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CBI Director पद से आलोक वर्मा की छुट्टी, अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को मिला प्रभार

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की मैराथन बैठक के बाद आलोक वर्मा को गुरुवार को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की मैराथन बैठक के बाद आलोक वर्मा को गुरुवार को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया.

इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करनेवाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गये हैं. उन्होंने बताया कि वर्मा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में पदस्थापित किये जाने की संभावना है. सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ आठ आरोप लगाये गये थे. यह रिपोर्ट उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखी गयी. समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके सीकरी भी शामिल थे. उन्होंने बताया कि वर्मा को पद से हटाने का फैसला बहुमत से किया गया. खड़गे ने इस कदम का विरोध किया. वर्मा को पद से हटाये जाने का फैसला एक के मुकाबले दो मतों से लिया गया.

गौरतलब है कि सीबीआई प्रमुख वर्मा औैर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे जिसके बाद वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था. वर्मा ने बुधवार को ही पदभार पुन: संभालते हुए एम नागेश्वर राव द्वारा किये गये ज्यादातर तबादले रद्द कर दिये थे. राव वर्मा की अनुपस्थिति में अंतरिम सीबीआई प्रमुख नियुक्त किये गये थे. वर्मा को हटाये जाने के बाद एक बार फिर से एम नागेश्वर राव को सीबीआई का प्रभार अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को दिया गया है. इसी तरह आलोक वर्मा को महानिदेशक, अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड के रूप में तैनात किया गया है.

बैठक के पहले, खड़गे ने कहा कि उन्होंने मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच रिपोर्ट सहित विभिन्न दस्तावेज मांगे. उन्होंने कहा कि वर्मा को भी कमेटी के सामने उपस्थित होने का मौका मिलना चाहिए और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहिए. अहम बैठक से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर हमला बोला और कहा कि राफेल मामले के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीबीआई प्रमुख अलोक वर्मा को हटाने की जल्दबाजी में हैं. राहुल ने ट्वीट कर कहा, प्रधानमंत्री सीबीआई प्रमुख को हटाने की इतनी जल्दबाजी में क्यों हैं? उन्होंने सीबीआई प्रमुख को चयन समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने की अनुमति क्यों नहीं दी? उन्होंने कहा, ‘जवाब है : राफेल.’

उच्चतम न्यायालय ने सरकार से फैसले के एक हफ्ते के अंदर ही बैठक बुलाने को कहा था. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने 77 दिन बाद अपना कार्यभार बुधवार को संभाल लिया. वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच की लड़ाई सार्वजनिक होने के बाद केंद्र सरकार ने अक्तूबर में आदेश जारी कर वर्मा के अधिकार वापस लेकर उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था. आदेश को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था जिसके बाद वर्मा ने कार्यभार संभाल लिया. उच्चतम न्यायालय ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजने के केंद्र के निर्णय को रद्द कर दिया. हालांकि, वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की जांच पूरी होने तक उन पर (वर्मा) कोई भी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लगायी गयी है.

वर्मा ने सीबीआई से उन्हें हटाये जाने के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. अस्थाना ने भी कथित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करवाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है. इस संबंध में फैसला उच्च न्यायालय में लंबित है. सीबीआई निदेशक के तौर पर वर्मा का दो साल का निर्धारित कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म होनेवाला था.

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