रांची: झारखंड (धनबाद के निवासी) के नदीम ने अपने डेब्यू मैच में चौका (चार विकेट) लगाया. शाह की बाजी ऐसी चली कि रांची में हुए तीसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन का खेल महज नौ मिनट में ही समाप्त हो गया. साउथ अफ्रीका के बल्लेबाज क्रीज पर ज्यादा समय तक टिक ही नहीं सके. अपने होम ग्राउंड पर टेस्ट डेब्यू मैच खेल रहे शाहबाज नदीम ने 2004 में पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला. 2005 में लिस्ट-ए क्रिकेट में डेब्यू किया. उन्हें दो बार रणजी सत्र में 50 से अधिक विकेट लेने का गौरव प्राप्त है. उन्होंने झारखंड की ओर से खेलते हुए 2015-16 सत्र में 51 विकेट चटकाये थे. इसके बाद अगले सत्र 2016-17 में 56 विकेट लिये थे. उनसे पहले हैदराबाद के स्पिनर कंवलजीत सिंह ने 1998-99 रणजी सत्र में 51 और 1999-2000 में 62 विकेट झटके थे. 30 साल के नदीम ने अब तक 110 प्रथम श्रेणी मैचों में 28.59 की औसत से 424 विकेट चटकाये हैं. उन्होंने 106 लिस्ट ए मैचों में 145 विकेट, जबकि 117 टी-20 मैचों में 98 विकेट हासिल किये, जिसमें आइपीएल में 42 विकेट उनके नाम हैं.
15 साल की उम्र में रणजी
15 साल की उम्र में शाहबाज नदीम जब अंडर-19 क्रिकेट खेल रहे थे, इसी समय उन्हें रणजी ट्रॉफी मैच खेलने का मौका मिला. उस समय नदीम ग्रीन विकेटों पर खेलते थे, जहां तेज फेंकने पर विकेट नहीं मिलती थी. झारखंड टीम में फास्ट बॉलरों का जलवा था, इसके बाद नदीम ने अपने गेंदबाजी में बदलाव किये और गेंद को फ्लाइट करवाने लगे, जिसके बाद इन्हें सफलता मिली.
विश्व रिकॉर्ड बना पेश की थी टेस्ट टीम की दावेदारी
जेएससीए स्टेडियम में हुए तीसरे टेस्ट मैच से शाहबाज नदीम का भारतीय टेस्ट टीम में खेलने का सपना पूरा हो गया. उन्होंने दो पारियों में अपनी गेंदबाजी से यह बता दिया कि उन्हें बस मौका मिलने का इंतजार था. यूं तो रांची में हुए टेस्ट मैच में शाहबाज ने डेब्यू किया, लेकिन इसकी दावेदारी पिछले साल ही कर दी थी. जब विजय हजारे ट्रॉफी में राजस्थान के खिलाफ खेलते हुए नदीम ने महज 10 रन देकर 8 विकेट चटका दिये. ऐसा करके उन्हाेंने लिस्ट-ए क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी का नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. साथ ही दो दशक पुराना विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ा. इसी के साथ टीम इंडिया के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी थी.
नदीम के सपने के लिए बड़े भाई ने छोड़ दी क्रिकेट
शाहबाज नदीम के सपनों को पूरा करने के लिए बड़े भाई ने बड़ी कुर्बानी दी है. उनके पिता जावेद महमूद (धनबाद निवासी) पुलिस अधिकारी थे और बड़े भाई असद उम्दा क्रिकेट खिलाड़ी. असद बिहार अंडर-15 टीम के कप्तान भी थे. बड़े भाई के नक्शेकदम पर चलते हुए नदीम भी क्रिकेट खेलने लगे. ऐसे में एक दिन पिता जावेद महमूद ने दोनों बेटों से कहा कि उनमें से केवल एक ही क्रिकेट खेल सकता है. मैं नहीं चाहता कि दोनों किसी ऐसी चीज का पीछा करते हुए अपने जीवन को खतरे में डाल दें, जो सुरक्षित भविष्य की गारंटी नहीं दे. ऐसी मुश्किल परिस्थिति में असद ने खुद क्रिकेट छोड़ कर पढ़ाई करने की ठानी. पिता को इस बात के लिए राजी किया कि वे क्रिकेट छोड़ देंगे व पढ़ाई करेंगे और नदीम को क्रिकेट खेलने ही दिया जाये. इसके बाद असद ने क्रिकेट छोड़ कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. वर्तमान में असद दिल्ली की एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत हैं.