34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

कॉरपोरेट मामलों के सचिव का दावा : दिवाला कानून लागू होने के बाद से अब तक दर्ज किये गये 12,000 मामले

नयी दिल्ली : दिवाला कानून के क्रियान्वयन और राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के गठन के बाद से इसके तहत 12,000 मामले दायर किये गये है. कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि एनसीएलटी दिवाला से संबंधित मामलों का निपटान तेजी से कर रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता […]

नयी दिल्ली : दिवाला कानून के क्रियान्वयन और राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के गठन के बाद से इसके तहत 12,000 मामले दायर किये गये है. कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि एनसीएलटी दिवाला से संबंधित मामलों का निपटान तेजी से कर रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत मामले को लाना आखिरी उपाय होना चाहिए.

इसे भी देखें : संशोधित दिवाला कानून बिल्डरों पर कसेगा शिकंजा, फ्लैट के खरीदार होंगे बैंकों के जैसे कर्जदाता, जानिये कैसे…?

उन्होंने कहा कि कुछ एनसीएलटी में जितने मामले दायर किये गये हैं, उतनी ही संख्या में उनका निपटान भी किया गया है।. इसका मतलब यह हुआ कि इनमें मामलों का निपटान जल्द हो रहा है. मामले लंबित नहीं हैं. इस संहिता के तहत मामलों को न्यायाधिकरण की मंजूरी के बाद ही निपटान के लिये लाया जा सकता है, जिसकी देश के विभिन्न हिस्सों में पीठ हैं.

श्रीनिवास ने कहा कि व्यक्तिगत दिवाला मामलों पर सावधानी और योजनाबद्ध तरीके से गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत दिवाला मामलों का मुद्दा एक महत्वपूर्ण आयाम है, जिसका जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए. श्रीनिवास ने कहा कि आज हमारा गैर-खाद्य कर्ज का बकाया 77 लाख करोड़ रुपये है.

उन्होंने कहा कि इसमें उद्योग का हिस्सा 26 लाख करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र का हिस्सा 21 लाख करोड़ रुपये है. दोनों को मिलाकर यह करीब 48 लाख करोड़ रुपये बैठता है. यह कुल गैर-खाद्य बकाया का 70 फीसदी है. शेष 30 फीसदी राशि बचती है, जिसका अब हमें समाधान करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत दिवाला के दो रास्ते हैं. एक दिवाला प्रक्रिया अपनाना जिसके बाद ऋण शोधन प्रक्रिया होती है और दूसरी नये सिरे से शुरूआत करना. उन्होंने कहा कि नये सिरे से शुरुआत या ऋण माफी पर विचार आमदनी तथा आय के स्तर के कुछ मानदंडों के आधार पर होनी चाहिए.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीनिवास ने कहा कि संहिता के लागू होने तथा एनसीएलटी की स्थापना के बाद 12,000 मामले दायर हुए हैं. उन्होंने कहा कि इनमें 4,500 मामलों का निपटारा समाधान प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही हो गया. इनमें निपटान राशि करीब दो लाख करोड़ रुपये रही है.

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत 1,500 मामलों को प्रक्रिया के तहत स्वीकार किया गया, जबकि 6,000 मामले पंक्ति में हैं. फंसे कर्ज के मामले में दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समयबद्ध समाधान का प्रावधान किया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें