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बांग्लादेश जेल से रिहा हुआ दरभंगा का बेटा, 11 साल बाद घर लौट रहा सतीश चौधरी

दरभंगा / पटना :दरभंगा : भारत-बांग्लादेश के दर्शना गेडे बॉर्डर से बड़ी खबर प्राप्त हुई है. दरभंगा के हायाघाट प्रखंड के मनोरथा निवासी सतीश चौधरी को 11 साल बाद बांग्लादेश की जेल से रिहा कर दिया गया है. दर्शना गेडे बॉर्डर पर बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) को सतीश चौधरी की सुपुर्दगी […]

दरभंगा / पटना :दरभंगा : भारत-बांग्लादेश के दर्शना गेडे बॉर्डर से बड़ी खबर प्राप्त हुई है. दरभंगा के हायाघाट प्रखंड के मनोरथा निवासी सतीश चौधरी को 11 साल बाद बांग्लादेश की जेल से रिहा कर दिया गया है. दर्शना गेडे बॉर्डर पर बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) को सतीश चौधरी की सुपुर्दगी कर दी है. बॉर्डर पर इस दौरान सतीश के छोटे भाई मुकेश चौधरी के साथ प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल दफ्तुआर भी मौजूद हैं. इस पूरे प्रकरण में विशाल दफ्तुआर का अहम योगदान रहा है. रिहाई की खबर फोन पर सुनते सतीश के परिवार के साथ पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गयी है. गांव के लोग सतीश के स्वागत की तैयारी समारोह पूर्वक करने में लग गये हैं.

मालूम हो कि वर्ष 2008 में मानसिक तौर पर बीमार सतीश चौधरी इलाज के लिए पटना आया था और फिर अचानक गायब हो गया था. बाद में 2012 में जानकारी मिली की वह बांग्लादेश के जेल में बंद है. अपने भाई को छुड़ाने के लिए सतीश के छोटे भाई मुकेश चौधरी ने वर्षों तक प्रयास किया. 2012 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी. इसके बाद मुकेश चौधरी ने इसी साल जुलाई माह में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर को पत्र लिखा. दफ्तुआर ने पत्र पर संज्ञान लेते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा, जिस पर त्वरित कारवाई हुई.

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