नयी दिल्ली: पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मोहम्मद कैफ ने अयोध्या भूमि विवाद पर कल आए उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. मोहम्मद कैफ ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट पर कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं.
This can happen only in India.
Where a Justice Abdul Nazeer is a part of a unanimous verdict. And a KK Muhammed gives historical evidences. Idea of India is much bigger than any ideology can ever comprehend. May everyone be happy, I pray for peace,love & harmony #AYODHYAVERDICT— Mohammad Kaif (@MohammadKaif) November 9, 2019
उन्होंने कहा कि ऐसा भाररत में ही हो सकता है जहां एक मुस्लिम जज (एस अब्दुल नजीर) मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाने वाले जजों की बेंच का हिस्सा हो और दूसरा मुस्लिम व्यक्ति (केके मुहम्मद) इसके लिए एतिहासिक साक्ष्य मुहैया करवाए. मोहम्मद कैफ ने ये भी कहा कि भारत का विचार किसी भी खास विचारधारा से बहुत बड़ा है. उन्होंने कहा कि मैं लोगों के बीच प्यार, शांति और भाईचारे के लिए प्रार्थना करता हू्ं.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया एतिहासिक फैसला
बता दें कि कल यानी 09 नवंबर को माननीय उच्चतम न्यायालय ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ के मार्फत अयोध्या भूमि विवाद पर अपना एतिहासिक फैसला सुनाया. इसके लिए 40 दिन तक लगातार सुनवाई चली. चीफ जस्टिस ने कहा कि एतिहासिक साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि बाबरी मस्जिद किसी खाली जमीन पर नहीं बनाई गयी थी बल्कि वो किसी ऐसे ढांचे के ऊपर बनाई गयी जो कि इस्लामी नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि विवाद के बाद से हिंदु पक्ष ने तो वहां पूजा करना जारी रखा लेकिन कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जो ये साबित करे कि मुस्लिम वहां नमाज पढ़ते रहे थे.
चीफ जस्टिस ने इस दौरान निर्मोही अखाड़ा को अयोध्या भूमि विवाद मामले में तीसरा पक्ष नहीं माना. इन तथ्यों की रोशनी में उच्चतम न्यायालय ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान को सौंपने का फैसला सुनाया और कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट का निर्माण करे और मंदिर निर्माण की रुपरेखा को लेकर नियम बनाए. चीफ जस्टिस ने कहा कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा को शामिल करना है या नहीं, इसका फैसला केंद्र सरकार के हाथ में हैं.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार विवादित भूमि से अलग मुस्लिम पक्ष को कहीं 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन उपलब्ध करवाए जहां मस्जिद का निर्माण हो. या फिर राज्य सरकार मुस्लिम पक्ष को जमीन उपलब्ध करवाए.