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मौजूद थे जवान, फिर भी हो गयी हत्या

खलारी : जिस समय पिपरवार थाना क्षेत्र अंतर्गत एनके एरिया के पुरनाडीह में गोली चल रही थी उस समय वहां राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (एसआइएसएफ) के जवान भी मौजूद थे. जबकि बताया यह जा रहा है कि जवान घटनास्थल से दूर खदान की ओर थे. उल्लेखनीय है कि हजारीबाग रेंज के तत्कालीन डीआइजी भीमसेन टूटी […]

खलारी : जिस समय पिपरवार थाना क्षेत्र अंतर्गत एनके एरिया के पुरनाडीह में गोली चल रही थी उस समय वहां राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (एसआइएसएफ) के जवान भी मौजूद थे. जबकि बताया यह जा रहा है कि जवान घटनास्थल से दूर खदान की ओर थे. उल्लेखनीय है कि हजारीबाग रेंज के तत्कालीन डीआइजी भीमसेन टूटी ने फरवरी 2017 में पुरनाडीह इलाके का निरीक्षण भी किया था.

इसके बाद एनके एरिया के पुरनाडीह परियोजना की सुरक्षा के लिए राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल को तैनात करने का निर्णय लिया गया था. औद्योगिक कॉरीडोर में उग्रवादियों के बढ़ते प्रभाव को लेकर सीआइएसएफ की तर्ज पर एसआइएसएफ का गठन किया गया था.
कांटा घर में होना चाहिए था स्टैटिक पुलिस बल : गौरतलब है कि 15 सितंबर से पिपरवार क्षेत्र में टेरर फंडिंग के खिलाफ चतरा पुलिस की कार्रवाई के बाद से ही चर्चा हो रही थी कि कोयले का उठाव कैसे होगा.
कोल डंप कमेटियां स्थानीय ग्रामीणों व विस्थापित परिवारों को रोजगार देने के नाम पर कोयला लिफ्टरों से पैसे लेती थीं. वहीं, पुलिस इसे टेरर फंडिंग बता रही थी. पुलिस का कहना है कि यह पैसा नक्सली संगठनों तक जा रहा है. पुलिस की कार्रवाई के बाद से पुरनाडीह से रोड सेल के कोयले का उठाव बंद था.
ऐसे में जब एक लिफ्टर ने कोयला उठाने की हिम्मत दिखायी और ट्रक से कोयले का उठाव शुरू किया तो कांटा घर में स्टैटिक पुलिस बल को होना चाहिए था. बताया जाता है कि एसआइएसएफ के हथियारबंद जवान थे, परंतु कांटा घर के नजदीक नहीं थे. जबकि सभी जानते हैं कि कोयला उठाव करनेवाले कारोबारी कांटा घर आना-जाना करते हैं.
इससे पहले भी हो चुकी है कई कारोबारियों की हत्या : कोयला कारोबार से पैसे की वसूली को लेकर वर्चस्व स्थापित करने के लिए नक्सली संगठन और अपराधी गिरोह समय-समय पर घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं.
खलारी-पिपरवार क्षेत्र में भी कई घटनाएं हुई हैं. वर्ष 2006 में कोयला रैक के काम से जुड़े दो युवक मोहन कुमार और गोस्वामी की हत्या केडी स्थित आवास से ले जाकर पिपरवार चेकनाका पर कर दी गयी थी. उसी वर्ष खलारी के धमधमिया में कोयला व्यवसायी अखिलेश सिंह की हत्या दिन कर दी गयी थी.
सात फरवरी 2014 को खलारी केडी बाजार के निकट कोयला कारोबारी टुनटुन सिंह की हत्या शाम पौने सात बजे कर दी गयी थी. 27 नवंबर 2016 को खलारी थाना अंतर्गत डकरा गुरुद्वारा के निकट अज्ञात अपराधियों ने सुबह आठ बजे ही ट्रांसपोर्टर कमलजीत सिंह बेदी उर्फ रिंकू सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी थी.
रिंकू की हत्या के लगभग तीन साल के बाद कोयला कारोबारी साबिर अहमद की हत्या हुई है. इसके अलावा दहशत पैदा करने के लिए कांटा घरों तथा रेलवे साइडिंग में अक्सर विस्फोट और गोली चलाने की घटना होती रही है, जिनमें जुलाई 2013 में लगातार तीन घटनाएं हुई थीं. 8 जुलाई 2013 को खलारी स्थित एके ट्रांसपोर्ट के परिसर में विस्फोट हुआ था जिसकी जिम्मेवारी पीएलएफआइ ने ली थी.
9 जुलाई को पिपरवार के चिरैयाटांड़ कांटा घर में विस्फोट किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी तथा कई घायल हुए थे. 2 जनवरी 2017 की रात खलारी क्षेत्र स्थित केडीएच कांटा घर में जिलेटिन बम से विस्फोट किया गया था. इसमें माओवादियों का लिखित पर्चा मिला था. पुरनाडीह क्षेत्र में कोयला कारोबार से इतर भी दूसरी घटनाएंं भी होती रही हैं.

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