नयी दिल्ली: गणतंत्र दिवस से पहले 22 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया. राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार बहादुरी का काम करने वाले देश भर के कुछ चयनित बच्चों को दिया जाता है. राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त ये बच्चे 26 जनवरी को राजपथ पर परेड का भी हिस्सा बनेंगे ताकि देश भर के अन्य बच्चों को भी इससे प्रेरणा मिले.
उल्लेखनीय बहादुरी के लिये मिलता है अवॉर्ड
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वाले केरल के आदित्य ने बताया कि वो 40 बच्चों के साथ एक बस में सफर कर रहे थे. भारतीय सीमा से 50 किमी दूर नेपाल स्थित दाउने पहाड़ी के पास बस में उन्होंने डीजल की गंध महसूस की. धुआं भी उठता हुआ दिखा. तभी आदित्य ने हथौड़े की मदद से बस की खिड़कियां तोड़ी और सबके सकुशल वहां से बाहर निकलने में मदद की. कुछ ही देर में बस ने भयानक आग पकड़ ली. आदित्य की सूझबूझ की वजह से 40 जिंदगियां बच गयीं.
संजय और गीता चोपड़ा की याद में मिलता है अवॉर्ड
बता दें कि राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दो बच्चों 14 साल के संजय चोपड़ा और 16 साल की गीता चोपड़ा की याद में दिया जाता है. इन दोनों बच्चों की रंगा-और बिल्ला नाम के अपराधियों ने राजधानी दिल्ली में हत्या कर दी थी. हत्या से पहले दोनों बच्चों को उस समय अपहरण कर लिया गया था जब वे दूरदर्शन में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जा रहे थे. संजय और गीता एक नेवी ऑफिसर के बच्चे थे.