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Friday, March 29, 2024

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60 लाख गबन में तीसरे पर भी नजर

जांच दल ने माना प्राथमिक आरोपितों के अलावा तीसरा भी हो सकता दोषी विभाग की दैनिक गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहा अनाम आरोपित दरभंगा : जिला शिक्षा विभाग के लेखा योजना संभाग में 60 रुपये के घोटाला मामले में आरोपित सह तत्कालीन डीइओ सुधीर कुमार झा व लिपिक दिलीप पाठक के साथ-साथ एक तीसरे […]

जांच दल ने माना प्राथमिक आरोपितों के अलावा तीसरा भी हो सकता दोषी

विभाग की दैनिक गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहा अनाम आरोपित
दरभंगा : जिला शिक्षा विभाग के लेखा योजना संभाग में 60 रुपये के घोटाला मामले में आरोपित सह तत्कालीन डीइओ सुधीर कुमार झा व लिपिक दिलीप पाठक के साथ-साथ एक तीसरे व्यक्ति पर भी जांच दल की निगाहें हैं. पिछले दिनों जांच के लिए यहां आयी राज्यस्तरीय दो सदस्यीय जांच टीम ने इस ओर इशारा किया था. जांच दल के एक सदस्य का कहना था कि दोनों आरोपितों के अलावा इस मामले में कुछ और लोगों की सहभागिता हो सकती है. टीम संचिकाओं व अभिलेखों की जांच के बाद प्रारंभिक तौर पर इस निष्कर्ष पर पहुंची कि आरोपित के अलावा अन्य लोग भी हैं, जो प्रतिदिन विभाग की गतिविधियों पर नजर रखते हैं.
टीम के एक सदस्य का कहना था कि शिक्षा विभाग के अलावा अन्य संबंधित विभाग व जिला स्तर के पदाधिकारियों पर भी घोटाले में शामिल लोगों की पैनी नजर है. वे लोग इस मामले में प्राथमिकी आरोपित नहीं है, पर हर ताकत लगाकर जांच कार्य प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं. जांच टीम के उक्त सदस्य ने बताया कि अगले कुछ दिनों में जांच रिपोर्ट दे दी जाएगी.
डीएम ने भी करायी थी जांच : इस मामले की डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर तीन सदस्यी टीम ने भी इस मामले की जांच की थी. टीम ने जांच प्रतिवेदन 22 अक्तूबर को सौंपा था. इसमें तीनों बैंक प्रबंधक, तत्कालीन डीइओ, लिपिक, बैंक एजेंट तथा नारायण टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी के मालिक की मिलीभगत से सरकारी राशि गबन किये जाने की बात कही गयी थी.
पुलिस जांच में गति नहीं : तत्कालीन डीइओ एवं लेखा लिपिक द्वारा अलग-अलग लहेरियासराय थाना में मामला दर्ज कराया गया था. इन मामले में भी जांच जारी रहने की बात पुलिस बता रही है. पर सच्चाई यह है कि अबतक पुलिस दोनों मामले को एक तरह से दबाये बैठी है. अनुसंधानकर्ता अनुसंधान के नाम पर गवाहों को बुलाये जाने को ले सूचित करने की बात कहते हैं. अबतक पूछताछ नहीं की गयी है. पूछताछ के लिए बुलाये जाने से शिक्षा विभाग के कार्य में बाधा हो जाने की बात पुलिस के अधिकारी कहते हैं. बताया जाता है कि पुलिस जांच को भी प्रभावित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है.
जांच में उठाये जा रहे ये सवाल
तत्कालीन लेखा योजना पदाधिकारी सुधीर कुमार झा का हस्ताक्षर हर जगह एक ही प्रकार का नहीं पाया गया है. आईडीबीआई बैंक एवं पंजाब एंड सिंध बैंक दोनों दोनार में है, फिर इस बैंक का पैसा उस बैंक में हेरफेर करने की क्या जरूरत पड़ गयी. अगर पैसा निकालने के लिए इतनी जल्दी थी कि लूज लेना पड़ा तो 16 मार्च 2016 को लिया गया चेक सात माह तक उपयोग में क्यों नहीं लाया गया. 11 सितंबर से तीन नवंबर तक कैशबुक में लेन-देन का कोई जिक्र क्यों नहीं है. न ही अभिलेख में यह राशि दर्ज है. लिपिक ने इस राशि को दर्ज करते हुए पदाधिकारी से उस पर हस्ताक्षर क्यों नहीं कराया. बैंक प्रबंधक द्वारा खाता को मोबाइल से क्यों नहीं जोड़ा गया. खाता से साठ लाख की निकासी हुई, पर एक साल तक इसकी खोज क्यों नहीं हुई. लेखा लिपिक ने क्यों नहीं इसकी सूचना तत्कालीन डीइओ को दी. खाता किसी के नाम से और संख्या किसी और का था, पर बैंक ने राशि भुगतान कैसे कर दिया. पांच हजार रुपये ट्रांसफर करने वाले राजकुमारगंज के सीएम ट्रेडिंग कंपनी के स्वामी विवेक कुमार ठाकुर, बैंक एजेंट मधुकर शांडिल्य एवं नारायण टूर एंड ट्रेवल्स के मालिक राजीव कुमार सिंह से तत्कालीन डीइओ, बैंक प्रबंधक, लेखा लिपिक के क्या संबंध थे.
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