भुवनेश्वर : ओड़िशा के तलचर में सरकारी स्वामित्व वाले उर्वरक संयंत्र के सितंबर 2023 तक परिचालन में आने की संभावना है. संयंत्र का 8,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ पुनरुत्थान किया जा रहा है. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. केंद्रीय उर्वरक सचिव छबीलेंद्र राऊल ने कहा कि देश में अपनी तरह की पहली, कोयला गैस पर आधारित इस अमोनिया-यूरिया परियोजना में अमोनिया की 2,200 टन प्रतिदिन और यूरिया की 3,850 टन प्रतिदिन की क्षमता होगी.
इसके अलावा, इस अत्याधुनिक संयंत्र से 100 टन प्रतिदिन सल्फर फ्लेक्स का उत्पादन होगा. यह बिक्री योग्य सह-उत्पाद होगा. उन्होंने कहा कि संयंत्र में कोयले से प्रतिदिन 23.8 लाख टन घन मीटर प्राकृतिक गैस के बराबर सिंथेसिस गैस का उत्पादन होगा. यह कारखाना पहले फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) के स्वामित्व में था. संयंत्र ने मार्च 1999 में उत्पादन बंद कर दिया.
अब, गेल इंडिया लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), राष्ट्रीय केमिकल एवं फर्टिलाइजर लिमिटेड (आरसीएफ) तथा एफसीआईएल के साझा उपक्रम तल्चर फार्टिलिइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) के जरिये इसे फिर से परिचालन में लाया जा रहा है. राउल ने कहा कि टीएफएल के प्रवर्तकों ने विभिन्न अनुबंधों के लिए अब तक 8,000 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता जतायी है.
उन्होंने कहा कि परियोजना में 12.7 लाख टन प्रति वर्ष नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा, जिसमें फीडस्टॉक के रूप में घरेलू कोयले और पेटकोक के मिश्रण का उपयोग किया जायेगा. उर्वरक सचिव ने कहा कि इस संयंत्र का वर्ष 2023 तक परिचालन में आना निर्धारित किया गया है. तलचर संयंत्र ओड़िशा और आसपास के राज्यों को यूरिया की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. राउल ने कहा कि संयंत्र के निर्माण के दौरान 10,000 से अधिक लोगों के रोजगार मिलने की उम्मीद है और संयंत्र के परिचालन में आने के बाद 4,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे.