने और दक्षिण भारत में कमल खिलाने की चुनौती है तो पूर्वात्तर के किले को अब बचाए रखने का भी चैलेंज होगा.
दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 में मिली जीत के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गृहमंत्री बन गए, जिसके चलते पार्टी की कमान जेपी नड्डा को सौंपी गई और उन्हें कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. जेपी नड्डा ने कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर आठ महीने पार्टी की कमान संभाली, लेकिन अपने सियासी प्रैक्टिस मैच में वो फेल रहे हैं. महाराष्ट्र और झारखंड बीजेपी की सीटें ही नहीं घटीं बल्कि सत्ता भी गंवानी पड़ी है तो हरियाणा में जेजेपी के समर्थन से सरकार बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
वहीं, दिल्ली में भी बीजेपी की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है.अमित शाह ने बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को जिस मुकाम पर पहुंचाया उसे बनाए रखना जेपी नड्डा के लिए एक अध्यक्ष के तौर पर चुनौतीपूर्ण काम रहेगा. अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने देश ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सहित बड़े राज्यों में जीत का परचम फहराया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब कुछ लोग बीजेपी की हार की भविष्यवाणी कर रहे थे तब अमित शाह ने 300 प्लस सीटें जीतने का दावा किया था और उसे अमलीजामा पहनाने में कामयाब रहे
पिता थे पटना यूनिवर्सिटी के कुलपति
जेपी नड्डा के परिवार की बात करें तो उनके पिता और माता का नाम क्रमश: डॉ. नारायण लाल नड्डा और कृष्णा नड्डा है. नड्डा के पिता पटना यूनिवर्सिटी के कुलपति थे. साल 1992 में जेपी नड्डा, मल्लिका नड्डा के साथ शादी के बंधन में बंधे. मल्लिका नड्डा की बात करें तो वह हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफेसर कार्य करतीं हैं. मल्लिका नड्डा के पिता जबलपुर से सांसद रह चुके हैं. जेपी नड्डा के दो बच्चे हैं.
राजनीति की शुरुआत
जेपी नड्डा के राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्होंने इसकी शुरुआत साल 1975 में जेपी मूवमेंट से की थी. वे देश के सबसे बड़े आंदोलनों में शुमार इस मूवमेंट का हिस्सा बने थे. इस आंदोलन के बाद वे बिहार की छात्र शाखा एबीवीपी में शामिल हो गये थे. जेपी नड्डा ने साल 1977 में अपने कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में जीत दर्ज करके वे पटना यूनिवर्सिटी के सचिव बने थे.
हिमाचल प्रदेश में नड्डा
पटना यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री लेने के बाद नड्डा ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एलएलबी की पढ़ाई शुरू की. यहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सीट में भी छात्र संघ का चुनाव लड़ा और उसमें जीत दर्ज की. भाजपा जेपी नड्डा की प्रतिभा को पहचान चुकी थी, इसलिए पार्टी ने उन्हें वर्ष 1991 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया. नड्डा ने साल 1993 में हिमाचल प्रदेश की बिलासपुर सीट से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उन्होंने शानदार जीत दर्ज की थी. इसके बाद नड्डा को प्रदेश की विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया.
धूमल सरकार में बने मंत्री, फिर गये राज्यसभा
नड्डा ने साल 1998 और 2007 के चुनाव में फिर बिलासपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इस दौरान नड्डा को प्रदेश की कैबिनेट में भी जगह देने का काम पार्टी ने किया. प्रेम कुमार धूमल की सरकार में उन्हें वन-पर्यावरण, विज्ञान व टेक्नालॉजी विभाग का मंत्री बनाया गया. नड्डा के बेहतरीन काम को पार्टी ने काफी करीब से देख लिया था. यही वजह थी कि साल 2012 में पार्टी ने उन्हें हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा में भेजा.

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